विकास गुप्ता
कोरोना काल में जब पूरा देश इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में गंभीर था, ऐसे वक्त में भी देश में अन्य अपराधों
की तुलना में महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों में कोई कमी नहीं आई थी। राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय
अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार अफरातफरी के इस माहौल में भी देश के किसी न किसी कोने में
महिलाओं पर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से हिंसा बदस्तूर जारी रहा। ख़ास बात यह है कि यह हिंसा शिक्षित और
अशिक्षित दोनों प्रकार की महिलाओं के साथ होता रहा। हालांकि अशिक्षित महिलाओं की तुलना में पढ़ी लिखी औरतों
ने ज़ुल्म के खिलाफ मुखर होकर आवाज़ बुलंद की है, यही कारण है कि महिला हिंसा के खिलाफ ज़्यादातर रिपोर्ट
शहरी क्षेत्रों में दर्ज किये गए हैं। जबकि शिक्षा की कमी के कारण ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं इस हिंसा को झेलने
पर मजबूर हैं।
वास्तव में शिक्षा मनुष्य को जहां सही और गलत की पहचान कराती है, वहीं उनमें आत्मविश्वास का जज़्बा भी
पैदा करती है। यही कारण है कि केंद्र से लेकर देश की सभी राज्य सरकारें महिला शिक्षा को बढ़ावा देने पर भी ज़ोर
देती रही है। महिला शिक्षा को लेकर कई योजनाएं चलाई जाती रही हैं। उन्हें सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ने का मौका
दिया जाता रहा है। साइंस और कंप्यूटर के इस युग में महिलाओं का शिक्षित होना बहुत आवश्यक हो गया है। यदि
महिला पढ़ी-लिखी होगी तो न केवल अपने अधिकारों से परिचित होगी बल्कि आने वाली पीढ़ी का निर्माण भी शिक्षा
की नींव पर होगा। इतना ही नहीं एक शिक्षित महिला घर में आर्थिक रूप से भी सहायता कर सकती है। कहा जाता
है कि अगर एक लड़का पढ़ता है तो एक मनुष्य शिक्षित होता है, परंतु जब एक लड़की पढ़ती है तो न केवल दो
परिवार बल्कि आने वाली पीढ़ी भी शिक्षित होती है। इसलिए एक महिला का पढ़ा-लिखा होना बहुत ही आवश्यक है।
शिक्षित महिला जीवन में आने वाली हर समस्याओं का अपनी सूझबूझ से सामना कर सकती है।
वास्तव में महिला शिक्षा एक ऐसा शब्द है, जो लड़कियों और महिलाओं में न केवल शिक्षा बल्कि उसके स्वास्थ्य
के प्रति गंभीरता को भी दर्शाता है। स्वास्थ्य के प्रति शिक्षा की कमी के कारण ही देश की लाखों महिलाएं माहवारी
के दिनों में साफ़ सफाई के महत्व से अनजान रह कर बिमारी का शिकार हो जाती हैं। ऐसे में शिक्षा ही एकमात्र
रास्ता है जो उन्हें स्वस्थ्य और सशक्त बना सकता है। एक आंकड़े के अनुसार दुनियाभर में लगभग 65 मिलियन
लड़कियां स्कूली शिक्षा से वंचित हैं। उनमें से अधिकांश विकासशील और अविकसित देशों में हैं। दुनिया के सभी
देशों, विशेष रूप से विकासशील और अविकसित देशों को अपनी महिला शिक्षा की स्थिति में सुधार के लिए
आवश्यक कदम उठाने चाहिए। महिलाएं राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। भारत में हिंदी भाषी
क्षेत्रों में भी महिलाओं के शिक्षा का स्तर अन्य राज्यों की तुलना में ख़राब है। बात करें राजस्थान की तो 2011
की जनगणना के अनुसार यहां देश में सबसे कम महिला साक्षरता की दर रिकॉर्ड की गई है। पूरे देश में महिला
साक्षरता की दर 65.5 प्रतिशत की तुलना में राजस्थान में महज़ 52.7 प्रतिशत है।
महिलाएं समाज की आत्मा हैं। किसी समाज में महिलाओं के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है, उससे एक समाज
की मानसिकता का अंदाजा लगाया जा सकता है। एक शिक्षित पुरुष समाज को बेहतर बनाने के लिए बाहर जाता
है, जबकि एक शिक्षित महिला घर और उसके रहने वालों को बेहतर बनाती है। स्वास्थ्य महिलाओं के जीवन का
अधिक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यदि वे शिक्षित होंगी, तो वे स्वयं की देखभाल बेहतर तरीके से कर सकती हैं।
महिलाओं की मदद से पुरुषों की तुलना में उनके परिवार के स्वास्थ्य के बारे में अधिक चिंतित हैं और स्वच्छता
की भी बहुत समझ है। कामकाजी महिलाएं अपने परिवार के स्वास्थ्य के बारे में लगातार चिंतित रहती हैं और
किसी भी कीमत पर इससे समझौता नहीं करती हैं। एक बालिका, जो स्कूल नहीं जाती है, वह अपने घर के घरेलू
कामों में मदद के रूप में काम करती है। वहीं एक अशिक्षित महिला या लड़की को घरेलू मदद के रूप में काम
करने की सबसे अधिक संभावना होती है या अत्यधिक मामलों में देह व्यापार में धकेल दिया जाता है। जबकि पुरुषों
या लड़कों के विपरीत, जो अशिक्षित होने के बावजूद आसानी से अकुशल मजदूर के रूप में कार्यरत हो जाते हैं।
एक महिला घर की गरिमा होती है और एक समाज का न्याय इस बात पर निर्भर करता है कि उसका महिलाओं के
साथ कैसा व्यवहार है। यह केवल तभी है, जब एक महिला अपनी गरिमा और सम्मान की रक्षा करने में सक्षम
होगी। एक अशिक्षित महिला को अपनी गरिमा के लिए बोलने की हिम्मत की कमी हो सकती है, जबकि एक
शिक्षित महिला इसके लिए लडऩे के लिए पर्याप्त आश्वस्त होगी। शिक्षा ही किसी महिला को आत्मनिर्भर बना
सकती है। वह अपने अस्तित्व के साथ-साथ अपने बच्चों के अस्तित्व के लिए किसी पर निर्भर नहीं है। वह जानती
है कि वह शिक्षित है और पुरुषों की तरह समान रूप से नौकरी कर अपने परिवार की ज़रूरतों को पूरा कर सकती
है। एक महिला, जो आर्थिक रूप से स्वतंत्र है, अन्याय और शोषण के खिलाफ अपनी आवाज़ उठा सकती है। देश
और दुनिया में ऐसे ढ़ेरों उदाहरण हैं, जब महिलाओं ने अपने अपने देश की सरकार को कानून बदलने पर मजबूर
किया है। परिवार के लिए बेहतर जीवन स्तर महिलाओं की शिक्षा के फ़ायदों में से एक है। शिक्षा एक महिला के
जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हमें महिला शिक्षा की ओर हर हाल में ध्यान देना ही होगा। यह हमारी
जरूरत भी है और ज़िम्मेदारी भी है।