विनय गुप्ता
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाढ़ पूर्वानुमान के लिये एक स्थायी प्रणाली को लेकर
केंद्रीय एवं राज्य एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय की जरूरत पर सोमवार को जोर दिया। उन्होंने (बाढ़) पूर्वानुमान
एवं चेतावनी प्रणाली को बेहतर करने के लिये नवोन्मेषी प्रौद्योगिकी का व्यापक करने पर भी बल दिया। प्रधानमंत्री
ने देश के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ की स्थित की समीक्षा के लिये छह राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ एक डिजिटल
बैठक में यह टिप्पणी की। बैठक में असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल शामिल हुए। इस
बैठक का आयोजन दक्षिण-पश्चिम मानसून और देश में बाढ़ की मौजूदा स्थिति से निपटने में उनकी तैयारियों की
समीक्षा के लिये बुलाई गई थी। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के एक बयान में कहा गया है कि बैठक में मोदी ने
स्थानीय स्तर पर पूर्व चेतावनी प्रणाली में निवेश बढ़ाये जाने पर जोर दिया, ताकि इलाके के लोग नदी के तटबंध
में दरार पड़ने, इलाके के जलमग्न होने या बिजली गिरने जैसे खतरों के मामले में समय रहते आगाह हो सकें। यह
बैठक करीब डेढ़ घंटे चली, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री
नित्यानंद राय और जी किशन रेड्डी तथा केंद्रीय मंत्रालयों एवं संबद्ध संगठनों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी बल दिया कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर राज्यों द्वारा लोगों को राहत एवं
बचाव कोशिशों के दौरान मास्क पहनने, हाथ स्वच्छ रखने और एक दूसरे से पर्याप्त दूरी रखने जैसे स्वास्थ्य
संबंधी सभी एहतियातों का पालन अवश्य सुनिश्चित कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि राहत सामग्री में हाथ धोने एवं
सेनेटाइज करने के लिये वस्तुएं तथा प्रभावित लोगों के लिये मास्क के लिये प्रावधान शामिल किये जाएं। प्रधानमंत्री
ने कहा कि वृद्ध लोगों, गर्भवती महिलाओं और पहले से किसी बीमारी से ग्रसित लोगों के लिये विशेष प्रावधान
किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी विकास एवं बुनियादी ढांचा
परियोजनाएं स्थानीय आपदाओं को ध्यान में रखते हुए बनाई जाएं, जिससे आगे चल कर भविष्य में होने वाले
नुकसान को घटाने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने इस बात का जिक्र किया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत मौसम
विज्ञान विभाग और केंद्रीय जल आयोग जैसे पूर्वानुमान एजेंसियों ने बाढ़ पूर्वानुमान की कहीं अधिक बेहतर एवं
उपयोगी समन्वित कोशिशें की हैं। उन्होंने कहा कि वे न सिर्फ बारिश और नदी के जल स्तर के पूर्वानुमान मुहैया
कर रही हैं, बल्कि जलमग्न होने के संभावित स्थानों के बारे में भी सूचना दे रही हैं। स्थान विशेष आधारित
पूर्वानुमानों को बेहतर करने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी नवोन्मेषी प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिये पायलट
परियोजनाएं भी जारी हैं। इनके लिये राज्यों को इन एजेंसियों को आवश्यक सूचना मुहैया करनी चाहिए तथा समय
पर स्थानीय समुदायों को चेतावनी जारी करनी चाहिए। पीएमओ के बयान में कहा गया है, ‘‘प्रधानमंत्री ने बाढ
पूर्वानुमान के लिये एक स्थायी प्रणाली को लेकर सभी केंद्रीय एवं राज्य एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय तथा
बेहतर (बाढ़) पूर्वानुमान एवं चेतावनी प्रणाली के लिये नवोन्मेषी प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग पर जोर दिया।’’
बयान के मुताबिक असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल के मुख्यमंत्रियों और कर्नाटक के गृह मंत्री ने अपने-
अपने राज्य में बाढ़ की स्थिति तथा राहत एवं बचाव कार्यों पर ताजा जानकारी दी। उन्होंने राष्ट्रीय आपदा मोचन
बल (एनडीआरएफ) सहित केंद्रीय एजेंसियों की सराहना की क्योंकि उनकी टीमों के समय पर तैनाती से लोगों को
बचाने में मदद मिली है। राज्यों ने बाढ़ के प्रभाव को घटाने के लिये कुछ अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपायों के
लिये सुझाव भी दिये। प्रधानमंत्री ने अधिकारियों को इन सुझावों पर कार्य करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि
केंद्र विभिन्न आपदाओं से निपटने में राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को सहयोग मुहैया करना जारी रखेगा। बैठक में
उपस्थित लोगों के मुताबिक मोदी ने कहा कि वह सभी राज्यों का दौरा करते, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के
कारण ऐसा नहीं कर सके हैं।