नई दिल्ली। केन्द्रीय गृहमंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि लोग जब लोग
हिेंसा करेंगेे तो पुलिस गोली चलाएगी। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए
पुलिस की कार्रवाई का समर्थन करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि जो लोग सवाल पूछ रहे हैं वे ज़रा एक दिन पुलिस
की वर्दी पहन कर खड़े हो जाएं। उन्होंने कहा कि कोई ये नहीं पूछता कि बस क्यों जलाई गई? गाड़ियाँ क्यों जलाई
गईं? लोगों को उतार-उतार कर बसें जलाई गईं। जब लोग हिंसा करेंगे तो पुलिस गोली चलाएगी ही।
शाह ने गुरूवार को एक इंटरव्यू में कहा कि पुलिस को अपनी भी जान बचानी होती है और लोगों को भी बचाना
होता है। कोई ये पूछ रहा है कि बस क्यों जली? बस ना जलती तो डंडा ना चलता। उन्होंने कहा कि कई राज्यों में
हुए हिंसा में पीपुल्स फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफ़आई) पर लगे आरोप के बारे में उन्होंने कहा कि ये कोई राजनेता नहीं
कह रहा है, ये राज्य पुलिस की रिपोर्ट है। पीएफ़आई पर प्रतिबंध लगाने के बारे में उन्होंने कहा कि देश के गृहमंत्री
होने के नाते किसी पर बैन लगाने से पहले वे इस पर कुछ नहीं कहेंगे।
भाजपा शासित राज्यों में ही ज़्याद हिंसा पर अमित शाह ने कहा कि मुझे ये बताइए कि कांग्रेस शासित राज्यों में
दंगे क्यों नहीं हो रहे हैं? ये सवाल भी तो पूछा जाना चाहिए। जनता समझ रही है हिंसा कौन करा रहा है। जहां
कांग्रेस की सरकार है वहां हिंसा क्यों नहीं हुई? ग़लतफ़हमी फैलाई गई कि सीएए से देश के अल्पसंख्यकों की
नागरिकता चली जाएगी। लेकिन विपक्ष नागरिकता संशोधन क़ानून को पढ़कर बता दे कि इसमें कहां पर किसी भी
नागरिकता लेने का प्रावधान है।
एनआरसी सीएए और एनपीआर का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग इसे लेकर भ्रम में हैं और समझना
चाहते हैं, उनके लिए उनके घर के दरवाज़े हमेशा खुले हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग चाहें तो आधी रात को तीन
बजे भी आकर उनसे मिल सकते हैं। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को चुनौती देते हुए शाह ने कहा कि एक बार
वे साबित कर दें कि ग़रीबों या मुसलमानों की नागरिकता जाएगी। उन्होंने कहा कि मैं राहुल गांधी और प्रियंका
गांधी से कहूंगा कि आप क़ानून नहीं पढ़ रहे हैं और लोगों को डरा रहे हैं कि नागरिकता चली जाएगी। हमें अपेक्षा
नहीं थी कि विपक्ष देश को इतना गुमराह करेगा।