देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना जरूरी : धर्मेन्द्र प्रधान

asiakhabar.com | June 27, 2020 | 11:28 am IST
View Details

नई दिल्ली। केन्द्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैसमंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने चंडीगढ़ में तत्काल
बैटरी अदला बदली (बैटरी स्वैपिंग) सुविधा सेवा का उद्घाटन किया। इस अवसर पर बोलते हुए प्रधान ने कहा,
‘मुझे खुशी है कि इंडियन ऑयल और सन मोबिलिटी ने इस सुविधा को आधुनिक और सुंदर शहर चंडीगढ़ में एक
पायलट परियोजना के रूप में स्थापित करने के लिए साथ आए हैं।’ देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को
बढ़ावा देने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा, ‘हमें भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए और इन्हें
और सस्ता बनाने के लिए आधुनिक तकनीक का लाभ उठाना चाहिए।’ बैटरी स्वैपिंग तकनीक बैटरी के धीमी गति
से चार्ज होने का सबसे अच्छा विकल्प प्रदान करती है और इलेक्ट्रिक वाहन चालकों को परिचालन समय का
इष्टतम उपयोग करने में मदद करती है। बैटरी स्वैपिंग मॉडल का इस्तेमाल शुरुआती चरण में वाणिज्यिक
इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे ऑटो रिक्शा और दोपहिया वाहनों के लिए करने का लक्ष्य रखा गया है जिनमें बैटरी निर्माता
कंपनी की ओर से पहले ही फिट की जाती है या फिर बाद में लगायी जाती है। इंडियन ऑयल ने चुनिंदा शहरों में
अपने रिटेल आउटलेट्स पर बैटरी स्वैपिंग मॉडल के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशन बनाए जाने के
लिए जरूरी अवसंरचना विकसित करने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए मेसर्स सन मोबिलिटी के साथ एक
गैर-बाध्यकारी करार किया है। इंडियन ऑयल का इरादा देश के कुछ चुनिंदा शहरों में ई-रिक्शा, ई-कार्ट, ई-बाइक
और ई-ऑटो रिक्शा जैसे वाहनों के लिए 20 से 25 त्वरित इंटरचेंज स्टेशनों से युक्त सेवाओं वाली पायलट
परियोजना चलाने तथा इसके माध्यम से एसएमपीएल (स्मार्ट मोबिलिटी प्रोपराइटरी सॉल्यूशंस) सुविधा प्रदान करने
का है। भारत में सन मोबिलिटी की नई दिल्ली, गुरुग्राम, बेंगलुरु, चंडीगढ़ और अमृतसर सहित कई शहरों में 20
ऐसे क्यूआईएस स्थापित करने की योजना है। पायलट आरओ-क्यूआइएस में 14 बैटरियां हैं, प्रीलोडेड कार्ड स्वैप
करने के लिए एक टच स्क्रीन और एक बिजली सब मीटर है। ये क्यूआईएस तिपहिया श्रेणी के वाहनों के लिए
वैकल्पिक ऊर्जा समाधान प्रदान करने के साथ ही भारत की आर्थिक वृद्धि को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका
निभाएंगे। यह कार्बन न्यूट्रल संस्कृति की ओर अग्रसर देश के ऊर्जा क्षेत्र में सुधार की एक बड़ी पहल साबित हो
सकती है। स्वच्छ ऊर्जा के लिए भारत की प्रतिबद्धता के बारे में बात करते हुए प्रधान ने कहा कि प्रति व्यक्ति
कार्बन उत्सर्जन के मामले में दुनिया के कई देशों से पीछे रहने के बावजूद देश में प्रदूषण के स्तर को कम करने के
लिए भारत ने पेरिस जलवायु समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि भारत इस दिशा
में अक्षय ऊर्जा के स्थायी मॉडल विकसित कर रहा है और बीएस-VI ईंधन के इस्तेमाल की शुरुआत, सीएनजी और
पीएनजी स्टेशनों के नेटवर्क का विस्तार, आबादी के एक बड़े हिस्से को एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराना, ईंधन
में20 प्रतिशत इथेनॉल सम्मिश्रण को लक्षित करना, खाना पकाने के तेल से बायोडीजल का उत्पादन और परिवहन
सेवाओं के लिए व्यापक स्तर पर सौर ऊर्जा का इस्तेमाल जैसी कई पहल की है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *