नई दिल्ली। राज्यसभा में विपक्षी कांग्रेस ने दूरसंचार विभाग द्वारा कॉल डाटा रिकार्ड
(सीडीआर) मांगे जाने का मुद्दा गुरुवार को उठाते हुए आरोप लगाया कि देश में जनता पर ‘‘ निगरानी का राज’ ’’
लागू किया जा रहा है। यह आरोप खारिज करते हुए कानून एवं दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सीडीआर
कॉल ड्रॉप समस्या से निपटने और दूरसंचार सेवाओं में सुधार लाने के उद्येश्य से मांगे गए हैं।सदन में कांग्रेस के
उपनेता आनंद शर्मा ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत नोटिस दिया था। लेकिन सभापति एम
वेंकैया नायडू ने नोटिस अस्वीकार करते हुए उन्हें शून्यकाल में यह मुद्दा उठाने की अनुमति दी।आनंद शर्मा ने
कॉल रिकार्ड से संबंधित विभिन्न प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है जिसके तहत
किसी सरकारी विभाग को नियमित आधार पर सीडीआर मांगने की अनुमति है। शर्मा ने कहा कि भारत में लोगों
पर निगरानी का राज कायम होता जा रहा है और इससे लोगों की निजता का अधिकार प्रभावित हो रहा है।प्रसाद ने
कहा कि वह आश्वासन देना चाहते हैं कि कोई निगरानी नहीं हो रही है, कोई फोन टैपिंग नहीं हो रही है और कोई
कॉल रिकार्डिंग नहीं हो रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसी की निजता का कोई उल्लंघन नहीं हुआ
है।दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने बुधवार को कहा था कि वह कॉल ड्राप की समस्या के विश्लेषण और दूरसंचार
सेवाओं में सुधार के उद्देश्य से सीडीआर एकत्रित कर रहा है। लेकिन विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि इसमें
ग्राहक का निजी ब्योरा नहीं जुटाया जा रहा है। डीओटी का दावा है कि इसके लिए ऐसे क्षेत्र में, जहां कॉल ड्राप
यानी मोबाइल फोन पर बातचीत नेटवर्क की कमी के करण बीच में ही कट जाने की शिकायतें हैं, वहां जाने वाले
ग्राहकों के कॉल डाटा रिकॉर्ड जुटाए जाते हैं लेकिन इसमें उनकी निजता का हनन नहीं किया जाता है।डीओटी ने एक
बयान में कहा था कि ‘‘ किसी ग्राहक की ओर से की गयी या प्राप्त की गयी केवल उन्हीं कॉल के कॉल ड्रॉप/या
कॉल विवरण जुटाए जाते हैं जो वह किसी विनिर्दिष्ट सेल टावर के दायरे में आने वाले क्षेत्र में प्रवेश करने पर
करता है/प्राप्त करता है।‘‘ बयान में इस बात को ‘दोहराया गया है’ कि ऐसे मामले में कॉल करने वालों या कॉल
प्राप्त करने वाले का नाम और पता जुटाया नहीं जाता है।