विनय गुप्ता
अमूमन जब युवावस्था में जब मौशिकी की खुमारी चढती है, तो शायरी और गजल की ओर रूख किया जाता है।
यही हाल मेरा भी रहा। नब्बे के उत्तरार्ध में शायरी पढने का शौक हुआ। उसी दौर में राहत इंदौरी को भी पढने का
मौका मिला। जब इंदौर में वरिष्ठ पत्रकार और संपादक श्री प्रवीण शर्मा जी के बुलाबे पर इंदौर आना हुआ था, तो
उसी दौरान शायर राहत इंदौरी साहेब से मिलने का भी मौका मिला। जितनी अच्छी उनकी शायरी, उससे कमतर
नहीं लगे एक इंसान के रूप में राहत इंदौरी। बीते वर्ष भी इंदौर गया था। साथी पवन सोनी जी के साथ उनके
आवास पर जाने का कार्यक्रम था। मगर, उनकी तबियत नासाज थी। लिहाजा, मुलाकात न हो सकी। अब तो यह
मौका हमेशा के लिए खत्म हो गया।
मशहूर शायर, कवि व गीतकार राहत इंदौरी का निधन हो गया। राहत इंदौरी ने बीत दिन ही अपने कोरोना
पॉजिटिव होने की खबर सोशल मीडिया के माध्यम से दी थी और लोगों से उनके अच्छे स्वास्थ्य की दुआ करने के
लिए कहा था।लेकिन वो इस दुनिया को अलविदा कह कर रुख्सत हो गए। भले ही उन्होंने इस दुनिया को अलविदा
दिया हो लेकिन उनकी लिखी कविताएं, शायरियां और उनसे जुड़े किस्से उन्हें उनके चाहने वालों के दिलों में हमेशा
जिंदा रखेंगे। राहत इंदौरी के निधन पर उनके साथी गीतकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। डाॅ. राहत इंदौरी के
शेर हर लफ्ज़ के साथ मोहब्बत की नई शुरुआत करते हैं, यही नहीं वो अपनी ग़ज़लों के ज़रिए हस्तक्षेप भी करते
हैं। व्यवस्था को आइना भी दिखाते हैं। कोरोना से जंग के दौरान आज उनका निधन हो गया। उनके कहे शेर –
तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो
राहत बतौर शायर तो बहुत मशहूर थे ही लेकिन साथ ही उन्होंने बॉलीवुड के लिए भी तमाम नगमे लिखी थीं। कम
ही लोगों को इस बात का इल्म है कि राहत बॉलीवुड के लिए गाने भी लिखा करते थे। राहत इंदौरी ने मीनाक्षी
फिल्म में ये रिश्ता सॉन्ग लिखा था और फिल्म करीब में उन्होंने चोरी चोरी जब नजरें मिली सॉन्ग लिखा था जो
कि बहुत पॉपुलर हुआ। फिल्म हमेशा में राहत इंदौरी ने ऐ दिल हमें इतना बता सॉन्ग लिखा था जिसे उदित
नारायण ने आवाज दी थी। फिल्म मर्डर में राहत ने दिल को हजार बार रोका रोका रोका गाना लिखा था जो कि
काफी सुना गया। इसी तरह फिल्म इश्क, तमन्ना, जुर्म और मुन्ना भाई एमबीबीएस जैसी फिल्मों के लिए राहत
साहब ने छन्न छन्न, तुमसा कोई प्यारा, मेरी चाहतों का समंदर तो देखो, नींद चुराई मेरी किसने ओ सनम जैसे
गाने लिखे थे जो कि काफी पॉपुलर हुए। हालांकि आमतौर पर फिल्म के गानों का क्रेडिट सिंगर या उस फिल्म में
काम करने वाले एक्टर ले जाते हैं इसलिए बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि बॉलीवुड गानों के
लिरिक्स लिखने में भी राहत धुरंधर रहे थे।
राहत का जन्म इंदौर में 1 जनवरी 1950 में कपड़ा मिल के कर्मचारी रफ्तुल्लाह कुरैशी और मकबूल उन निशा
बेगम के यहाँ हुआ। वे उन दोनों की चौथी संतान हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा नूतन स्कूल इंदौर में हुई। उन्होंने
इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से 1973 में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 1975 में बरकतउल्लाह
विश्वविद्यालय, भोपाल से उर्दू साहित्य में एमए किया। तत्पश्चात 1985 में मध्य प्रदेश के मध्य प्रदेश भोज
मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। राहत इंदोरी जी ने शुरुवाती दौर में इंद्रकुमार
कॉलेज, इंदौर में उर्दू साहित्य का अध्यापन कार्य शुरू कर दिया। उनके छात्रों के मुताबिक वह कॉलेज के अच्छे
व्याख्याता थे। फिर बीच में वो मुशायरों में व्यस्त हो गए और पूरे भारत से और विदेशों से निमंत्रण प्राप्त करना
शुरू कर दिया। उनकी अनमोल क्षमता, कड़ी लगन और शब्दों की कला की एक विशिष्ट शैली थी ,जिसने बहुत
जल्दी व बहुत अच्छी तरह से जनता के बीच लोकप्रिय बना दिया। राहत साहेब ने बहुत जल्दी ही लोगों के दिलों में
अपने लिए एक खास जगह बना लिया और तीन से चार साल के भीतर ही उनकी कविता की खुशबू ने उन्हें उर्दू
साहित्य की दुनिया में एक प्रसिद्ध शायर बना दिया था। वह न सिर्फ पढ़ाई में प्रवीण थे बल्कि वो खेलकूद में भी
प्रवीण थे,वे स्कूल और कॉलेज स्तर पर फुटबॉल और हॉकी टीम के कप्तान भी थे। वह केवल 19 वर्ष के थे जब
उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में अपनी पहली शायरी सुनाई थी।
राहत जी की दो बड़ी बहनें थीं जिनके नाम तहज़ीब और तक़रीब थे,एक बड़े भाई अकील और फिर एक छोटे भाई
आदिल रहे। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी और राहत जी को शुरुआती दिनों में काफी मुश्किलों
का सामना करना पड़ा था। उन्होंने अपने ही शहर में एक साइन-चित्रकार के रूप में 10 साल से भी कम उम्र में
काम करना शुरू कर दिया था। चित्रकारी उनकी रुचि के क्षेत्रों में से एक थी और बहुत जल्द ही बहुत नाम अर्जित
किया था। वह कुछ ही समय में इंदौर के व्यस्ततम साइनबोर्ड चित्रकार बन गए। क्योंकि उनकी प्रतिभा, असाधारण
डिज़ाइन कौशल, शानदार रंग भावना और कल्पना की है कि और इसलिए वह प्रसिद्ध भी हैं। यह भी एक दौर था
कि ग्राहकों को राहत द्वारा चित्रित बोर्डों को पाने के लिए महीनों का इंतजार करना भी स्वीकार था। यहाँ की
दुकानों के लिए किया गया पेंट कई साइनबोर्ड्स पर इंदौर में आज भी देखा जा सकता है।उनका निधन 11 अगसत
2020 को दिल का दौरा(हार्ट अटैक)आने की वजह से हुआ ।
राहत के निधन पर दिग्गज गीतकार, फिल्म निर्देशक और शायर गुलजार ने भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।
गुलजार ने कहा, 'वो तो मुशायरों का लुटेरा था। जो दुनिया से विदा ले, उर्दू मुशायरों को खाली छोड़ गया। उसकी
जगह को कोई नहीं भर सकता। राहत अपनी तरह का इकलौता शायर था। मंच पर खड़ा होता तो पूरी महफिल लूट
लेता। हर उम्र और वक्त के सुनने वालों का चहेता था राहत। लोग उसका इंतजार करते थे, यूं तो मुशायरों में
मोहब्बत की बातें ज्यादा होती हैं लेकिन राहत ने हर मुकाम पर कलाम पढ़ा और लोगों ने उसे दिल में जगह दी।'