संयोग गुप्ता
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कार्यकर्ता-वकील प्रशांत भूषण और पत्रकार तरुण तेजपाल
के वरिष्ठ वकीलों द्वारा और समय मांगने के बाद उनके खिलाफ 2009 के अवमानना मामले में सुनवाई चार
अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी है। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को कहा कि
वह कथित तौर पर अवमानना करने वाले व्यक्तियों की पैरवी कर रहे वकीलों को तैयारी के लिए समय देगी और
उसने मामले की सुनवाई चार अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।मामले में मध्यस्थ वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने
कहा कि उन्हें वीडियो कांफ्रेंस के जरिए दलीलें देने में काफी दिक्कत होती है और अगर सामान्य रूप से सुनवाई
शुरू होने के बाद मामले को सुना जाए तो बेहतर होगा।उन्होंने कहा कि वह अदालतों की डिजिटल माध्यम से हो
रही सुनवाइयों को लेकर सुविधाजनक महसूस नहीं करते।भूषण की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने
कहा कि यह मामला पिछले 9-10 वर्षों से लंबित था और उन्हें इसकी तैयारी के लिए समय की जरूरत है।पीठ ने
कहा कि संविधान पीठ तक के मामले वीडियो कांफ्रेंस के जरिए सुने जा रहे हैं।तरुण तेजपाल की ओर से पेश हुए
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, ‘‘अगर हमने नौ वर्षों तक इंतजार किया तो अब मुझे समझ नहीं आता कि
इतनी क्या जल्दी है।’’इस पर न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि अदालत मामले की सुनवाई में जल्दबाजी नहीं करेगी।जब
धवन ने कहा कि उनके पास मामले के सभी रिकॉर्ड नहीं हैं और शायद अदालत के पास ये रिकॉर्ड हैं तो इस पर
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि श्रीमान धवन आपकी बहुत अच्छी याददाश्त हैं और आप दलीलें देना
बहुत अच्छे तरीके से शुरू कर सकते हैं।’’पीठ ने वरिष्ठ वकील शांति भूषण से कहा कि वह बहुत बुजुर्ग हैं और
उन्हें इस मामले में दलीलें नहीं देनी चाहिए।सिब्बल ने अदालत से मामले में तैयारी के लिए थोड़ा समय देने का
फिर से अनुरोध किया।इसके बाद न्यायालय ने कहा कि वह तैयारी के लिए मामले में पैरवी करने के लिए वकीलों
को थोड़ा और समय दे रहा है और उसने मामले पर अगली सुनवाई के लिए चार अगस्त की तारीख तय कर
दी।उच्चतम न्यायालय ने एक समाचार पत्रिका को दिए साक्षात्कार में शीर्ष न्यायालय के कुछ मौजूदा और पूर्व
न्यायाधीशों पर कथित तौर पर आक्षेप लगाने के लिए नवंबर 2009 में भूषण और तेजपाल को अवमानना का
नोटिस जारी किया था। मामले को मई 2012 में आखिरी सुनवाई के बाद शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध
किया गया था।शीर्ष न्यायालय ने न्यायपालिका के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक ट्वीट करने के लिए
कार्यकर्ता-वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने पर स्वत: संज्ञान लेते हुए उन्हें 22
जुलाई को नोटिस जारी किया था। न्यायालय ने कहा कि उनके बयानों से प्रथम दृष्टया ‘‘न्याय के प्रशासन की
प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है।’’