अर्पित गुप्ता
भारतीय सशस्त्र बलों का इंतजार आखिरकार खत्म हो गया है। सोमवार को फ्रांस के एयरबेस से पांच राफेल लड़ाकू
विमान ने भारत के लिए उड़ान भर ली है। इन विमानों को भारतीय वायुसेना के पायलट उड़ा रहे हैं और ये
रीफ्यूलिंग के लिए संयुक्त अरब अमीरात के अल धाफरा एयरबेस पर रुकेंगे। पांचों राफेल विमान 7364
किलोमीटर की हवाई दूरी तय करके बुधवार को अंबाला एयरबेस पहुंचेंगे। माना जा रहा है कि अगले हफ्ते इन पांचों
विमानों की तैनाती चीन सीमा विवाद के मद्देनजर की जाएगी। ये पांच विमान भारत और फ्रांस के बीच हुई 36
विमानों के समझौते की पहली खेप है। अब तक वायुसेना के 12 लड़ाकू पायलटों ने फ्रांस में राफेल लड़ाकू जेट पर
अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। कुछ और अपने प्रशिक्षण के उन्नत चरण में हैं। भारत और फ्रांस के बीच हुए
समझौते के अनुसार, दोनों देशों को कुल 36 वायुसेना पायलटों को फ्रेंच एविएटर्स द्वारा राफेल लड़ाकू जेट पर
प्रशिक्षित किया जाना है। जहां अधिकांश वायुसेना के पायलटों को फ्रांस में प्रशिक्षित किया जाएगा, वहीं कुछ भारत
में अभ्यास करेंगे। पहली खेप में भारत को 10 लड़ाकू विमान डिलीवर किए जाने थे लेकिन विमान तैयार न हो
पाने की वजह से फिलहाल पांच विमान भारत पहुंचेंगे।
चीन के साथ जारी सीमा विवाद के बीच राफेल विमान का भारत पहुंचना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे भविष्य
में राफेल विमानों की डिलीवरी में तेजी आने की आशंका है। वायुसेना अधिकारियों ने कहा कि राफेल विमानों के
आने के बाद वायुसेना की लड़ाकू क्षमताओं में और वृद्धि होगी। बता दें कि भारत ने लगभग 58 हजार करोड़ रुपए
में 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ एक अंतर-सरकारी समझौते पर
हस्ताक्षर किए थे। भारत को आज अपने पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन से जिस तरह की सामरिक चुनौतियां
मिल रही हैं और एशियाई क्षेत्र में जैसा शक्ति संतुलन बन रहा है, उसे देखते हुए वायुसेना का आधुनिकीकरण
अपरिहार्य हो गया है। आज तकनीक का जमाना है और युद्ध के तौर-तरीके भी बदल चुके हैं। सेकंडों में दुश्मन के
ठिकानों को नेस्तनाबूद करने वाले हथियार और विमान वायुसेना की जरूरत बन चुके हैं। कुछ समय पहले ही भारत
की वायुसेना में दुनिया के अत्याधुनिक लड़ाकू हेलिकॉप्टर-अपाचे एएच-64ई को शामिल किया गया था। ये
हेलिकॉप्टर अमेरिका से खरीदे गए थे। अभी भारत के पास आठ अपाचे हेलिकॉप्टर हैं। इनके अभाव में वायुसेना को
इन हेलिकॉप्टरों की जरूरत कई सालों से थी। अपाचे की मदद से पाकिस्तान के साथ लगी सीमा पर घुसपैठियों को
ढेर किया जा सकेगा। ये विमान अंधेरे में भी लक्ष्य को भेद सकते हैं।
ऐसे में अपाचे सीमा की सुरक्षा में ज्यादा कारगर साबित होंगे। इसके अलावा ऊंचे और दुर्गम पहाड़ी इलाकों में
सैनिकों को लाने-ले जाने, रसद और हथियार पहुंचाना वायुसेना के लिए अब तक मुश्किलों भरा काम साबित हो रहा
था। इसके लिए चिनूक हेलिकप्टर खरीदे गए थे। कुल मिला कर देखा जाए तो भारत ने वायुसेना को नए से नए
विमानों और हेलिकॉप्टरों से सुसज्जित करने की दिशा में काफी काम किया है। अपने साढ़े आठ दशक से ज्यादा के
सफर में भारत की वायुसेना ने जितने पड़ाव देखे हैं, वे उसकी सफल विकास यात्रा को बयान करते हैं। भारत को
चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध भी लडऩे पड़े और वायुसेना ने जिस शौर्य और सजगता के साथ दुश्मन देश के
छक्के छुड़ाए, उसे कैसे भुलाया जा सकता है! आज भारत के लिए गौरव की बात है कि उसकी वायुसेना दुनिया की
चौथी बड़ी और सर्वश्रेष्ठ वायुसेना में गिनी जाती है। राफेल विमान वायुसेना की ताकत में और इजाफा करेगा।
भारत की वायुसेना को लंबे समय से उन्नत विमानों की जरूरत थी। राफेल विमानों की खूबी यह है कि ये विमान
हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर और स्काल्प मिसाइलों से लैस हैं। इसके अलावा रफाल को वायुसेना ने
अपनी जरूरतों के हिसाब से तैयार करवाया है। अभी भारत के लड़ाकू विमानों के बेड़े में सुखोई, मिग-21 बायसन
और जगुआर जैसे विमान मोर्चा संभालते हैं।