आकाश खत्री
नई दिल्ली। कोरोना संकट काल में सरकार एक तरफ तो डॉक्टरों व पैरा-मेडिकल स्टाफ को
कोरोना योद्धओं के नाम से पुकारती हैं, उनके सम्मान में तालियां बजाई जाती हैं, हवाई जहाजों से फूल तक
बरसाए जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ इन्हीं कोरोना योद्धाओं को समय पर वेतन न देकर उन्हें व उनके परिवार को
भूखे मरने पर मजबूर किया जा रहा है। ऐसे में इन कोरोना योद्धाओं को वेतन के लिए प्रशासन को हड़ताल की
धमकी देनी पड़ रही है, जिससे उन्हें वेतन मिल सके। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के कस्तूरबा अस्पताल में नर्सों एवं
डॉक्टरों को कई महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण उन्हें कोरोना संकट के समय विभिन्न समस्याओं का सामना
करना पड़ रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि आखिर यह सिलसिला कब तक चलेगा। निगम प्रशासन के पास
मेडिकल स्टाफ को देने के लिए वेतन ही नहीं है तो इन संस्थानों को बंद कर देना चाहिए। बीते माह कई महीनों से
वेतन नहीं मिलने के कारण डॉक्टरों ने काम रोकने और हड़ताल पर जाने की चेतावनी देकर प्रशासन को वेतन देने
के लिए बाध्य किया, तो उन्हें आगामी 15 दिनों में वेतेन देने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन उन्हें अभी
तक वेतन नहीं मिला है। कस्तूरबा गांधी हॉस्पीटल डॉक्टर्स संघ के प्रवक्ता डॉ. अभिमान के अनुसार उनके स्टाफ
को अभी तक वेतन नहीं मिला है, जबकि प्रशासन ने उनकी हड़ताल के बाद जो वायदा किया था उसके अनुसार
पिछले महीने उन्हें वेतन मिल जाना चाहिए था। कल उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर जय प्रकाश के दौरे के
दौरान भी डॉक्टर्स ने अपने वेतन के मुद्दे को उठाया, तो मेयर साबह ने भी हमें आगामी सप्ताह भर में वेतन
दिलाने का भरोसा दिया है। डॉक्टर अभिमान का कहना है कि कोरोना संकटकाल में वेतन नहीं मिलने से होने वाली
परेशानियों को कारण खुद कोरोना योद्धा ही मानसिक रोगी बन रहे हैं। डॉक्टर्स के बाद अब वही स्थिति यहां के
पैरा-मैडिकल स्टाफ के साथ बनी हुई है। वहीं जानकारी के अनुसार बीते कुछ दिनों में कस्तूरबा गांधी हॉस्पीटल के
कई कर्मचारियों ने तो यहां से जॉब भी छोड़ दी है। नर्सिंग स्टाफ ने सोमवार को की थी सांकेतिक हड़ताल बीते
सोमवार को कस्तूरबा गांधी हॉस्पीटल में नर्सिंग स्टाफ ने दो घंटे के लिए काम रोककर प्रशासन के खिलाफ
सांकेतिक हड़ताल भी की थी। नर्सिंग स्टाफ ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्हें बीते तीन महीने से
वेतन नहीं मिला है। वहीं प्रदर्शन में शामिल नर्सिंग स्टाफ ऑफिसर बीएल शर्मा ने कहा था कि हमें कोरोना संकट
काल में भी तीन-तीन महीने वेतन नहीं मिलेगा तो हम परिवार कैसे चलाएंगे। स्टाफ को अप्रेल, मई तथा जून का
वेतेन नहीं मिला है। प्रशासन हमें शीघ्र वेतन और अन्य बकाया राशी का भुगतान करे, नहीं तो हम आनेवाले दिनों
में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को मजबूर हो जाएंगे। नर्सिंग स्टाफ ऑफिसर मंजू देवी ने कहा कि सरकार
को यह बात समझ क्यों नहीं आती कि बिना वेतन के तीन से चार महीने परिवार चलाना आसान नहीं है। हमारे
अन्य खर्चे भी होते हैं। सरकार शीघ्र हमें वेतन दे, नहीं तो हमें मजबूरन काम रोकने और हड़ताल पर बैठने जैसा
सख्त कदम उठाना पड़ेगा। अगर हम ऐसा करते हैं तो कोरोना काल में अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा सकती
हैं।