आकाश वर्मा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय
को बताया कि इस केंद्र शासित प्रदेश में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने के मुद्दे पर शीर्ष अदालत के निर्देश के
अनुसार एक विशेष समिति का गठन किया गया है। अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति एन वी रमन
न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ से वीडियो कांफ्रेन्सिग के माध्यम से हो रही
सुनवाई के दौरान कहा कि अधिकारियों के विरुद्ध कोई अवमानना का मामला नहीं बनता क्योंकि उन्होंने शीर्ष
अदालत के 11 मई के निर्देशों का पालन किया है। उन्होंने दावा किया कि जम्मू कश्मीर में आतंकवादी घटनाएं बढ़
रही हैं। न्यायालय ने 11 मई को जम्मू कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने की याचिकाओं पर विचार
करने के लिए केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में ‘विशेष समिति’ के गठन का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने
कहा था कि केंद्रशासित प्रदेश के ‘आतंकवाद से त्रस्त’ रहने के तथ्य के मद्देनजर राष्ट्रीय सुरक्षा और मानवाधिकारों
को संतुलित तरीके से देखना होगा। जम्मू कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवा पिछले साल अगस्त से निलंबित हैं जब
केंद्र ने राज्य का विशेष दर्जा समाप्त किये जाने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने की घोषणा की थी। इस
मामले की बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने केंद्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन से एक सप्ताह के अंदर
हलफनामे दाखिल करने को कहा जिनमें समिति के गठन और 4जी इंटरनेट सेवाओं को बंद करने के आदेशों पर
पुनर्विचार करते हुए उसके द्वारा लिए गए फैसलों का विवरण हो। शीर्ष अदालत केंद्रीय गृह सचिव अैर जम्मू
कश्मीर प्रशासन के मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई
कर रही थी। उन पर केंद्रशासित प्रदेश में 4जी इंटरनेट सेवाएं बहाल करने के बारे में विचार करने के लिए विशेष
समिति बनाने के न्यायालय के 11 मई के आदेश की जानबूझ कर अवज्ञा करने का आरोप लगाते हुए फाउंडेशन
फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स ने यह याचिका दायर की है। इस संगठन का आरोप है कि संबंधित प्राधिकारियों ने अभी
तक शीर्ष अदालत के आदेश के अनुरूप विशेष समिति का गठन नहीं किया है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ
अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने दावा किया कि आदेश का पालन नहीं किया गया और अधिकारी 4जी इंटरनेट सेवाएं
निलंबित करने के खिलाफ ज्ञापनों पर जवाब नहीं दे रहे। उन्होंने कहा कि अधिकारियों द्वारा जारी आदेश प्रकाशित
नहीं होने की वजह से कोई उन्हें अदालत में चुनौती नहीं दे सकता। इस पर पीठ ने कहा कि समिति के आदेश
सार्वजनिक किए जाने चाहिए। केंद्र की तरफ से वेणुगोपाल ने कहा कि 4जी इंटरनेट सेवा निलंबित करने के आदेश
को पूरी तरह सोच-विचार के बाद लागू किया गया था। जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार
मेहता ने पीठ से कहा कि विशेष समिति का गठन हो चुका है। अहमदी ने शीर्ष अदालत से कहा कि 4जी इंटरनेट
सेवा नहीं होने से राज्य के लोग प्रभावित हुए हैं और वहां छात्रों की ऑनलाइन कक्षाएं, चिकित्सा सुविधाएं, ई-
कॉमर्स और ऑनलाइन खरीदारी नहीं हो पा रही। केंद्रीय गृह मंत्री के पहले के एक बयान का जिक्र करते हुए
अहमदी ने दलील दी कि उन्होंने कहा था कि कश्मीर में 1990 के बाद से आतंकवाद सबसे कम स्तर पर है।