विनय गुप्ता
कोरोना वायरस अर्थात कोविड-19 से होने वाली भारी विश्वव्यापी जनहानि के अतिरिक्त इसकी की भयावहता से
जुड़े कई ऐसे समाचार आने शुरू हो चुके हैं जिनसे इस संदेह को बल मिलने लगा है कि कहीं यही प्रलय अथवा
क़यामत के शुरुआती संकेत तो नहीं? उदाहरण के तौर पर विश्व के सबसे बड़े राजघराने ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स
कोविड-19 से संक्रमित पाए गए हैं इस समय उन्हें व उनकी पत्नी कैमिला (72) दोनों को स्कॉटलैंड में अलग रखा
गया है। दूसरी बड़ी ख़बर के मुताबिक़ जर्मनी के हेसे राज्य के वित्त मंत्री थॉमस शाएफर जोकि कोरोना वायरस
संक्रमण के कारण देश के हो रहे आर्थिक नुकसान की भरपाई को लेकर अत्यंत चिंतित थे, ने कथित रूप से
आत्महत्या कर ली। 54 वर्षीय थॉमस शाएफर गत शनिवार को रेल पटरी पर मृत अवस्था में पाए गए। उधर स्पेन
में कोरोना वायरस से मची तबाही के बीच स्पेन की 86 वर्षीय राजकुमारी मारिया टेरेसा का कोरोना वायरस से
निधन हो गया है। मारिया टेरेसा दुनिया में किसी भी शाही परिवार की पहली सदस्य थीं जिनकी कोविड-19
महामारी से मौत हो गई है।
गोया इस समय क्या संयुक्त राष्ट्र संघ तो क्या विश्व स्वास्थ्य संगठन क्या अमेरिका तो क्या ब्रिटेन, चीन, इटली,
फ़्रांस हो या ईरान क्या मंदिर तो क्या मस्जिद या चर्च, गोया हर जगह कोरोना वायरस ने कोहराम मचा रखा है।
यह जानलेवा वायरस अब विश्व के अधिकांश देशों में अपने पांव पसार चुका है। इसके संक्रमण से मरने वाले ज्ञात
लोगों की संख्या 31 हज़ार का आंकड़ा छूने को है। कोरोना वायरस अर्थात कोविड-19 से जहाँ लोगों की जान का
ख़तरा बढ़ गया है वहीँ वैश्विक व्यापर व अर्थव्यवस्था पर भी इसका बुरा असर देखा जा रहा है। पूरे विश्व के शेयर
बाज़ार इससे बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। भारत सहित कई देशों के शेयर बाज़ारों में बड़ी गिरावट आई है। बड़े से
बड़े विश्वस्तरीय आयोजन स्थगित किये जा रहे हैं। 1450 वर्षों में पहली बार हज के आयोजन को स्थगित किये
जाने की चर्चा होने लगी है। दुनिया भर के शेयर बाज़ार मुँह के बल गिर रहे हैं। विमानन उद्योग ठप सा होकर रह
गया है। पर्यटन उद्योग पूरी दुनिया में समाप्त हो गया है। दुनिया भर की सरकारें इस वायरस को लेकर लोगों को
जागरूक करने पर ध्यान दे रही हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है इसके संक्रमण को फैलने से रोककर ही इसे
क़ाबू में किया जा सकता है। इसी उद्देश्य से संपूर्ण लॉकडाउन जैसे क़दम उठाए जा रहे हैं।
कोरोना वायरस को लेकर स्वास्थ्य वैज्ञानिकों व शोध करने वाले डॉक्टर्स की चिंताओं से अलग भी एक दुनिया ऐसी
है जो 'कोरोना वायरस' को लेकर अपनी तथाकथित बौद्धिक क्षमता, अंधविश्वास व 'अर्धज्ञान' के आधार पर अपनी
'ज्ञान वर्षा' जारी रखे हुए है। इस सम्बन्ध में सबसे बड़ा झटका तो धर्म के तथाकथित ठेकेदारों ने ही उस समय
दिया जबकि मक्का व वेटिकन से लेकर तिरुपति बालाजी मंदिर तक में कोरोना की दहशत साफ़ दिखाई दी। आज
विश्व के सभी धर्मस्थलों में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिए गए हैं। यानि मुसीबत के वक़्त अपने अपने इष्ट को याद
करने वाले धर्मावलम्बियों के लिए उनके अपने 'अल्लाह और ईश्वर' के दरवाज़े बंद हो गए। काबे की परिक्रमा रोक
दी गई। जबकि इस प्रकोप का सामना करने के लिए अपनी जान की बाज़ी लगाकर प्रभावित लोगों का इलाज करने
हेतु डॉक्टर्स, नर्सेज़ व हॉस्पिटल्स ने पूरी दुनिया में अपने दरवाज़े खोल दिए। लोगों की जान बचाने की कोशिशों में
लगे कई डॉक्टर रुपी फ़रिश्तों ने भी अपनी जान गंवा दी है। गोया धर्म के ढकोसलों पर विज्ञान की वास्तविकता ने
एक बार फिर फ़तेह हासिल की है। आज पूरा विश्व, सभी धर्मों के धर्मगुरु बड़े से बड़े रोगों का चमत्कारिक इलाज
करने का दवा करने वाले सभी पाखंडी सब पूरी एकाग्रता के साथ केवल वैज्ञानिकों व चिकित्सा शोधार्थियों की तरफ़
पूरी उम्मीद के साथ देख रहे हैं। कोरोनावायरस के प्रकोप ने हर तरह के जादू-टोना, झाड़ फूंक, गंडा-ताबीज़, भभूत,
धूप-बत्ती, धागा-दीया-दुआ आदि सभी पाखंडपूर्ण उपायों को बेनक़ाब कर दिया है।
परन्तु इस हक़ीक़त के बावजूद हमारे 'विश्वगुरु' भारत के अनेक स्वयंभू ज्ञानी आज के सोशल मीडिया के दौर में
अपनी 'कोरोना वायरस' संबंधी ज्ञानवर्षा करने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। जिसके जो समझ में आ रहा है बिना शोध
आधारित अपना 'ज्ञान' बांटे ही जा रहा है। कोई गौमूत्र से इसका इलाज बता रहा है तो कोई प्याज़ में नमक छिड़क
कर खाने में कोरोना से मुक्ति का दावा कर रहा है। कोई हवन करने और धूप बत्ती जलाने को ही कोरोना से बचने
का सर्वोत्तम उपाय बता रहा है। कोई कह रहा है कि एक दूसरे से हाथ मिलकर अभिवादन करने के बजाए अपने
दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते करके ही काम चलाएं। चीन में 'शेक हैण्ड' के बजाए 'शेक लेग' जैसी नई परम्परा शुरू
कर दी गई है। जबकि कुछ लोगों का कहना है कि एक हाथ से किया गया सलाम या आदाब नमस्ते से भी ज़्यादा
सुरक्षित है। वहीं कुछ स्वयंभू धर्मगुरु ऐसे भी हैं जो चीन के कोरोना वायरस ग्रस्त होने को अल्लाह का क़हर बता
रहे हैं। एक मुल्ला साहब ने तो क़ुरान के बीच में चमत्कारिक रूप से एक बाल के मौजूद होने का दावा कर डाला है
और बता रहे हैं कि इस बाल को पानी में डालें और फिर पानी को पी जाएं कोरोना छू मंतर हो जाएगा। गोया
जितने मुंह उतनी ही बातें कोरोना को लेकर सुनने को मिल रही हैं।
ज़ाहिर है इस चुनौतीपूर्ण समय में कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव करना ही सबसे बड़ा प्राथमिक उपचार है।
लिहाज़ा इसके प्रकोप से बचने के लिए स्वयं को स्वच्छ व प्रदूषणमुक्त वातावरण में रखना ज़रूरी है। लॉकडोन का
पूर्ण रूप से पालन करें और यदि अतिआवश्यक कारणों से बाहर निकलें तो अपने चेहरे पर मास्क अवश्य लगाएं।
खांसी या नज़ला, बुख़ार वाले किसी भी व्यक्ति के आसपास खड़े होने से परहेज़ करें। अनावश्यक रूप से किसी भी
वस्तु को न छुएं। और यदि आप स्वयं खांसी, नज़ला, ज़ुकाम या बुख़ार से पीड़ित हैं तो स्वयं को लोगों से दूर
रखें। अपनी नाक, आंख और मुंह में बार बार हाथ लगाने, सहलाने या मलने छूने आदि से बचें। अपने चेहरे को
सबसे ज़्यादा सुरक्षित रखें। विशेषज्ञों के अनुसार चूँकि एक संक्रमित व्यक्ति 900 लोगों को वायरस पहुंचा सकता है
इसलिए भीड़ भाड़ वाली जगहों पर हरगिज़ न जाएं। हर घंटे दो घंटे के अंतराल पर अपने हाथों को साबुन अथवा
लिक्विड सोप से ज़रूर धोते रहें। पूरी दुनिया में कोरोना वॉयरस का प्रकोप जारी है वहीँ इससे जुड़ी अनेक अफ़वाहें,
कथाएं व क़िस्से कहानियों का सिलसिला भी जारी है इनपर क़तई ध्यान न दें। इस बीच यही कहा जा सकता है कि
हम ईश्वर-अल्लाह के भरोसे पर रहें या न रहें परन्तु यदि हम स्वयं को हाइजेनिक अथवा स्वास्थ्यकर या आरोग्य
रखने के उपाय करेंगे तो सेहत के लिए ज़्यादा बेहतर होगा । जो धर्मान्ध लोग कोविड-19 की भयावहता जानने के
बावजूद अनेक प्रकार के अन्धविश्वास के शिकार हैं और तरह तरह की ग़लतफ़हमियों पाले हुए हैं उन्हें सामाजिक
रूप से अलग थलग करें।