बार-बार क्यों कांप रही हरियाणा की धरती

asiakhabar.com | July 5, 2020 | 2:16 pm IST
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विकास गुप्ता

एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोरोना वायरस जैसी महामारी को झेल रही है, तो वहीं दूसरी तरह प्रकृति भी नाराजएक तरफ जहां पूरी दुनिया कोरोना वायरस जैसी महामारी को झेल रही है, तो वहीं दूसरी तरह प्रकृति भी नाराजहै। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आकाशीय बिजली, बाढ़, आगजनी, तेल रिसाव और भूकंप के झटके महसूसकरवा रहे है कि मानव तू ठहर जा जरा। अंधाधुंध विकास कि होड़ में हमने प्रकृति कि कदर करनी छोड़ दी या फिरहमने ऐसी प्राकृत घटनाओं से निपटने की योजना बनाने की बजाय दूसरों ग्रहों पर जीवन ढूंढने में ताकत लगा दीकि हमारे पांवों के नीचे की जमीन खिसक गई, भारत में भी लोग ऐसी घटनाओं से खोफ्जदा है।दिल्ली से सटे हरियाणा के रोहतक की धरती पिछले कई दिनों से भूकंप के झटकों से काँप रही हैं, पिछले तीनमहीने में 15 से ज्यादा बार दिल्ली-एनसीआर की धरती कांप चुकी है। वहीं हरियाणा में भी लगातार भूकंप केझटके महसूस किए जा रहे हैं। यहां के लोग घरों के अंदर बार-बार आ रहे इन झटकों से परेशान है तो बाहरकोरोना का डर इनको न जीने दे रहा न मरने दे रहा। उत्तर भारत के अधिकांश शहर गंभीर और मध्यम तीव्रता केभूकंपीय खतरे से जूझ रहे हैं।ऐसा इंडो-ऑस्ट्रेलियन टेक्टोनिक प्लेट का यूरेशियन प्लेट के टकराने और फॉल्ट लाइन के एक्टिव होने से होता है।हाल ही में उत्तर भारत में भूकंप के झटके इसी का परिणाम है दिल्ली और हरियाणा के इलाकों में पांच मुख्यफॉल्ट-रिज लाइन दिल्ली-हरिद्वार कगार, महेंद्र गढ़-देहरादून भ्रंश, मुरादाबाद भ्रंश, सोहना भ्रंश, ग्रेट बाउंड्री भ्रंशऔर दो अन्य दिल्ली-सरगोडा कगार, यमुना तथा यमुना गंगा नदी की दरार रेखाएँ हैं जिसमे से महेंद्रगढ़-देहरादूनएक्टिव मॉड में आ चुकी है जिससे आजकल पूरा उत्तर भारत काँप रहा हैहमें आजकल किसी क्षेत्र में बड़े भूकंप के आने से पूर्व की थोड़ी सूचना तो मि जाती है। हालाँकि इस बात का स्पष्टपूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है कि कम तीव्रता के भूकंपीय झटकों के बाद कोई बड़ा भूकंप आएगा नहीं मगरएक मजबूत भूकंप की संभावना को कभी खारिज भी नहीं किया जा सकता है। भूकंप तथा विवर्तनिक व्यवस्था केआधार भारत को चार ‘भूकंपीय ज़ोनों’ में (2, 3, 4 और 5) वर्गीकृत किया गया हैं। भूकंपीय ज़ोन 5 और 6 मेंबड़े भूकंप की संभावना है जो पूरे हिमालय तथा दिल्ली -एनसीआर क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है।रोहतक और आस- पास के इलाकों में आये भूकंप के झटके महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट लाइन के एक्टिव होने से आयेहै इसके एक्टिव होने से से उत्तर भारत केदिल्ली-हरिद्वार रिज फॉल्ट लाइन और दिल्ली-सरगोदा फॉल्ट लाइन केक्षेत्रों में प्रभाव पड़ता है। मथुरा फॉल्ट लाइन में सक्रियता के कारण ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद तक भूकंप के झटकेआ चुके हैं। मथुरा फॉल्ट लाइन से ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद व दिल्ली का क्षेत्र प्रभावित होता है। सोहना फॉल्टलाइन से गुरुग्राम क्षेत्र बेहद ज्यादा प्रभावित होता है। वैसे भी महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट लाइन दिल्ली से सटेहरियाणा के रोहतक शहर के ठीक नीचे से गुजरती है जिसके कारण जमीन के अंदर की मामूली हलचल भी भूकंपके रूप ले लेती है और वहां की धरती काँप उठती है। दरअसल पृथ्वी के नीचे टैक्टोनिक प्लेटों में दरार होती है और
जब इन दरारों में हलचल होती है, तो वो आसपास का इलाका काँप उठता हैंहरियाणा के 12 जिले भूकंप के लिए अति संवेदनशील हैं रोहतक के गाँव चुलियाणा में भूकंप जिस केंद्र पर आयावो एरिया महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट का हिस्सा है। महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट लाइन हरियाणा के महेंद्रगढ़ से झज्जर,रोहतक, सोनीपत, पानीपत को कवर करते हुए उत्तराखंड के देहरादून में हिमालय के नीचे चली जाती है औरहिमालय से जुड़े होने की वजह से इस फॉल्ट में हलचल बनी रहती है। इस फॉल्ट लाइन पर छोटे-छोटे भूकंप आतेरहते हैं जो कभी-कभी हमें ज्यादा महसूस हो जाते है भूवैज्ञानिकों के अध्ययन अनुसार महेंद्रगढ़-दूहरादून फॉल्टजमीन की सतह से करीब एक किलोमीटर तक गहरा है।चुलियाणा एरिया रहा इसी फॉल्ट एरिया में आता है जो भूकंप के लिए काफी संवेदनशील है दिल्ली-एनसीआर कोदूसरे उच्चतम भूकंपीय खतरे वाले क्षेत्र (ज़ोन 4) के रूप में पहचाना गया है। जोन-चार में आने वाले जिलेसंवेदनशील माने जाते हैं। जोन-तीन कम प्रभावित क्षेत्र, जबकि जोन-दो में भूकंप आने की बेहद कम संभावनाएं हैं।राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र-दिल्ली’ में हाल ही में आए भूकंप के झटकों की श्रृंखला असामान्य नहीं है जोन-4 में भूकंप सेनुकसान की अधिक संभावना होती है। रोहतक के साथ-साथ आस -पास के लोगों को भी भविष्य में भूकंप के झटकेसहने को तैयार रहना चाहिए।वैसे तो भूकंप का सामान्यत: पूर्वानुमान संभव ही नहीं हैं। हाँ ये हमें पता है कि भारत के भूकंपीय ज़ोन 5 और 4में बड़े भूकंप की संभावना है जो पूरे हिमालय तथा दिल्ली -एनसीआर क्षेत्र को हिल्ला सकता है। दिल्ली के आस-पास के रोहतक वाला क्षेत्र भूकंप से उच्च क्षति जोखिम वाले क्षेत्र में स्थित है। 15 मई 2020 के बाद से, नेशनलसेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने यहाँ बहुत से छोटे भूकंप दर्ज किए हैं, जो कि रिक्टर पैमाने पर 1.8 से 4.5 तक हैं,जिसमें फरीदाबाद, रोहतक और नई दिल्ली शामिल हैं।वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि राष्ट्रीय राजधानी हिमालय की तलहटी में आने वाले बड़े पैमाने पर भूकंप का गवाहबन सकती है। दिल्ली जैसे घनी आबादी वाले शहर में तो इस तरह के भूकंप का प्रभाव "भारी नुकसान" हो सकताहै। इसलिए समय रहते जीवन तथा संपत्तियों के नुकसान को कम करने का एकमात्र उपाय भूकंप के खिलाफ प्रभावीतैयारी है। इस मामले में जापान जैसे देशों के साथ बेहतर सहयोग स्थापित किया जा सकता है। साथ ही हमेंनगरीय नियोजन तथा भवनों के निर्माण में आवश्यक भूकंपीय मानकों को सख्ती से लागू किये जाने कीआवश्यकता है। याद रहे कि भूकंपीय आपदा के प्रबंधन के लिए लोगों की भागीदारी, सहयोग और जागरूकता बढ़ानेकी आवश्यकता है।वैज्ञानिकों ने भी केंद्र और दिल्ली सरकारों से निवारक उपाय करने और जागरूकता पैदा करने का आग्रह किया है।साथ ही हमें भविष्य के लिए सिंथेटिक आर्टिकुलर रडार तकनीक विकसित करनी होगी, जिसकी रिमोट सेंसिंगतकनीक का उपयोग भूकंप की घटना और पैमाने का आकलन करने के लिए किया जा सके। अब आगे से मकानों,
इमारतों, पुलों को भूकंपरोधी बनाने की आंदोलनकारी पहल होनी चाहिए। इसके साथ-साथ लोगों को अपने घरों कोसुरक्षित और भूकंप प्रतिरोधी बनाने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में इन तकनीकों को अपनाना चाहिए।


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