शिशिर गुप्ता
कोरोना के कहर की वजह से पीडि़त लोगों में ठीक होने वालों की तादाद बीमार लोगों से पहली बार ज्यादा हो गई
है। हालांकि, इस आंकड़े की मदद से अभी कोई स्पष्ट नतीजा नहीं निकाला जा सकता है। कोरोना का कहर शुरू
होने के बाद से बीते सप्ताह पहली बार इस महामारी से लड़कर जीत जाने वालों की तादाद एक लाख 35 हजार
205 हो गई है और यह संख्या हर दिन के हिसाब से बढ़ रही है। इस बात के मनोवैज्ञानिक प्रभाव से इनकार नहीं
किया जा सकता लेकिन क्या इस आधार पर यह नतीजा निकालना उचित होगा कि भारत में महामारी का जोर अब
कम होना शुरू हो गया है? जबकि कहा यह जा रहा है कि जुलाई-अगस्त में संक्रमण की दर सबसे ऊंचे स्तर पर
होगी। इस सवाल का सही जवाब पाने के लिए हमें दो बिंदुओं पर ध्यान देना होगा। पहला यह कि रोज आने वाले
मामलों में कमी का कोई रुझान दिख रहा है या नहीं। साफ है कि ऐसा कुछ नहीं हो रहा। मई के अंत में रोजाना
औसतन पांच हजार मामले आने शुरू हुए तो घबराहट होने लगी थी। लेकिन इधर एक हफ्ते से लगभग दस हजार
मामले हर रोज दर्ज किए जाने लगे हैं। दूसरा बिंदु यह कि रिकवर या ठीक हो चुका मामला किसे मानते हैं।
इस सवाल का सही जवाब पाने के लिए हमें दो बिंदुओं पर ध्यान देना होगा। पहला यह कि रोज आने वाले मामलों
में कमी का कोई रुझान दिख रहा है या नहीं। साफ है कि ऐसा कुछ नहीं हो रहा। मई के अंत में रोजाना औसतन
पांच हजार मामले आने शुरू हुए तो घबराहट सी होने लगी थी। लेकिन इधर एक हफ्ते से लगभग दस हजार मामले
हर रोज दर्ज किए जाने लगे हैं। दूसरा खास बिंदु यह कि रिकवर या ठीक हो चुका मामला हम किसे मानते हैं।
सरकारी गाइडलाइन के मुताबिक जो मरीज बहुत कमजोर नहीं हैं उन्हें डिस्चार्ज करने से पहले कोरोना टेस्ट के लिए
नहीं कहा जा रहा। यह भी कि तीन दिन से बुखार न आ रहा हो और कोई अन्य स्पष्ट लक्षण भी न हो तो घर पर
क्वारंटीन की सलाह देकर ऐसे मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया जाए। जाहिर है, ऐसे सभी मरीज डिस्चाज्र्ड/रिकवर्ड
लिस्ट में शामिल हैं। ऐसी कोई स्टडी अभी नहीं आई है जिससे पता चले कि अस्पताल से डिस्चार्ज हुए मरीजों में
से क्या किसी में दोबारा बीमारी के लक्षण दिखे हैं, या यह कि उनमें से किसी ने क्या किसी अन्य व्यक्ति को
संक्रमित किया है।
गाइडलाइंस में अगर किसी सुधार की जरूरत हुई तो वह इस छानबीन से निकली जानकारियों के बल पर ही संभव
हो पाएगा। जहां तक भारत की मौजूदा स्थिति का सवाल है तो जापानी सिक्योरिटीज रिसर्च फर्म नोमुरा की हालिया
स्टडी गौर करने लायक है। दुनिया के कुल 45 निवेश ठिकानों की इस स्टडी रिपोर्ट में वहां लॉकडाउन हटाने के
क्रम में पैदा हो रही स्थितियों का जायजा लिया गया है। रिपोर्ट भारत को उन 15 देशों में रखती है जो लॉकडाउन
हटाने के क्रम में अधिक खतरे की स्थिति में माने जा रहे हैं। बाकी 30 में से 17 देश ऐसे हैं जहां महामारी की
दूसरी लहर आने की संभावना नगण्य है, जबकि 13 को खतरे से सजग रहने को कहा है।
सीधे खतरे में रखे गए अमेरिका, ब्रिटेन और भारत जैसे देशों को लेकर यह अंदेशा भी जताया गया है कि यहां
अनलॉकिंग के बाद संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़ सकते हैं, जिससे कुछ जगहों पर लॉकडाउन की वापसी
जरूरी हो सकती है। ऐसा भला कौन चाहेगा? अनलॉकिंग के साथ देश में जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है।
हमें किसी भ्रम में नहीं पडऩा होगा और हर जरूरी एहतियात बरतते हुए अनलॉकिंग को और आगे ले जाना होगा।
साथ ही संक्रमण की दर को थामे रखने का भी प्रयत्न करना होगा, ताकि देश किसी संकट में न फंसे।