राजीव गोयल
नई दिल्ली। राजधानी में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वो उत्तरी
दिल्ली नगर निगम को अपने अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों का वेतन और मुआवजा देने के लिए 15 दिनों के
भीतर फंड रिलीज करें। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टरों को नियमित
तौर पर वेतन नहीं मिलता है बल्कि उन्हें वजीफा या पारिश्रमिक दिया जाता है इसलिए उसका भुगतान किया जाना
चाहिए। हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो उत्तरी दिल्ली नगर निगम को आठ करोड़ रुपये देने के
संबंध में जरुरी सभी दस्तावेजी काम पूरा करे। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि अगर इसे लेकर सभी
औपचारिकताएं पूरी नहीं की गईं तो संबंधित अफसरों पर कार्रवाई की जाएगी। पिछले 8 जुलाई को उत्तरी दिल्ली
नगर निगम ने कहा था कि वो डॉक्टरों समेत अपने कभी कर्मचारियों को इसलिए सैलरी नहीं दे पा रही है क्योंकि
दिल्ली ने पहली तिमाही का फंड रिलीज नहीं किया है। नगर निगम ने कहा था कि निगम का दिल्ली सरकार पर
162 करोड़ का बकाया था लेकिन उसके लिए केवल 27 करोड़ रुपये ही स्वीकृत किए गए। सुनवाई के दौरान
दिल्ली सरकार की ओर से एएसजी संजय जैन ने नगर निगम की इस दलील का विरोध करते हुए कहा था कि
नगर निगम को विभिन्न विभागों की ओर से दिए गए फंड के बारे में हलफनामा कोर्ट में सौंपा है। इस पर कोर्ट ने
दिल्ली सरकार से कहा था कि वो नगर निगम की चिंताओं को दूर करें। कोर्ट ने कहा था कि जब वकील कोर्ट में
आकर पैसे की मांग कर सकते हैं तो डॉक्टर जैसे कोरोना वारियर्स को सैलरी क्यों नहीं मिलनी चाहिए। कोर्ट ने
साफ किया कि वो केवल निगम द्वारा संचालित डॉक्टरों की सैलरी के मामले पर सुनवाई कर रही है सभी
कर्मचारियों के मामले की नहीं। पिछले 12 जून को हाईकोर्ट ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम को निर्देश दिया था कि
वो अपने छह अस्पतालों के डॉक्टरों को 19 जून तक उनकी सैलरी का भुगतान करे। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार,
दिल्ली सरकार और उत्तरी दिल्ली नगर निगम को नोटिस जारी किया था। दरअसल हाईकोर्ट ने नगर निगम के
डॉक्टरों को तीन महीने से वेतन नहीं मिलने के मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के
अस्पतालों के डॉक्टरों को पिछले फरवरी महीने के बाद सैलरी नहीं मिली है। इन अस्पतालों में हिन्दू राव और
कस्तूरबा गांधी अस्पताल भी शामिल हैं। कस्तूरबा अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने धमकी दी थी कि
अगर उन्हें 16 जून तक सैलरी नहीं दी गई तो वे सामूहिक इस्तीफा दे देंगे। एसोसिएशन ने अस्पताल के एडिशनल
मेडिकल सुपरिटेंडेंट को पत्र लिखकर कहा था कि उन्हें तीन महीने से सैलरी नहीं मिल रही है। पत्र में सैलरी नहीं तो
काम नहीं की बात की गई थी। एसोसिएशन ने कहा था कि कोरोना के संकट के दौर में डॉक्टर्स अपनी जान की
परवाह किए बिना काम कर रहे हैं। वे अपने घर का किराया, यात्रा का खर्च और दूसरी जरुरी चीजें भी नहीं खरीद
पा रहे हैं।