बच्चों के विकास में मां का दूध ही सर्वोत्तम आहार माना गया है। मां द्वारा बच्चों को स्तनपान नहीं करवाए जाने
और छह महीने के नवजात को अक्सर गाय का दूध पीने की सलाह इसलिए दे दी जाती है कि गाय का दूध भैंस
के दूध से पतला होता है और नवजात जल्द पचा लेते हैं लेकिन सिनर्जिस्ट्क इंटेग्रेटिव हैल्थ के अध्ययन मुताबिक
गाय का दूध बच्चों को देना हानिकारक भी हो सकता है। यही नहीं कुछ और रिसर्चर्स का भी मानना है कि दूध से
बच्चों को नुकसान हो सकता है।
दूध खतरनाक मगर कैसे
रिसर्चर्स द्वारा किए गए अध्ययन मुताबिक गाय के दूध में दूसरे जानवरों के मुकाबले तीन गुणा ज्यादा प्रोटीन
होती है। बच्चों को उतनी ही प्रोटीन दी जानी चाहिए जितनी बच्चे को जरूरत हो। ज्यादा मात्रा में प्रोटीन बच्चों की
किडनियों पर असर करती है। किडनियों की एक हद तक ही प्रोटीन फिल्टर करने की क्षमता होती है। इसके आगे
किडनियों में स्टोन बनने की शिकायत हो सकती है।
ज्यादा कैल्शियम से इंफलामेशन
बच्चों को दूध दिए जाने के पीछे धारणा यह है कि दूध में कैल्शियम ज्यादा होता है और बच्चों की हड्डियों के
विकास के लिए दूध दिया जाना उत्तम माना जाता है लेकिन ज्यादा मात्रा में कैल्शियम से हड्डियों में
इंफलामेशन(सूजन) हो सकती है, जिससे हड्डियों में दर्द की शिकायत होती है।
ऑस्टियोपोरोसिस के ज्यादा केस
हड्डियों की मजबूती के लिए डेयरी प्रोडक्ट्स खाने की सलाह दी जाती है और द फैलसी ऑफ मिल्क डस द बॉडी
गुड लेख के मुताबिक अमरीका में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा डेयरी प्रोडक्ट्स खाते हैं और ऑस्टियोपोरोसिस के
मामले भी इस देश में ज्यादा सामने आते हैं।
दूध में पेस्टीसाइड्स
आजकल खेतों में फसल की ज्यादा उपज लेने के लिए खादों के उपयोग के साथ-साथ कीट पतंगों आदि से बचाने
के लिए फसलों पर अंधाधुंध पेस्टीसाइट्स का भी इस्तेमाल किया जाता है। खेतों से पशुओं के लिए जो चारा आता
है उसमें अत्याधिक पेस्टीसाइड्स की मात्रा होती है और यह चारा खाने के बाद पेस्टीसाइड्स पहले पशुओं के खून में
और फिर दूध में मिक्स हो जाता है। पेस्टीसाइड्स बच्चों के पेट में जाने के बाद बच्चों में पेट खराब(गैस्ट्रिक
कोलिक या कोलिक पेन) होने की शिकायत हो सकती है। कई बार तो इससे अंतड़ियां तक खराब हो जाती है।