नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय महिला फेडरेशन (एनएफओआईडब्ल्यू) ने वैश्विक महामारी
कोरोना वायरस (कोविड-19) के खिलाफ लड़ाई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर गरीबों और वंचितों के प्रति
असंवेदनशील होने का आरोप लगाते हुए लॉकडाउन में महिला मजदूरों पर विशेष ध्यान देने और उन्हें अधिक
सुविधाएं देने की मांग की है।
फेडरेशन की राष्ट्रीय सचिव अरुणा सिन्हा ने अपने बयान में कहा है कि मोदी सरकार ने लॉकडाउन के मद्देनजर
बुधवार को जो नये दिशा निर्देश जारी किए हैं उनमें गरीबों के लिए कोई विशेष राहत नहीं दी गयी है। उन्होंने न
तो कोई आर्थिक पैकेज दिया और न ही उनके स्वास्थ्य एवं सुरक्षा की कोई चिंता की।
यहां तक कि डॉक्टरों और नर्सों के बारे में भी स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर कोई घोषणा नहीं की। उन्होंने कहा कि
लाखों गरीब लोगों की नौकरियां गईं उनके लिए सरकार ने कोई राहत नहीं दी है। मनरेगा के काम को अनुमति दी
पर 100 दिन के कामकाज के लिए बजट आवंटन में कोई वृद्धि नहीं की। बयान में कहा गया है कि मनरेगा में
अधिकतर मजदूर महिलाएं हैं इसलिये काम का दिन 200 दिन तक बढ़ाया जाए और बजट आवंटन में भी वृद्धि
हो ताकि भुगतान समय से और पूरी तरह हो। कोई बकाया राशि न हो।
देश के विभिन्न भागों में फंसे हुए प्रवासी मजदूरों की आर्थिक मदद की जानी चाहिए। अनाज वितरण के लिए
राशन कार्ड, आधार कार्ड आदि की अनिवार्यता समाप्त हो। राशन के अनाज सभी गरीब लोगों को वितरित कराए
जाएं और उसकी मात्रा भी बढ़ाई जानी चाहिए। इसके अलावा सभी गरीब महिलाओं विशेषकर बुजुर्ग तथा गर्भवती
महिलाओं के लिए आइसोलेशन वार्ड बनाए जाएं ताकि वे स्वस्थ्य रह सकें।