निर्भया फंड के तहत झारखण्ड में सखी केन्द्रों के लिए 4.09 करोड़ स्वीकृत

asiakhabar.com | March 21, 2020 | 3:47 pm IST
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रांची। भारत सरकार द्वारा झारखण्ड में स्थित सखी केन्द्र के नाम से लोकप्रिय वन स्टॉप
सेन्टर (ओ.एस.सी.) के लिए स्वीकृत निधि में पीछले पांच सालों में काफी वृद्धि हुई है। झारखण्ड में स्थित सखी
केन्द्रों के लिए स्वीकृत निधि 2015-6 में रु. 10.27 लाख थी जो 2019-20 में बढ़ कर रू. 4.09 करोड
पहुंची। पीछले पांच सालों में, केन्द्र ने राज्य के ओ.एस.सी. के लिए 11.98 करोड रु. की निधि निर्मुक्त की है।

केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ज़ुबिन ईरानी ने यह जानकारी राज्य सभा में मार्च 19, 2020 को
सांसद परिमल नथवाणी द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में उपलब्ध करवाई।
मंत्री वन स्टॉप सेंटर(ओ.एस.सी.) स्कीम 01 अप्रैल, 2015 से निर्भया फंड के तहत कार्यान्वित की जा रही है।
आज की तारीख तक भारत सरकार द्वारा पूरे देश में 724 जिलों में 728 ओ.एस.सी. का अनुमोदन किया गया है
और उनमें से 680 ओ.एस.सी. अब तक कार्यशील हुए हैं। उनमें से झारखण्ड में 24 ओ.एस.सी. कार्यरत हैं और
कुल 403 मामलें दर्ज हुए हैं।
सदन में उपलब्ध करवाई गई जानकारी के अनुसार, केन्द्र ने ओ.एस.सी. के लिए 2015-16 में रू. 10,26,800,
2016-17 में 56,82,900, 2017-18 में रू. 7,04,36,941 और 2019-20 में रू. 4,08,53,107 करोड़
की निधि निर्मुक्त की गई है। परिमल नथवाणी जानना चाहते थे कि सरकार ने हिंसा से प्रभावित महिलाओं की
सहायता के लिए वन स्टॉप सेंटर (ओ.एस.सी. ज़), जिन्हें लोकप्रिय रूप से सखी केन्द्रों के नाम से जाना जाता है,
की स्थापना करने के लिए सरकार द्वारा कितना खर्च किया गया है और देश में अनुमोदित, स्थापित और चालू
‘ओ.एस.सी.’ सहित आज की तारीख तक इनके अंतर्गत पंजीकृत-नामांकित महिलाओं की संख्या का ब्यौरा क्या है।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि ये सेंटर हिंसा से पीड़ित महिलाओं को चिकित्सा सहायता, पुलिस सहयोग,
मनोवैज्ञानिक परामर्श, कानूनी परामर्श और अस्थायी आश्रय सहित एक स्थान पर कई प्रकार की सेवाएं प्रदान करते
हैं। ये ओ.एस.सी. अस्पतालों या चिकित्सा सुविधाओं के परिसरों में या 2 किमी. की परिधि में या तो नव-निर्मित
भवनों या पहले से मौजूद भवनों में स्थापित किए जाते हैं, ऐसा मंत्रीजी ने जवाब में बताया गया। देश में 680
ओ.एस.सी. अब तक कार्यशील हुए हैं और उनके साथ कुल 2,55,852 मामलें दर्ज हुए हैं, जिसमें से झारखण्ड के
24 औ.एस.सी.के साथ 403 मामलें दर्ज हुए हैं।


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