मनीष गोयल
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स (आईसीएआई)
द्वारा 15 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं राहत (पीएम केयर्स) कोष में भेजे जाने के फैसले का
विरोध करने वाली जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करने से बुधवार को इनकार कर दिया। अदालत ने
कहा कि यह संस्थान के अध्यक्ष के खिलाफ ‘‘प्रेरित” याचिका प्रतीत होती है। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और
न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने याचिकाकर्ता, नवनीत चतुर्वेदी की तरफ से पेश हुए वकील से कहा कि या तो मामला
वापस ले लें या हर्जाने के साथ इसको खारिज किए जाने के लिए तैयार रहें। इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने
याचिका वापस लिए जाने की अनुमति मांगी और अदालत ने इसे वापस ली गई याचिका के तौर पर खारिज कर
दिया। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई के दौरान, पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि जनहित याचिका कैसे दायर
की जा सकती है जब आईसीएआई के सदस्य निधि के हस्तांतरण से दुखी नहीं हैं। वकील के अनुसार याचिकाकर्ता
पेशे से पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता है। अदालत ने पूछा, “अगर आईसीएआई के सदस्य योगदान देकर खुश हैं
तो जनहित याचिका का क्या आधार है’’ और कहा, “यह संस्थान के अध्यक्ष के खिलाफ प्रेरित याचिका मालूम होती
है।” अप्रैल में पीएम केयर्स कोष में 15 करोड़ रुपये भेजे जाने के अलावा, आईसीएआई ने अपने सदस्यों के
योगदान के जरिए छह करोड़ रुपये और दिए जाने की बात कही थी। याचिकाकर्ता के मुताबिक, संस्थान द्वारा यह
फैसला कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के तत्कालीन सचिव के आग्रह पर लिया गया था।