विनय गुप्ता
कुछ हफ्ते पहले अचानक ही अस्तित्व में आए कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है। यह वाकई चिंता
की बात मानी जा सकती है। चीन के वुहान प्रांत में इसकी उतपत्ति मानी जा रही है। चीन के पड़ोसी देशों में यह
फैल रहा है जो गंभीर बात है। भारत के जितने भी लोग चीन में रह रहे थे, उन्हें सफलता पूर्वक वहां से निकाल
लिया गया है। चीन सहित अनेक देशों में इस वायसर की चपेट में आने वालों की तादाद बढ़ती ही जा रही है।
इतना ही नहीं इससे होने वाली मौतों की तादाद भी तेजी से बढ़ी है। इस वायरस के फैलने से वेश्विक स्तर पर अर्थ
व्यवस्था के डगमाने के संकेत भी मिल रहे हैं। जिन देशों में इसके संक्रमित मरीज मिले हैं वहां से वस्तुओं को
आयात मानो थम सा गया है।
2019 में दिसंबर माह में कोरोना वायरस ने चीन के वुहान प्रांत में अपने पैर पसारे थे। चीन में जैसे ही यह
वायरस फैला वैसे ही सोशल मीडिया पर चर्चाओं का बाजार गर्मा गया। चीन ने इस बार इस वायरस के फैलने की
बात से इंकार नहीं किया, इससे इस मामले में सावधानियां जल्द ही बरतना आरंभ हो गईं। इसके बावजूद भी
इसकी जद में अनेक देश आ ही गए। दुनिया भर में लगभग 81 हजार से ज्यादा लोग इस वायरस की चपेट में
अब तक आ चुके हैं।
वर्तमान में इस वायरस के संक्रमित मरीजों की संख्या चीन के अलावा अमेरिका, इटली और ईरान में बहुतायत में
हो गई है। इसके साथ ही साथ यूरोप और मिडिल ईस्ट सहित दक्षिण कोरिया में भी इसकी धमक सुनाई देने लगी
है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो चीन के अलावा अन्य देशों में भी इस वायरस के संक्रमण के अनेक मामले
सामने आना चिंताजनक है।
ईरान के स्वास्थ्य मंत्री इराज हरिरची ने डब्लूएचओ के दावे का खण्डन किया पर अगले ही दिन उन्होंने खुद को
इस वायरस के संक्रमण की जद में बता दिया। ईरान के कुम शहर में चीन से वायरस के पहुंचने की आशंका जताई
जा रही है। इसके पीछे जो वजह बताई जा रही है, उसके अनुसार कुम शहर में चीनी कंपनी के द्वारा एक सोलर
प्लांट की संस्थापना कराई जा रही है। चीन से बहुत ज्यादा तादाद में कच्चा माल और लोग कुम शहर पहुंच रहे हैं,
जो इस वायरस के संवाहक भी माने जा रहे हैं।
भारत सरकार ने इस मामले में जिस तरह की संजीदगी दिखाई है, वह तारीफे काबिल मानी जा सकती है। भारत
ने एक विशेष विमान उन भारतीयों को लाने चीन भेजा था, जो वहां रह रहे थे। इस विमान में 76 भारतीय और
36 अन्य विदेशी लोगों को भारत लाया गया है। इन सभी की जांच की जा रही है, जो संक्रमित पाए जाएंगे उनका
ईलाज किया जाएगा। अब चीन में एक भी भारतीय शायद नहीं रह गया है। चूंकि चीन में नए साल पर अवकाश
था, अतः पहले ही बहुत सारे भारतीय छात्र चीन से दिसंबर के पहले ही भारत आ चुके थे।
भारत सरकार के इस कदम से हम खुश तो हो सकते हैं, कि हमने अपने लगभग सभी नागरिकों को वहां से
निकाल लिया है, पर खतरा शायद अभी टला नहीं है। इस लिहाज से भारत सरकार को अब कदम कदम पर
सावधान रहने और लोगों को जागरूक करने की महती जरूरत है। चीन इस वायरस की चपेट में सबसे ज्यादा है पर
जिस तरह से दुनिया के दूसरे देश इसकी चपेट में आ रहे हैं, उसे देखते हुए यह माना जा सकता है कि इस
वायरस का संक्रमण चीन के बाहर भी पैर पसार चुका है। यह संभवतः पहली बार ही हुआ होगा कि एक वायरस के
जितने मरीज उस देश अर्थात चीन में हैं, उससे कहीं ज्यादा लोग दूसरे देशों में मिल रहे हैं।
इस मामले में सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि चीन के पड़ोसी देशों को इस वायरस ने तेजी से अपनी चपेट
में लिया है। चीन के सीमावर्ती देश जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर आदि में भी इसके संक्रमण के मरीज मिले हैं
जो इस बात को बताने के लिए पर्याप्त माने जा सकते हैं कि वायरस के लिए देशों की सीमाएं मायने नहीं रखती
हैं। जापान में ऑलंपिक खेलों का आयोजन होने वाला है। इस आयोजन पर भी कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे
मण्डराते दिख रहे हैं।
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस वायरस के लिए कोई वेक्सीन या किसी तरह का प्रभावी और कारगर
ईलाज अब तक खोजा नहीं जा सका है। आरंभ में इस वायरस के फैलने के कारण सांप और चमगादड़ को माना
गया, किन्तु इस मामले में अब तक ठोस तरीके से यह नहीं बताया जा सका है कि इसकी उतपत्ति का कारण क्या
है! आज चिकित्सा विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है पर लगभग तीन माह बीत जाने के बाद भी इसका कोई
प्रभावी ईलाज सामने नहीं आने से चिकित्सा विज्ञान भी बेबस ही नजर आ रहा है।
दुनिया की शीर्ष रेटिंग एजेंसी और वित्तीय संस्था मानी जाने वाली मूडीज नामक संस्था का कहना है कि कोरोना
वायरस का कहर अगर इसी गति से जारी रहा और इसे थामने के प्रभावी उपाय नहीं किए गए तो आने वाले समय
में इसका प्रभाव वेश्विक अर्थव्यवस्था पर जमकर पड़ सकता है। मूडीज ने पहले इस असर को तात्कालिक हालात के
हिसाब से बीस फीसदी बताया था, पर अब उसका कहना है कि वर्तमान हालात को देखकर इसका असर 40
फीसदी तक पड़ सकता है।
यह सही है कि इसके चलते चीन से सामग्रियों का निर्यात बहुत ही कम हो गया है। अनेक देशों ने तो चीन से
निर्यात बंद ही कर दिया है। एक अनुमान के हिसाब से चीन से हर साल लगभग तीस लाख लोग विश्व भ्रमण पर
निकलते थे। इस वायरस के संक्रमण के बाद अब पर्यटन उद्योग पर भी इसका जमकर असर पड़ता दिख रहा है।
चीन के लोग अब देश से बाहर निकलने में भी कतराते नजर आ रहे हैं।
इस वायरस के संक्रमण को अपने देश के दरवाजे बंद करके रोका नहीं जा सकता है। यह एक महामारी का रूप भी
अख्तियार करता दिख रहा है। इसके लिए वेक्सीन या प्रभावी ईलाज खोजे जाने की आज महती जरूरत है। भारत
के वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं का डंका सारे विश्व में बजता आया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत के वैज्ञानिक
और शोधकर्ता जल्द ही इस वायरस के संक्रमण पर विजय पाने में महती भूमिका निभाएंगे!