नई दिल्ली। भारत और कनाडा ने मौजूदा अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूती प्रदान करके,
सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करके और सरकारों और संस्थानों के बीच नए सहयोगों की शुरुआत करके विज्ञान और
प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। यह बात सोमवार को जारी एक बयान में कही गई। बयान
छह अगस्त को ‘भारत-कनाडा सेंटर फॉर इनोवेटिव मल्टीडिसिप्लिनरी पार्टनरशिप टू एक्सीलरेट कम्युनिटी
ट्रांसफॉर्मेशन एंड सस्टेनेबिलिटी (आईसी-आईएमपीएसीटीएस) द्वारा आनलाइन आयोजित एक सम्मेलन के बाद
आया। बयान में कहा गया है कि सम्मेलन के उद्घाटन के बाद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) -जैव
प्रौद्योगिकी विभाग-आईसी-आईएमपीएसीटीएस कार्यक्रम के तहत हो रही द्विपक्षीय गतिविधियों पर विस्तृत
प्रस्तुतियां दी गईं। डीएसटी अंतरराष्ट्रीय सहयोग सलाहकार एवं प्रमुख एस के वार्ष्णेय ने उभरते विज्ञानों में संयुक्त
अनुसंधान और अनुसंधान को सामाजिक प्रासंगिकता के विपणन योग्य अनुप्रयोगों में तब्दील करने की क्षमता पर
प्रकाश डाला। डीएसटी सचिव आशुतोष शर्मा ने भारत-कनाडा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग के महत्व पर प्रकाश
डालते हुए कहा कि यह पता लगाया जाना चाहिए कि सहयोग को एक अलग स्तर पर कैसे ले जाया जा सकता है।
शर्मा ने कहा, ‘कृत्रिम बुद्धिमता, क्वांटम साइंसेज और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में नए अनुसंधानों की खोज के
अलावा, विज्ञान में विविधता और प्रौद्योगिकी इस्तेमाल में सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं को उनके बीच साझा किया जा सकता
है।’’ आईसी-आईएमपीएसीटीएस वैज्ञानिक निदेशक एवं सीईओ एन. बंतिया ने बताया कि आईसी-आईएमपीएसीटीएस
के चलते 1,129 प्रकाशन, 63 द्विपक्षीय शोध परियोजनाएं, 24 टेक्नोलॉजी डिप्लायमेंट, 352 साझेदारी और
29 पेटेंट हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लगभग 200 उच्च योग्यता वाले भारतीय छात्र और बड़ी संख्या में
कनाडाई छात्रों को आईसी-आईएमपीएसीटीएस तहत प्रशिक्षित किया गया।