लव स्टोरी हो या किसी भावनात्मक रिश्तों की कहानी फिल्म बनाते हुए सबसे बड़ा चैलेंज यह होता है कि अब ढेरों फिल्मों में इन तमाम पहलू और सारे रिश्तों को भुनाया जा चुका है। सबसे बड़ी चुनौती कुछ अलग करके दिखाने की है जो अब तक दर्शकों ने नहीं देखा हो। पिछले दिनों हमने बाप बेटी के रिश्ते पर आधारित फिल्म ‘भूमि’ देखी। उसी सिलसिले को बरकरार रखते हुए निर्देशक राजा कृष्णा मेनन लेकर आए हैं ‘शेफ’।
शेफ 2014 में आई हॉलीवुड फिल्म का रीमेक है। निर्देशक राजा कृष्णा मेनन ने शेफ का जो भारतीयकरण किया है वह एक संवेदनशील सेल्युलाइड अनुभव के रूप में सामने आया है। दिल्ली में पैदा हुआ महत्वकांक्षी रोशन के (सैफ अली ख़ान) अमेरिका में मशहूर शेफ है एक तलाकशुदा और बेटे का पिता भी है। उसका बेटा अपनी मां के साथ चेन्नई में रहता है। बेटे के स्कूल प्रोग्राम को देखने आया रोशन किस तरह जीवन की फिलॉसफी समझता है और जीवन में प्रेम का महत्व समझता है। इसी ताने-बाने पर बुनी गई है शेफ।
निर्देशक ने तलाकशुदा पति पत्नी के बीच रिश्ते, एक बेटा जो सिर्फ स्काइप पर को देखता रहा है उसका अपने बाप के साथ रहना उनके आपसी रिश्ते ,इन सब को बहुत ही खूबसूरती से फ़िल्म में पिरोया है। यह फिल्म आपको भावनाओं में सराबोर नहीं करती आपको रुलाती भी नहीं है मगर यह हौले-हौले से आपके दिल को थपथपाते हुए यह एहसास कराती है कि ज़िंदगी में सबसे ज्यादा जरूरी चीज है आपके रिश्ते। आपके अपने अगर आपके साथ हैं तो बाकी सारी चीजें बेमानी हो जाती है।
सैफ अली ख़ान इस तरह की फिल्मों के एक्सपर्ट खिलाड़ी है। यह रोल मानो उनके लिए लिखा गया है। राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित अभिनेत्री पदम प्रिया जबरदस्त अभिनेत्री है। उनकी उपस्थिति फिल्म को दूसरे आयाम पर ले जाती है। धनीश कार्तिक ने बेटे का किरदार अच्छी तरह से निभाया। चंदन रॉय सान्याल अपने रोल मे जंचे हैं। सचिन कामले का किरदार छोटा है मगर वह सीन चुरा ले जाते हैं। मिलिंद सोमन को पर्दे पर देखना सुखद रहा। फिल्म का चित्रीकरण प्रिया सेठ ने बहुत खूबसूरती से किया है, संपादक शिवकुमार ने फर्स्ट हाफ थोड़ा लंबा रखा है मगर फिर भी एडिटिंग स्तरीय है।
खास तौर पर जिक्र किया जाना चाहिए फिल्म के स्क्रीनप्ले का। रितेश शाह राजा मेनन और सुरेश नायर ने बहुत ही खूबसूरती से इसका स्क्रीनप्ले बनाया है। कुल मिलाकर ‘शेफ’ एक प्यारी सी फिल्म है, जिसे आप परिवार के साथ देख सकते हैं।