प्लाज्मा बैंक से उम्मीद

asiakhabar.com | July 9, 2020 | 12:44 pm IST
View Details

संयोग गुप्ता

भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 7 लाख पार कर चुकी है और भारत दुनिया का तीसरा
प्रभावित देश है। वायरस अब उन राज्यों में पहुंच रहा है जो या तो ग्रीन जोन बन चुके थे या फिर मामले काफी
कम थे। दुनिया के कई देशों में फिर से लॉकडाउन जैसी स्थिति है। समूची दुनिया में कोरोना वायरस से फैली
महामारी के सामने सबसे बड़ी चुनौती अब तक यही है कि इसका इलाज आखिर कैसे खोजा जाए। बल्कि यह
महामारी वैश्विक चिंता की वजह ही इसलिए बनी है कि इसका कोई कारगर इलाज अब तक नहीं ढूंढा जा सका है।
लेकिन यह भी सही है कि इसके लिए कई देशों में चिकित्सकीय अनुसंधान, परीक्षण और प्रयोग चल रहे हैं।
उम्मीद जताई जा रही है कि इससे बचाव के लिए जल्दी ही किसी टीके का निर्माण हो जाएगा। लेकिन इस बीच
पहले से मौजूद विकल्पों को आजमाने में कोई कमी नहीं की जा रही है, ताकि सीमित संसाधनों में लोगों की जान
बचाई जा सके।
खासतौर पर दिल्ली में जिस तरह कोरोना संक्रमितों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी तकनीक का इस्तेमाल किया गया
और उसमें अप्रत्याशित सफलता मिलने की बात कही गई, उसने उम्मीद की एक नई किरण जगाई। दिल्ली के
लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में कोरोना से संक्रमित 35 मरीजों के इलाज में प्लाज्मा तकनीक का इस्तेमाल
किए जाने और उनमें से 34 मरीज के ठीक होने का दावा किया गया। अगर इस तकनीक से इलाज में कामयाबी
की दर वास्तव में इतनी ज्यादा है, तो इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए! इसी के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने
प्लाज्मा बैंक बनाने की घोषणा की है, जो कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में मददगार साबित हो सके। इसमें

वैसे लोगों से रक्तदान करने की अपील की गई है, जो कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हो गए हैं। उनके रक्त से
प्लाज्मा निकाल कर मौजूदा मरीजों का इलाज किया जाएगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा
सके। प्लाज्मा बैंक किसी सामान्य रक्त बैंक की तरह ही काम करेंगे, लेकिन जाहिर है, उनमें कोरोना संक्रमण से
मुक्त होकर ठीक हो गए लोगों के रक्त होंगे।
दिल्ली सरकार का कहना है कि उसने प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल किया था, जो कामयाब रहा है। उत्साहजनक बात
यह थी कि कुछ समय पहले सरकार की अपील पर बिना किसी हिचक के वैसे लोग रक्तदान के लिए आगे आए,
जो कोरोना संक्रमित होकर ठीक हो चुके थे। लेकिन समस्या यह थी कि तात्कालिक इंतजामों के अलावा सरकार के
पास ऐसे रक्त के लिए अलग से बैंक जैसी कोई नियमित व्यवस्था नहीं थी। अब इसके लिए एक बैंक के काम
करना शुरू करने के बाद उम्मीद की जानी चाहिए कि इस तकनीक से मरीजों के कारगर इलाज में मदद मिल
सकेगी। इससे पहले इबोला, सार्स आदि बीमारियों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी का सहारा लिया गया था। अब चीन
और कोरिया में कोविड-19 मरीजों के इलाज में प्लाज्मा तकनीक के सफल प्रयोग होने की बात कही गई है। दूसरे
देश भी इसे आजमाने की ओर बढ़ रहे हैं।
गौरतलब है कि ताजा आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में 83 हजार से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हैं, लेकिन इनमें
से करीब 52 हजार लोग ठीक हो चुके हैं। यानी अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर प्लाज्मा तकनीक के जरिए
कोरोना के मरीज पूरी तरह ठीक हो सकते हैं और कोरोना संक्रमण से मुक्त लोग रक्तदान के लिए आगे आएं तो
इस महामारी से लडऩे में कितनी बड़ी मदद मिल सकती है। यह स्थिति देश भर में बन सकती है। लेकिन यह भी
ध्यान रखने की जरूरत है कि कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए अब तक जितनी भी पद्धतियां अपनाई गई
हैं, दवाइयों का सहारा लिया गया है, वे सभी फिलहाल प्रयोग और परीक्षण की अवस्था में हैं। परीक्षण और
कामयाबी की अपनी जटिलता होती है। इसलिए इस मामले में अपेक्षित सावधानी बरतने की जरूरत है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *