भगवान बुद्ध के आदर्शों से हो सकता है विश्व के सामने खड़ी चुनौतियों का स्थानीय समाधान : मोदी

asiakhabar.com | July 4, 2020 | 4:44 pm IST

विनय गुप्ता

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि मौजूदा समय में जब विश्व
असाधारण चुनौतियों से निपट रहा है तो इनका स्थायी समाधान भगवान बुद्ध के आदर्शों से मिल सकता है।मोदी
ने यहां ‘धम्म चक्र दिवस’ समारोह को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधन के दौरान कहा कि सारनाथ में दिए
अपने पहले उपदेश में भगवान बुद्ध ने आशा और उद्देश्य का उल्लेख किया था। भगवान बुद्ध के लिए यह
मानवीय पीड़ा का निराकरण था। उन्होंने कहा, ‘‘हमें लोगों के बीच आशा पैदा करने के लिए जो भी हो सकता है,
वो करना होगा।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का स्टार्ट-अप क्षेत्र इस बात का उदाहरण है कि कैसे आशा, नवाचार
और करुणा से पीड़ा को खत्म किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘उज्ज्वल युवा सोच आज वैश्विक समस्याओं का
समाधान पा रही है। आज भारत में स्टार्ट-अप का एक बहुत बड़ा तंत्र है।’’ भगवान बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग का
उल्लेख करते हुए कहा कि यह समाज और राष्ट्रों के कल्याण की तरफ का रास्ता दिखाता है। उन्होंने कहा कि यह
करुणा और दया की महत्ता को उजागर करता है। भगवान बुद्ध के उपदेश ‘विचार और कार्य’ दोनों में सरलता की
सीख देते हैं।मोदी ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘आज विश्व असाधारण चुनौतियों से निपट रहा है। इन चुनौतियों का
स्थायी समाधान भगवान बुद्ध के आदर्शों से मिल सकता है। ये पूर्व में भी प्रासंगिक थे। ये वर्तमान में भी
प्रासंगिक हैं और ये भविष्य में भी प्रासंगिक रहेंगे।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि बौद्ध धर्म सम्मान की शिक्षा देता है।
लोगों के लिए सम्मान, गरीबों के लिए सम्मान। शांति और अहिंसा के लिए सम्मान। ऐसे में बौद्ध धर्म की शिक्षाएं
समूचे ब्रह्मांड के लिए हैं। मोदी ने कहा कि वह 21वीं सदी को लेकर आशान्वित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह आशा
हमारे युवा मित्रों से पैदा होती है। मैं युवा मित्रों से आग्रह करना चाहूंगा कि वे भगवान बुद्ध के विचारों से जुड़े
रहिए। ये आपको प्रेरित करेंगे और आगे का रास्ता दिखाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि समय की जरूरत है कि बौद्ध
धर्म से जुड़े धरोहरों के साथ ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ा जाए। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि हाल ही
में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया कि कुशीनगर हवाई अड्डा अंतरराष्ट्रीय होगा। इससे बहुत सारे लोग, श्रद्धालु
और पर्यटक आएंगे तथा बहुत सारे लोगों के लिए आर्थिक अवसर भी पैदा होंगे।’’ ‘धम्म चक्र’ दिवस आषाढ़ पूर्णिमा
को मनाया जाता है।


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