वाशिंगटन। भारत में बड़े व कड़े फैसले लेने और उन्हें कारगर तरीके से व्यापक तौर पर लागू करने की क्षमता है। इसलिए उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारत एक ज्यादा साफ-सुथरी और बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। अमेरिका पहुंचे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम के दौरान यह बात कही।
वह यहां जीएसटी लागू करने के बाद पहली बार अमेरिकी निवेशकों से मुखातिब थे। जेटली के मुताबिक भारत ऐसे वक्त सबसे खुली और वैश्विक रूप से एकीकृत अर्थव्यवस्था बना है, जब अन्य देश ज्यादा से ज्यादा संरक्षणवादी होते जा रहे हैं।
जेटली यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल और भारतीय उद्योग चैंबर सीआइआइ की ओर से संयुक्त तौर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत को अनौपचारिक से एक बहुत बड़ी औपचारिक अर्थव्यवस्था बनाने के लिए नोटबंदी, वित्तीय समावेश और जीएसटी जैसे तमाम कदम एक के बाद एक उठाने पड़ते हैं। उसके लिए ढांचा तैयार करना होता है।
जेटली ने कहा, “मेरा मानना है कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भारत के पास न सिर्फ एक विशाल बाजार, बल्कि अधिक स्वच्छ व बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता है। वह अब कड़े निर्णयों को लागू करने और कारगर तरीके से उन्हें मुकाम तक पहुंचाने में समर्थ है। भारत सरकार बड़ी संख्या में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं पर काम कर रही है।”
वित्त मंत्री ने कहा, “क्रमिक बदलाव हमेशा होते रहे हैं, मगर यह काम एक विशेष प्रक्रिया के तहत होता है। मेरा मानना है कि आज भारत के पास वह क्षमता है कि वह बड़े व महत्वपूर्ण विचारों को अपना सके और इन्हें लागू कर सके। इन बड़े बदलावों को लागू करने की राह में कई चुनौतियां भी आती हैं। देश के समूचे आर्थिक हालात को बेहतर बनाने के लिए कर दायरे को बढ़ाने की जरूरत है।”
हालांकि, उन्होंने माना कि जीएसटी को लागू करने के बाद मैन्यूफैक्चरिग में कुछ वक्त के लिए गिरावट आई, क्योंकि मैन्यूफैक्चरर अपने तैयार माल को पहले निकालना चाहते थे। इसलिए उन्होंने अपने कारखानों में उत्पादन अस्थायी तौर पर रोक दिया था। बदलाव के दौरान आने वाली ये छोटी दिक्कतें अक्सर आती हैं, मगर इससे दीर्घ अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था की राह पर असर नहीं पड़ेगा। जेटली इन दिनों एक हफ्ते के अमेरिकी दौरे पर हैं। यहां वह अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) और विश्वबैंक की सालाना बैठकों में शिरकत करेंगे।
विपक्षी दुष्प्रचार के बावजूद जीएसटी आसानी से लागू
जेटली ने कहा कि भारत की वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को अपनाने की राह लगभग निर्विघ्न रही है। विपक्ष की ओर से इसे बेपटरी करने की तमाम कोशिशों के बावजूद ऐसा हुआ है। खुद विपक्षी दलों की अगुआई वाली राज्य सरकारें इन प्रयासों से दूर रहीं, क्योंकि वे समझ रही हैं कि इस टैक्स का 80 फीसद हिस्सा राज्य के पास आएगा। इसीलिए उन्होंने अपनी पार्टी के कम जानकार केंद्रीय नेतृत्व की बात नहीं मानी। इस तरह अपने राज्य के राजस्व का नुकसान नहीं होने दिया।
जीएसटी के तहत भारत सरकार ने कई आकर्षक स्कीमें शुरू की हैं ताकि देश में कर अनुपालन की स्थिति को बेहतर बनाया जा सके। इस मामले में प्रमुख दिक्कत यह है कि जो लोग कर अनुपालन नहीं कर रहे थे, संयोगवश इसकी वजह से वे पकड़ में आ गए। इसके चलते कई तरह की शिकायतें सामने आ रही हैं। इनमें से कुछ कानूनी हैं। कुछ को टैक्स नहीं चुकाने वालों ने पैदा किया। ऐसे लोग कह रहे हैं कि जीएसटी उनके लिए समस्याएं उत्पन्न कर रहा है। सरकार के पास इतनी क्षमता होनी चाहिए कि वह सही और जानबूझकर पैदा की गई शिकायतों में भेद कर सकें।
रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ के पक्ष में आए लोग
इस कार्यक्रम में वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) के मामले में सरकार आम लोगों की राय को बदलकर इसके पक्ष में करने में कामयाब रही है। भारत सरकार ने डिफेंस मैन्यूफैक्चरिग जैसे अहम क्षेत्रों में एफडीआइ लाने का इंतजाम किया है। पहले रक्षा क्षेत्र को पवित्र मानते हुए विदेशी निवेश से इसे दूर रखा जा रहा था। काफी हद तक जनमत भी इसके खिलाफ था। आज हालत यह है कि अर्थव्यवस्था का हर क्षेत्र एफडीआइ का स्वागत करने के लिए तैयार है।