राजीव गोयल
नई दिल्ली। गलवान घाटी का वह पेट्रोलिंग प्वाइंट-14 अब पूरी तरह से खाली हो चुका है,
जहां 20 भारतीय जवानों ने शहादत दी थी। यहां से चीनी सेना के 2 किमी. पीछे हटने के साथ ही भारतीय
सैनिक भी 1.5 किमी. दूर चले गए हैं। दोनों देशों के बीच बनी सहमति के बाद भारतीय सैनिक भी अब इस खूनी
झड़प वाले स्थान तक पेट्रोलिंग नहीं कर सकेंगे। गलवान घाटी की सेटेलाइट तस्वीरों से साफ है कि भारत और चीन
की आमने-सामने की मोर्चाबंदी खत्म हो गई है। भारत ने अपनी सीमा में आने वाली गलवान घाटी के पेट्रोलिंग
प्वाइंट-14 तक एक सड़क बनाई है, जिससे सैनिक एलएसी से मिनटों में वहां पहुंच जाते थे। यहां से आगे का
रास्ता जोखिम भरा और ऊबड़-खाबड़ है, इसलिए चीनियों को अपने क्षेत्र से यहां तक आने में कई घंटे लगते हैं।
यही वजह थी कि चीनी सैनिक यहीं पर कब्जा जमाकर बैठ गए थे और भारतीय गश्ती दल के यहां पहुंचने पर
विरोध करते थे। इसके बावजूद भारतीय सेना का गश्ती दल 15 जून तक सड़क मार्ग से गलवान घाटी के पेट्रोलिंग
प्वाइंट-14 तक जाता था लेकिन 15/16 जून की रात की चीनियों के हिंसक हमले में 20 जवानों के शहीद होने
के बाद से यह क्रम टूट गया था। दोनों देशों के कोर कमांडरों की 30 जून को हुई वार्ता में बनी सहमति पर
पेट्रोलिंग प्वाइंट-14 से चीन की सेना 2 किमी. और भारत की सेना 1.5 किमी. अपनी-अपनी सीमा में पीछे चली
गई है। बैठक में पैदल गश्त के बारे में यह भी तय हुआ था कि भारत और चीन के सैनिक अगले 30 दिनों तक
ऐसा नहीं कर सकेंगे। इसी साइट के आसपास 3 किमी. का बफर जोन बनाया गया है। यानी भारत और चीन के
सैनिक एक-दूसरे से 3 किमी. दूर बफर जोन में रहेंगे। अब गलवान घाटी से भारत और चीन के सैनिकों की वापसी
पूरी हो चुकी है जिसका सत्यापन स्थानीय कमांडरों ने भी कर दिया है। इससे पहले चीनी सेना के कच्चे-पक्के
निर्माण हटने की पुष्टि भी ड्रोन का इस्तेमाल करके तस्वीरें लेकर की जा चुकी है। अमेरिका की स्पेस टेक्नॉलजी
कंपनी मैक्सर ने ताजा सेटलाइट तस्वीरें जारी की हैं जिनमें भी साफ दिख रहा है कि जहां पहले सैनिक मौजूद थे,
वह स्थान खाली हो चुका है। सेना के एक रिटायर्ड अधिकारी का कहना है कि चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा
(एलएसी) के भारतीय क्षेत्र में थे और यहां से उन्हें समझौते के तहत हटना पड़ा है। अगर लम्बे समय के लिए
भारत की पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 तक बंद रही तो भारतीय सैनिकों को स्थायी रूप से इस क्षेत्र में गश्त करने का
अधिकार खोना पड़ सकता है।