मनदीप जैन
नई दिल्ली। पूर्व टेस्ट क्रिकेटर और नैशनल सिलेक्टर देवांग गांधी गुरुवार को सुर्खियों में
थे। उन्हें कोलकाता के ईडन गार्डंस में बंगाल के ड्रेसिंग रूम से ऐंटी करप्शन यूनिट (एसीयू) ने बाहर कर दिया था।
देवांग के अनधिकृत रूप से ड्रेसिंग रूम में घुसने की शिकायत भारतीय क्रिकेटर मनोज तिवारी ने की थी। हालांकि,
देवांग ने बाद में कहा कि वह बंगाल के कोच अरुण लाल और एसीयू अधिकारी की इजाजत लेकर ड्रेसिंग रूम में
गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पीठ में दर्द था और वह बंगाल टीम के फिजियो से दिखाने गए थे। क्रिकेट
असोसिएशन ऑफ बंगाल (कैब) ने भी गांधी का बचाव करते हुए कहा कि वह प्लेयर्स एरिया से बाहर बने मेडिकल
रूम तक गए थे और इसकी अनुमति ली थी। इस मामले पर मनोज ने से कहा, यह गलत है कि देवांग अनुमति
लेकर गए थे। पहली बात तो ऐसी अनुमति किसी को नहीं दी जाती चाहे वह सिलेक्टर ही क्यों न हों। दूसरी, अगर
अनुमति थी तो फिर एसीयू के अधिकारी ने उन्हें बाहर क्यों किया? मनोज को काफी समय से किसी राष्ट्रीय टीम
में मौका नहीं मिला है। इस बारे में उन्होंने एक इंटरव्यू में देवांग पर जानबूझकर नजरअंदाज करने का आरोप
लगाया था। क्या यही वजह है कि मनोज ने देवांग को ड्रेसिंग रूम से निकलवाया। बंगाल के सीनियर बल्लेबाज ने
इस पर कहा, इसमें कोई दो राय नहीं कि गांधी ने न केवल उनकी बल्कि बंगाल के कई उभरते खिलाड़ियों जैसे
ईशान पोरेल, आकाशदीप, श्रीवत्स गोस्वामी की अनदेखी की है। मगर इस मामले का उससे कोई लेना देना नहीं।
मैंने पूरे क्रिकेट करियर में कभी नहीं देखा कि सिलेक्टर ड्रेसिंग रूम में जाते हों। वहां उनका कोई काम नहीं। अगर
उतना ही दर्द है तो देवांग बाहर के डॉक्टर्स से भी दिखा सकते हैं। मैंने उनकी शिकायत करके गलत नहीं किया।'
34 साल के मनोज को पिछले दो साल से आईपीएल ऑक्शन में कोई खरीदार नहीं मिल रहा। इस बार भी
नजरअंदाज किए जाने के बाद मनोज ने समुद्र के किनारे शराब का एक प्याला उठाए एक विडियो सोशल मीडिया
पर शेयर किया था। मनोज ने कहा कि वह विडियो पुराना है। तो क्या वह इन दिनों अपनी अनदेखी का गुस्सा
सिलेक्टर्स पर निकाल रहे हैं। मनोज ने कहा,मेरा 2017 का प्रदर्शन देख लीजिए। 324 रन थे और 140 के
आसपास स्ट्राइक रेट। यह बात समझ में नहीं आती कि किसी वरुण चक्रवर्ती को एक सीजन में 8.4 करोड़ में
खरीदा जाता है। एक मैच खिलाया जाता है और फिर इस बार 4 करोड़ में खरीदा जाता है। फिर मुझे क्यों इग्नोर
किया जाता है।