वाशिंगटन/नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में
कांग्रेस सदस्य प्रमिला जयपाल की ओर से कश्मीर पर लाया गया लंबित प्रस्ताव जम्मू-कश्मीर में हालात का
निष्पक्ष चित्रण नहीं करता है। उन्होंने कहा कि भारतीय-अमेरिकी कांग्रेस सदस्य जयपाल और सांसदों से मुलाकात
करने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है जिन्होंने अपना मन पहले ही बना लिया है और वे वस्तुस्थिति से अवगत
नहीं हैं तथा बात करने को भी तैयार नहीं हैं। जयपाल (54) ने इस महीने की शुरुआत में कश्मीर पर प्रस्ताव पेश
किया। वह इस विषय में देशभर के भारतीय मूल के लोगों की सोच को नजरअंदाज करते हुए प्रस्ताव पेश करने की
अपनी पूर्व घोषित योजना पर आगे बढ़ीं। प्रस्ताव में उन्होंने भारत से कहा है कि जम्मू-कश्मीर में संचार पर लगी
सभी पाबंदियां जल्द से जल्द हटाई जाएं जो पांच अगस्त को संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को
रद्द करने के बाद जम्मू-कश्मीर में लगाई गई थी। इसके अलावा सभी नागरिकों के लिए धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा
करने का अनुरोध भी किया गया है। भारत ने कश्मीर में पाबंदियां लगाने का यह कहते हुए बचाव किया है कि ऐसा
पाकिस्तान को आतंकियों और अन्य उपद्रवियों की मदद से यहां गड़बड़ी फैलाने से रोका जा सके। टू प्लस टू वार्ता
के बाद वॉशिंगटन डीसी के अपने दौरे के समापन पर जयशंकर ने भारतीय संवाददाताओं के समूह से यहां कहा,
‘‘मुझे (कांग्रेस के) उस प्रस्ताव की जानकारी है। मुझे लगता है कि इसमें जम्मू-कश्मीर के हालात को ठीक से
समझा नहीं गया, भारत सरकार जो कर रही है उसका निष्पक्ष चित्रण भी नहीं किया गया है। (जयपाल से)
मुलाकात में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है।’’ जयशंकर से पूछा गया कि क्या आप उस प्रस्ताव को गंभीरता से लेते हैं
जिसमें भारत में बने हालात की निंदा की गई है। इस पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं ऐसे लोगों से मिलना चाहता हूं जिन्हें
वस्तुस्थिति का ज्ञान हो और जो बात करने के लिए तैयार हो, ऐसे लोगों से नहीं जो पहले से अपना मन बना चुके
हैं।’’ वाशिंगटन पोस्ट में आई एक खबर में कहा गया है कि जयशंकर ने इस हफ्ते कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्यों के
साथ अपनी मुलाकात एकाएक ही रद्द कर दी क्योंकि अमेरिकी सांसदों ने जयपाल को बैठक में शामिल नहीं करने
की उनकी मांग खारिज कर दी थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि जयशंकर प्रतिनिधि सभा की विदेशी मामलों के
अध्यक्ष एलियट एल एंजेल, समिति के शीर्ष रिपब्लिकन सदस्य माइकल मैककौल और अन्य अमेरिकी सांसदों से
मिलने वाले थे जिनमें जयपाल भी शामिल थीं। वाशिंगटन पोस्ट ने जयपाल के हवाले से कहा, ‘‘यह इस विचार को
और भी मजबूत करता है कि भारत सरकार असहमित की किसी आवाज को बिल्कुल नहीं सुनना चाहती।’’