अंततः भारत भी उन 70 देशों की जमात में शामिल हो गया, जो कोरोना वायरस की चपेट में हैं। हालांकि अभी
हड़बड़ी और दहशत की दरकार नहीं है, लेकिन यह ऐसा वायरस है, जो बेहद तेजी से फैलता है और इसकी मृत्यु
दर भी करीब 4 फीसदी है। यदि संक्रमित व्यक्ति की उम्र 70-80 साल की है, तो मृत्यु दर 8 फीसदी तक भी
बढ़ती देखी गई है। हम साल दर साल कोई न कोई फ्लू झेलते रहे हैं, लेकिन उनकी औसत मृत्यु दर करीब 2
फीसदी रही है। कोरोना की व्यापक भयावहता इसी से स्वीकार की जा सकती है कि दुनिया भर में 3100 से
अधिक लोगों की मौतें हो चुकी हैं और 91,000 से ज्यादा इससे प्रभावित हैं अथवा संक्रमित हैं। अकेले चीन में ही
यह वायरस मौत का कहर बनकर फैला है। करीब 3000 लोग मर चुके हैं और करीब 80 हजार संक्रमित या
प्रभावित माने जा रहे हैं। चीन पर भारत की निर्भरता कई मायनों में है, लेकिन करीब 15,000 करोड़ रुपए
सालाना सिर्फ दवाओं के कच्चे माल पर ही खर्च किया जाता है। सबसे ज्यादा 375 तरह के मॉलिक्यूल्स (दवाओं
के अणु) चीन से ही आयात किए जाते हैं। यदि यह महामारी अधिक भयावह और विस्तृत हुई, तो भारत में आम
आदमी की सेहत पर अवांछित संकट मंडरा सकता है। शायद इसीलिए भारत सरकार ने 26 संवेदनशील और
जीवन-रक्षक दवाओं के निर्यात पर फिलहाल रोक लगा दी है। प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ डा. नरेश त्रेहन की
आशंका है कि फिलहाल वायरस के कुछ केस सामने आए हैं, लेकिन हमारे देश में एक बार कोरोना का विस्तार शुरू
हो गया, तो देश की विशालता और आबादी के मद्देनजर उस पर काबू पाना बेहद मुश्किल होगा, क्योंकि हमारे
संसाधन भी सीमित हैं। इन सब परिस्थितियों के बावजूद खौफ खाने के बजाय एहतियात बरतना जरूरी है, ताकि
यह वायरस फैल न सके। एक बार गर्मियों का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, तो यह वायरस खुद
ही खत्म हो जाएगा। बहरहाल भारत में कोरोना से संक्रमित केस बेहद कम हैं। आगरा में एक ही परिवार के 6
सदस्यों को संदिग्ध माना गया है। वहां एक परिवार ने पार्टी की थी, क्योंकि कुछ लोग इटली से लौटे थे। उनके
संपर्क में आने के कारण कुछेक के खून के नमूने पुणे लैब को जांच के लिए भेजे गए हैं। उनके नतीजे आने तक
किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना देशहित में नहीं होगा। जब तक लक्षण पॉजिटिव न पाए जाएं, तब तक कोरोना से
संक्रमित नहीं कहा जा सकता। अलबत्ता कोरोना ने भारत में भी दस्तक तो दे दी है। हालांकि यह वायरस जंगली
जानवरों में ही पाया जाता था, लेकिन वहां से उड़ कर इनसान तक आया है, लिहाजा अभी तक लाइलाज है। विश्व
स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या विश्वनाथन का कहना है कि जिस गति से कोरोना के वैक्सीन पर शोध
चल रहा है, उसके मद्देनजर बाजार में वैक्सीन आने में कमोबेश डेढ़-दो साल लग सकते हैं। तब तक हमें सहायक
थेरेपी और एहतियात से ही काम चलाना पड़ेगा। इलाज संबंधी अफवाहों से बचना ही हित में है। बहरहाल कोरोना से
लड़ने के बंदोबस्त किए जा रहे हैं। इसके लक्षण मीडिया में प्रचारित किए जा चुके हैं। आम जुकाम, खांसी का
मतलब यह नहीं है कि पूरा मुहल्ला ही संक्रमित हो जाएगा। बुखार भी 10 दिनों में 104 डिग्री फॉरेनहाइट हो तभी
कोरोना संदिग्ध है, नहीं तो आम फ्लू है, जो खुद ही तीन-चार दिन में ठीक हो जाता है। भारत सरकार ने इटली,
ईरान, जापान, साउथ कोरिया के वीजा को फिलहाल निलंबित कर दिया है। नोएडा में सक्रिय करीब 1000
कंपनियों को नोटिस दिए गए हैं और विदेशों से आए कर्मचारियों की रपट स्वास्थ्य विभाग को देने को कहा गया
है। विशाखापट्टनम में 19 मार्च को 31 देशों का साझा नौसेना युद्धाभ्यास ‘मिलन’ होना था, उसे भी टाल दिया
गया है। मौजूदा स्थितियों को देखते हुए जापान के टोक्यो शहर में ओलिम्पिक खेल, 2020 इस साल के अंत तक
स्थगित किए जा सकते हैं। भारत में 21 हवाई अड्डों, 12 बड़े बंदरगाहों और 65 छोटे बंदरगाहों पर जांच के बाद
ही कोई आ-जा सकेगा। देश भर में अस्पतालों, प्रयोगशालाओं और डाक्टरों को तैयार किया जा रहा है, ताकि
आपातकाल में हड़बड़ी न मचे। आप भी सुरक्षित रहें और आसपास के लोगों के संपर्क में बहुत कम आएं, ताकि
वायरस का विस्तार सीमित हो। चिंता न करें, गर्मियों का तापमान बढ़ने लगा है। इस बार यह वरदान साबित
होगा।