नापाक साजिश धुआं-धुआं

asiakhabar.com | May 30, 2020 | 5:12 pm IST
View Details

विनय गुप्ता
कश्मीर में पुलवामा दोहराने की आतंकी साजिश नाकाम कर दी गई। साजिश का प्रारूप लगभग फरवरी, 2019
जैसा ही था, जिस आतंकी हमले में हमारे 44 रणबांकुरे शहीद हुए थे। इस बार खुफिया, सेना, सुरक्षा बल और
स्थानीय पुलिस की साझा रणनीति कारगर साबित हुई। चारों इकाइयों को देश सलाम करता है, आभार व्यक्त
करता है। साझा रणनीति के कारण ही कार में रखे 45-50 किलोग्राम विस्फोटक और आईईडी को निष्क्रिय किया
जा सका। परखच्चे कार के नहीं उड़े, बल्कि सीमापार बैठे आतंकवाद के भाईजान के नापाक मंसूबों के भी उड़े होंगे!
विस्फोटक इतना ताकतवर था कि धमाके के बाद चारों ओर धुआं-धुआं ही फैला था। कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा

था। करीब 200 मीटर की परिधि वाले मकानों के शीशे भी किरचों में तबदील हो गए। हालांकि साझा ऑपरेशन की
नाकेबंदी आतंकियों को दबोच नहीं सकी, क्योंकि अंधेरे का फायदा उठाकर वे फरार हो गए। हमारे सुरक्षा बल उन्हें
छोड़ने वाले नहीं हैं। गौरतलब यह है कि यह कोरोना वायरस की महामारी का दौर है। संक्रमण फैल रहा है, लोग
मर रहे हैं। दुनिया भर में बड़े त्रासद और भयावह दृश्य सामने आए हैं। पाकिस्तान भी इस महामारी को झेल रहा
है, बेशक वह अपने अवाम को लेकर गंभीर नहीं है, लेकिन दुनियाभर में 59 लाख से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमण
की गिरफ्त में जकड़े जा चुके हैं। चूंकि कश्मीर में लॉकडाउन के कारण काफी-कुछ बंद था, लिहाजा उसकी आड़ में
आतंकी हमले की साजिश को अंजाम देने की योजना थी। वैसे भी पाकिस्तान की नापाक हरकतें जारी रही हैं। भारत
में 30 जनवरी को कोरोना का पहला संक्रमित केस सामने आया था। तब से लेकर आज तक पाकिस्तान 1547
बार संघर्षविराम उल्लंघन कर चुका है। हालांकि इस कालखंड के दौरान हमारे सैनिकों और सुरक्षा बलों ने 64
आतंकियों को ढेर किया। आतंकवाद के कई कमांडरों को भी मार गिराया, लेकिन इन ऑपरेशनों में 29 सुरक्षाकर्मी
भी शहीद हुए। आखिर पाकिस्तान के इस आतंकवाद की निरंतरता भारत कब और कैसे तोड़ेगा? पुलवामा के पहले
आतंकी हमले में पाकिस्तान कामयाब रहा था, लेकिन उसे पलटवार के तौर पर बालाकोट हवाई आक्रमण झेलना
पड़ा था। आतंकवाद की रीढ़ तोड़ दी गई थी, क्योंकि उस ऑपरेशन में कई आतंकी मारे गए थे और आतंकी अड्डे
‘मलबा’ हो गए थे। अब हैरत यह है कि आज भी 300 से ज्यादा आतंकी लॉन्च पैड पर मौजूद हैं और करीब 150
आतंकी कश्मीर घाटी में सक्रिय हैं। जाहिर है कि एक और बालाकोट या सर्जिकल स्ट्राइक की दरकार है, लेकिन
ऑपरेशन पहले से बड़ा और गहरे प्रभाव वाला होना चाहिए। यह चिंतन सरकार और सैन्य अधिकारियों के बीच हुआ
होगा अथवा प्रक्रिया जारी होगी, लेकिन आतंकवाद किसी संवाद या कूटनीतिक विमर्श से समाप्त नहीं हुआ करते।
पाकिस्तान के साथ भारत का औपचारिक द्विपक्षीय संवाद फिलहाल नहीं है, क्योंकि आतंकवाद और संवाद को
साथ-साथ जीने का पक्षधर भारत नहीं है। पाकपरस्त ताकतों और साजिशों ने बीते 20 दिनों में छह आतंकी हमले
अंजाम दिए हैं। उनमें पांच आतंकी ढेर किए गए हैं, लेकिन चार जवानों की शहादत से हमें भी बड़ा नुकसान हुआ
है। एक औसत जवान यूं ही तैयार नहीं हो जाता। एक और गौरतलब तथ्य यह है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद
370 खत्म करने के बाद 90 आतंकी मारे गए हैं, लेकिन हमारे 33 रणबांकुरे भी शहीद हुए हैं। यकीनन
आतंकवाद के 30 साला इतिहास में लड़ाई भारत और उसके बहादुर जवान ही जीतते रहे हैं, लेकिन मौजूदा दौर में
यह कब तक जारी रहेगा? पुलवामा को दोहराने की साजिश में भी पाकिस्तान की ही भागीदारी थी, क्योंकि वहां के
कुख्यात आतंकी संगठनों-लश्कर ए तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद-ने हिजबुल मुजाहिदीन के साथ मिलकर साजिश रची
थी। आईईडी पाकिस्तान मूल के आतंकी ने बनाया और विस्फोटक भी सीमापार से लाया गया। एनआईए इस
साजिश की विस्तृत जांच करेगी, लिहाजा व्यापक खुलासे उसी के बाद होंगे। अभी पाकिस्तान को फाट्फ की
अदालत में खुद को साबित करना है कि वह आतंकी संगठनों की मदद नहीं कर रहा और न ही ऐसे संगठनों की
सरजमीं है। यदि साबित नहीं कर पाया, तो उसे ‘काली सूची’ में डाला जा सकता है, लिहाजा आजकल कुछ नए
नामों वाले आतंकी संगठन भी सामने आ रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान लश्कर, जैश, हिजबुल, तहरीके तालिबान आदि
पुराने आतंकी गुटों से अपना पिंड कैसे छुड़ा सकता है? बहरहाल हमें तो पुलवामा-2 की साजिश को बेनकाब करना
है और पलटवार भी तय करना है, ताकि हमारे सुरक्षाकर्मियों का मनोबल बरकरार रहे।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *