मंदिर, मोदी और कोरोना

asiakhabar.com | August 6, 2020 | 5:51 pm IST

संयोग गुप्ता

बुधवार होने के कारण मुझे सुबह पूजा नहीं करनी थी व रोज की तुलना में मैं अपेक्षाकृत थोड़ा खाली था। अतः
अखबारों पर नजर डालने के बाद समय काटने के लिए टीवी देखने लगा। हर चैनल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा
अयोध्या में राम मंदिर के शिला पूजन के समाचार चल रहे थे। अगर सही कहे तो पूरा देश व हर चैनल तो मानो
फागमंच हो गया था। जैसे कि इस स्प्रे के विज्ञापन में कहा जता है कि आजकल तो फाग ही चल रहा है। वैसे ही
हर जगह मंदिर ही चल रहा था। साधू संतो की भीड़ में जब मोदी को पूजा करते देखा तो चैनलो के एंकरो को जो
कुछ कहते सुना उसे व्यय से बोलते समय इधर उधर बंदर बीच में रामचंदर की कहावत याद आ गई। प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी की तो मानो रामचंदर वाली हैसियत थी। चैनल दावा कर रहे थे कि यह ऐसा वर्तमान है जोकि अब
इतिहास बनने जा रहा है।
एक पुरानी कहावत है कि भगवान गंजे को नाखून नहीं देते। अगर भगवान ने मुझ जैसे गंजे को नाखून दिए होते
व मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट में शामिल लोगों या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दोस्ती होती
तो मैं इस मौके पर प्रधानमंत्री का विशेष तरीके से सत्कार करने के लिए कहता। मुझे याद आ गया जब मैं
जनसत्ता में था तब मेरे एक पारिवारिक मित्र रवींद्र जैन जोकि कांग्रेस व रामलीला परिवार से जुड़े थे। इनका मंचन
होने पर मुझे खबरे भेजते थे व मैं उन्हें छपवा देता था।
एक दिन वे मेरे पास आकर कहने लगे कि रामलीला कमेटी आपकी सेवाओं से प्रसन्न होकर आपका विशेष तौर पर
स्वागत करना चाहती है। हमने तय किया है कि चलती रामलीला को बीच में रोक कर हम लोग आपको मंच पर
बुलाएंगे व राम और हनुमान आ कर दुपट्टा पहना कर व हनुमानजी हमारे प्रतीक गदा को आप से खड़ा करवा
आपका सम्मान करेंगे। यह सब सुनकर मैं घबरा गया और मैंने उनसे ऐसा करने से माफी मांग ली जोकि उन्हें
पसंद नहीं आई। अगर मंदिर ट्रस्ट के लोग मेरी सलाह मानते तो मैं उनसे कहता कि इस ऐतिहासिक अवसर को
और ज्यादा यादगार बनाने के लिए आप लोग वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राम व लक्षमण द्वारा स्वागत करवाए
व हनुमानजी इस विशिष्ट अवसर पर उन पर फूल बरसाते। जब इसका लाइव प्रसारण होगा तो पूरी दुनिया देखती
रह जाएगी। मेरा मानना है कि जब नरेंद्र मोदी पूजा के बाद मंच पर बैठते तो उनके साथ में कुर्सी रखकर मुंह पर
मास्क लगाए राम लक्ष्मण को बैठा कर वे फोटोग्राफी में मोदी के कान में कुछ कहते नजर आते।
मेरा मानना है कि वे उनसे यह जरूर कहते कि जो लोग तुम्हारे द्वारा पूजन का समय चुने जाने की आलोचना कर
रहे है उनसे घबराना नहीं बल्कि सबसे सार्वजनिक रूप से कह देना कि हमारा मानना है कि राम का समय कैसा
हो, मंदिर का पूजन करने वाले व्यक्ति का समय ठीक होना चाहिए। भगवान राम व सीता की जन्मपत्री तो ऋषि
मुनियो ने मिलवाई नहीं होगी। जब मैंने स्वयंभर में धनुष तोड़ा तो देवताओं ने स्वर्ग से हम पर फूल बरसाएं थे।
मगर सीता के घर में आते ही मेरे पिता का स्वर्गवास हो गया व हम लोगो को 14 साल का बनवास मिला। वह

भी सुखद नहीं रहा। सीता को रावण उठाकर ले गया व अयोध्या लौटने के बाद भी मैं अपनी पत्नी के साथ वहां पर
राज नहीं कर पाया। इससे बड़ा समय का फेर और क्या हो सकता है।
अगर आपका अपना समय ठीक चल रहा है तो घडि़या कितनी भी खराब क्यों न हो सब ठीक ही चलता है। उनसे
यह कहने की जरूरत ही नहीं पड़ती कि यह मेरा समय ही तो अच्छा है कि जब देश का दीवाला निकल रहा है तो
हम लोग ही नहीं पूरा देश इस मौके पर दीवाली मना रहा है। वैसे किसी ने सोशल मीडिया पर एक बहुत सार्थक
संदेश भेजकर कहा है कि यह सबकुछ इस देश में ही हो सकता है कि जब देश गरीबी व कोरोना से जूझ रहा हो
तब वहां सब मंदिर निर्माण पर सारा जोर लगा दे।
सच कहूं तो मंदिर मुद्दा एक बार फिर कोरोना पर हावी हो गया है। मैंने चिकित्सक मामलो के विशेषज्ञ अपने मित्र
वरिष्ठ पत्रकार संजीव उपाध्याय से पूछा कि हमें कोरोना से कब फुरसत मिलेगी। क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन का
मानना है कि इसका जल्दी ही कोई स्थायी हल नहीं निकलने वाला है जबकि दुनिया भर में पौने दो सौ संस्थानों में
इसकी वैक्सीन की खोज चल रही है तो बावजूद इसके उसने कहा है कि इसका स्थायी हल निकलने की कोई हाल-
फिलहाल संभावना नजर नहीं आती है व इसका एकमात्र ईलाज बचाव है। सबसे अच्छी बात यह ही होगी कि आप
बीमार न पड़े।
कोरोना के बारे में आने वाली खबरे पढ़ कर मुझे वो दिन याद आ गए जबकि जनसत्ता में हमारे एक वरिष्ठ साथी
ने जनता दल के प्रति काफी लगाव होने के कारण लिखा था कि जनता दल टूट तो रहा है पर टूटेगा नहीं। यही
बात मुझे आज कोरोना के बारे में याद आती है कि सरकारी आंकड़ो में यह दावा किए जाने कि इसके मरीज कम
हो रहे हैं, ठीक होने वाले लोगों का प्रतिशत बढ़ रहा है। कोरोना जा तो रहा है पर जाएगा नहीं।
कई बार तो यह लगता है कि कोरोना तो देश में व्याप्त भ्रष्टाचार और गंदगी की तरह से हो गया है जिससे उसे
मुक्ति मिल पाना मुश्किल है। एक चुटकुला याद आ गया। एक व्यक्ति ने भगवान की बहुत तपस्या की व उनके
सामने आने पर पूछा कि भगवान इस देश से भ्रष्टाचार व गंदगी कब समाप्त होगी तो उन्होंने काफी देर तक
सोचने के बाद रोते हुए कहा कि बेटा क्या बताऊं, जो दिन तुम जानना चाहते हो उसे देखने के लिए मैं जिंदा नहीं
रहूंगा।


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