नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मौत की सजा पाए दोषियों को न्यायालय में अपील
दाखिल करने के लिए मिली 60 दिन की समयसीमा पूरी होने से पहले ही, सजा की तामील के लिए निचली
अदालतों की ओर से ब्लैक वारंट किए जाने पर बृहस्पतिवार को प्रश्न उठाया। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की
अगुवाई वाली पीठ ने उच्चतम न्यायालय के 2015 के एक फैसले का जिक्र किया जिसमें कहा गया था कि किसी
दोषी के खिलाफ मौत का वारंट 60 दिन की उस अवधि के पूरे होने से पहले जारी नहीं किया जा सकता जो दोषी
को उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील दाखिल करने के लिए मिली है। पीठ ने
कहा,‘‘हम जानना चाहते हैं कि इस संबंध में एक फैसला रहने के बावजूद निचली अदालतें ब्लैक वारंट जारी करने
के आदेश कैसे पारित कर रही हैं।’’आगे पीठ ने कहा,‘‘किसी को तो यह समझाना ही पड़ेगा। न्यायिक प्रक्रिया को
इस प्रकार से होने नहीं दिया जा सकता।’’पीठ ने बलात्कार और हत्या के दोषी अनिल सुरेन्द्र सिंह यादव के खिलाफ
गुजरात की सत्र अदालत द्वारा जारी ब्लैक वारंट पर रोक लगा दी।साथ ही पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता
से इस संबंध में सहायता करने को कहा और उनसे उच्चतम न्यायालय के अदेश के बावजूद मृत्यु वारंट जारी होने
के कारणों का पता लगाने को कहा।