नई दिल्ली। स्थाई समिति की बैठक में सदन नेता निर्मल जैन ने कहा कि रिहायशी क्षेत्र में
जो घरेलू उद्योग चलाए जा सकते हैं उन्होंने भी अदालत की आदेश की आड़ में गलत सील कर दिया गया।
अदालत ने उन इकाइयों के खिलाफ कार्यवाही का आदेश दिया था जो फैक्ट्रियां प्रदूषण फैला रही हैं लेकिन इस
आदेश को गलत तरीके से तामील करवाया गया। जिसकी वजह से हजारों छोटे उद्यमी दर-दर ठोकर खा रहे हैं।
उनका चालान काटते हुए तुरंत प्रभाव से निगम स्तर पर ही डी सील किया जाए। अब उन सभी को राहत देने का
समय आ गया है। इस संबंध में स्थायी समिति ने प्रस्ताव पास कर उन्हें राहत देने का काम किया है। बैठक के
दौरान सदन नेता निर्मल जैन ने इस संबंध में स्थायी समिति की बैठक में प्रस्ताव रखा, जिसका समर्थन अन्य
सदस्यों ने किया। श्री जैन ने बताया कि दिल्ली में कई जगहों पर रिहायशी इलाके में अवैध रूप से व बिना
लाइसेंस के चलने की वजह से अदालत के आदेश पर सर्वे का काम किया गया था। इस सर्वे में 29 हजार इकाइयों
की पहचान की थीं। इन इकाइयों में उन उद्योगों को भी शामिल कर लिया गया जो मास्टर प्लान 2021 में
वर्णित 112 श्रेणियों में शामिल हैं। इन श्रेणियों के घरेलू उद्योग रिहायशी इलाके में चलाए जा सकते हैं। लेकिन
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मॉनिटरिंग कमेटी के आदेश पर पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने विश्वास नगर सहित कई
इलाकों में प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयां सील तो की ही। उसके साथ साथ उन घरेलू उद्योगों को भी सील कर दिया
गया तो रिहायशी क्षेत्र में चलने के लिए मान्य हैं। इतना ही नहीं, इन पर भारी भरकम मिसयूज चार्ज भी लगा
दिया गया है। जिसकी वजह से घरेलू उद्यमी कर्ज के तले दब गए। लेकिन निगम द्वारा इन संपत्तियों को डी-सील
नहीं किया जा रहा है। निर्मल जैन ने कहा कि चूंकि मास्टर प्लान 2021 में 112 श्रेणी के घरेलू उद्योग मान्य
हैं, जो प्रदूषण फैलाने वाले नहीं हैं। ये इकाइयां मान्य हैं लेकिन इन इकाइयों को चलाने वालों ने लाइसेंस नहीं
लिया था जिससे उन पर न तो जुर्माना लगाया जा सकता है और न मिसयूज चार्ज नहीं लिया जा सकता है। उनका
चालान काटा जा सकता है। निगम ने गलत तरीके से यह सीलिंग की कार्रवाई की है। स्थायी समिति ने प्रस्ताव
पास कर कहा कि सील की मान्य इलाकों को तुरंत डी-सील किया जाए।