नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के नेता मियां अब्दुल
कयूम की पिछले साल सात अगस्त से जनसुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिये जाने के आदेश को चुनौती देने
वाली याचिका पर शुक्रवार को जम्मू कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और
न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से अब्दुल कयूम की याचिका पर सुनवाई की
और जम्मू कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया। पीठ ने प्रशासन को शीर्ष अदालत के दुबारा शुरू होने पर पहले
सप्ताह तक नोटिस का जवाब देने का निर्देश दिया है। वरिष्ठ अधिक्ता दुष्यंत दवे और अधिवक्ता वृन्दा ग्रोवर ने
पीठ से कहा कि उन्होंने जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के 28 मई के आदेश को चुनौती दी है जिसमें कयूम को
जम्मू कश्मीर जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में रखने को सही ठहराया है। पीठ ने याचिका पर सुनवाई के
दौरान इस समय तिहाड़ जेल में बंद अब्दुल कयूम को दैनिक जरूरत की कुछ बुनियादी सुविधायें उपलब्ध कराने का
अंतरिम निर्देश भी दिया। याचिका में कयूम ने कहा है कि उन्हें चार और पांच अगस्त, 2019 की रात में जम्मू
कश्मीर दंड प्रक्रिया संहिता के तहत हिरासत में लिया गया और इसके बाद सात अगस्त, 2019 को उनके खिलाफ
जन सुरक्षा कानून लगा दिया गया। कयूम के अनुसार आठ अगस्त को उन्हें बगैर किसी पूर्व सूचना के उत्तर प्रदेश
के आगरा जिले में केन्द्रीय जेल ले जाया गया जहां उन्हें एकांत में बंद रखा गया। कयूम ने याचिका में कहा है कि
उच्च न्यायालय का 28 मई का आदेश कानून की नजर में टिक नहीं सकता है क्योंकि यह खामियों से भरा है।
कयूम का कहना है कि उच्च न्यायालय ने यह एकदम स्पष्ट किया है कि नजरबंदी का आदेश 2008 से 2010
के दौरान दर्ज चार प्राथमिकियों पर आधारित है। ये प्राथमिकी पुरानी और अप्रासंगिक हैं तथा उनका मौजूदा स्थिति
से कोई संबंध नहीं हैं। याचिका में कहा गया है कि उन्हें 2010 में इन्हीं प्राथमिकी के आधार पर जन सुरक्षा
कानून के तहत नजरबंद किया गया था लेकिन बाद में नजरबंदी का आदेश वापस ले लिया गया था। अत: इन
पुरानी प्राथमिकी को जन सुरक्षा कानून के तहत नजरबंदी के किसी अन्य आदेश का आधार नहीं बनाया जा सकता।
कयूम ने कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित होने का याचिका में दावा करते हुये कहा है कि कोविड-19 महामारी की
वजह से उनके स्वास्थ्य को ज्यादा खतरा है। उन्होंने मौजूदा याचिका लंबित होने के दौरान अंतरिम राहत के रूप में
उन्हें श्रीनगर की सेन्ट्रल जेल में स्थानांतरित करने और कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सभी जरूरी चिकित्सा
सुविधायें उपलब्ध कराने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है।