विनय गुप्ता
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड के दोषियों को
शुक्रवार तड़के फांसी पर लटकाए जाने को न्याय की जीत करार दिया और कई अन्य मंत्रियों एवं महिला अधिकार
समूहों ने भी इसका स्वागत किया। इस घटना के समय दिल्ली पुलिस के प्रमुख रहे नीरज कुमार ने इस मामले को
अपने 37 साल के करियर का ‘‘सबसे अहम मामला’’ करार दिया है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘ न्याय की जीत
हुई है। महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करना सबसे महत्वपूर्ण है।’’ मोदी ने कहा, ‘‘हमारी नारी शक्ति
हर क्षेत्र में आगे बढ़ी है और हमें ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना है जहां ध्यान महिला सशक्तिकरण, समानता और
अवसर प्रदान करने पर हो।’’ केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने निर्भया सामूहिक बलात्कार
मामले के चारों दोषियों को फांसी दिए जाने पर कहा कि इससे अपराधियों को सख्त संदेश जाएगा कि वे कानून से
भाग नहीं सकते । ईरानी ने संवाददाताओं से कहा,‘‘ मैंने इतने साल में निर्भया की मां का संघर्ष देखा है। हालांकि
न्याय पाने में समय लगा लेकिन आखिरकार न्याय हुआ। यह लोगों को भी संदेश है कि वे आप कानून से भाग
सकते हैं लेकिन आप हमेशा के लिए इससे बच नहीं सकते । मुझे खुशी है कि न्याय हुआ। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैं
आज के दिन का दिल की गहराइयों से स्वागत करती हूं कि आखिरकार निर्भया को न्याय मिला। दोषियों को फांसी
हर अपराधी को यह संदेश है कि एक न एक दिन कानून आपको पकड़ लेगा।’’दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद
केजरीवाल ने कहा कि आज का दिन यह संकल्प लेने का दिन है कि हम अब और कोई निर्भया कांड नहीं होने
देंगे। केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘ सात साल बाद आज निर्भया के दोषियों को फांसी हुई। आज संकल्प लेने का
दिन है कि अब दूसरा निर्भया मामला नहीं होने देंगे। पुलिस, अदालत, राज्य सरकार, केन्द्र सरकार सबको संकल्प
लेना है कि हम सब मिलकर सिस्टम की ख़ामियों को दूर करेंगे और भविष्य में किसी बेटी के साथ ऐसा नहीं होने
देंगे।’’केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने निर्भया मामले के दोषियों को फांसी दिये जाने पर संतोष
व्यक्त करते हुए कहा कि यह आत्मावलोकन का समय है कि क्या फांसी की सजा पाने वाले दोषियों को मामले को
खींचने के लिए इस तरह प्रणाली को तोड़ने-मरोड़ने की अनुमति दी जा सकती है। राष्ट्रीय महिला आयोग
(एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने ट्वीट किया, ‘‘उम्मीद है कि न्याय मिलने के बाद निर्भया की आत्मा को
आखिरकार शांति मिली होगी। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उसके माता-पिता ने अपनी बेटी के लिए न्याय की लड़ाई
जीत ली। चारों लोगों को एक युवा मेडिकल छात्रा पर बर्बर अपराध के लिए अंतत: दोषी ठहराया गया और आज
सुबह फांसी दी गई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले ने हमें कानून प्रणाली में खामियों को भी दिखाया जिसका चारों
दोषियों ने फायदा उठाया। आज जब हम जानते हैं कि आखिरकार दोषियों को फांसी दी गई तो मैं उम्मीद करती हूं
कि यह दूसरे लोगों को अपराध के लिए रोकने का काम करेगा और भविष्य में किसी मामले में न्याय देने के लिए
इतना लंबा वक्त नहीं लगना चाहिए।’’ शर्मा ने कहा, ‘‘इतने साल में आशा देवी (निर्भया की मां) ने अपनी बेटी को
न्याय दिलाने की लड़ाई में कभी उम्मीद नहीं खोई। अंतत: निर्भया को न्याय मिला, यह उसके माता-पिता और हम
सबके लिए लंबा दुखदायी इंतजार रहा। न्याय प्रणाली को लेकर हमारे मन में चल रहा संशय दूर हो गया है।’’दिल्ली
महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने भी ट्वीट किया ‘‘यह पूरे देश की जीत है। अब हमें एक मजबूत
व्यवस्था बनानी होगी।’’ उन्होंने ट्वीट किया ‘‘सत्यमेव जयते।’’ स्वाति ने कहा कि सात साल के इंतजार के बाद
न्याय की जीत हो गई। निर्भया कांड के समय दिल्ली पुलिस के प्रमुख रहे नीरज कुमार ने कहा कि इस मामले के
साथ उनकी प्रतिष्ठा दांव पर थी क्योंकि इस घटना ने पूरे देश का ध्यान खींचा था। उन्होंने ‘‘पीटीआई भाषा’’ से
कहा कि यदि यह मामला किसी तर्कसंगत निष्कर्ष पर नहीं पहुंचता तो उनका ‘‘पूरा पेशेवर करियर शून्य हो जाता’’।
खतरनाक आतंकवादी आफताब अंसारी के प्रत्यर्पण जैसे कई मामलों की कमान संभल चुके कुमार ने कहा, ‘‘मेरी
पहली प्रतिक्रिया थी कि यह घटना अमानवीय है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘… हर कोई मेरा इस्तीफा चाहता था और हर
व्यक्ति चाहता था कि मैं पद छोड़ दूं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मैंने जिम्मेदारी ली।’’ कुमार ने कहा, ‘‘ जब
तत्कालीन मुख्यमंत्री (शीला दीक्षित) ने मेरे इस्तीफे की मांग की तो यह मीडिया को संकेत था कि वह मुझे निशाना
बनाए। हालांकि तत्कालीन उपराज्यपाल (तजिंदर खन्ना) ने मुझे पूरा समर्थन दिया क्योंकि उन्हें लगता था कि हमने
कुछ गलत नहीं किया।’’ हालांकि ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया’ ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा रोकने के
लिए मृत्यदंड समाधान नहीं है। उसने निर्भया कांड के चार दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने को भारत के
मानवाधिकार रिकॉर्ड पर एक ‘‘काला धब्बा’’ करार दिया।निर्भया के सामूहिक बलात्कार के बाद उसका उपचार करने
वाले सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सकों ने कहा कि निर्भया एक ‘‘बहादुर युवती’’ थी और दोषियों को फांसी देकर
कानून ने अपना काम किया है।एक चिकित्सक ने कहा कि निर्भया के साथ जो किया गया था, उसे देखकर
अस्पताल की अधिकतर रेजीडेंट डॉक्टर सदमे में आ गई थीं।