नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल ने रेस्त्रां में खाने पर जीएसटी की दर तय करने के लिए एक मंत्रिसमूह भी गठित करने का निर्णय किया। समूह यह भी देखेगा कि जो रेस्त्रां जीएसटी का इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करके अपने चार्ज घटाते हैं या नहीं। देखा जाएगा कि चार्ज कम न करने पर जीएसटी की दर को कम करने की जरूरत है या नहीं।
अभी ग्राहकों को रेस्त्रां सेवाओं पर इनपुट क्रेडिट का लाभ नहीं मिल रहा है। मंत्रिसमूह इस पर भी विचार करेगा कि किसी भी व्यापारी के टर्नओवर का आकलन करते समय उसमें जीएसटी से छूट प्राप्त वस्तुओं की बिक्री को शामिल किया जाए या नहीं।
इसके अलावा मंत्रिसमूह इस बात पर भी अपनी सिफारिश देगा कि कंपोजीशन स्कीम के व्यापारियों को अंतरराज्यीय कारोबार की छूट दी जाए या नहीं। मंत्रिसमूह यह विचार भी करेगा कि कंपोजीशन स्कीम में दो प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करने वाले मैन्यूफैक्चरर को इनपुट क्रेडिट दिया जाए या नहीं।
जीएसटी लागू होने के बाद छोटे और मझोले व्यापारियों की दिक्कतें दूर करने के लिए जीएसटी काउंसिल ने बड़ी राहत दी है। अब 90 फीसदी व्यापारियों को हर महीने जीएसटी का रिटर्न दाखिल नहीं करना पड़ेगा।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की 22वीं बैठक में शुक्रवार को छोटे और मझोले व्यापारियों को राहत देने के इरादे से दो अहम फैसले किए गए। साथ ही जीएसटी लागू होने के बाद नकदी के संकट से जूझ रहे निर्यातकों को भी बड़ी राहत देने का निर्णय किया।
जीएसटी काउंसिल ने छोटे और मझोले कारोबारियों को राहत देने के इरादे से पहला निर्णय कंपोजीशन स्कीम की मौजूदा सीमा सालाना 75 लाख रुपये टर्नओवर को बढ़ाकर एक करोड़ रुपये करने के तौर पर किया। वहीं दूसरा निर्णय सालाना डेढ़ करोड़ रुपये तक टर्नओवर वाले व्यापारियों के लिए हर माह रिटर्न दाखिल करने की बाध्यता को खत्म करने का किया।
वित्त मंत्री का कहना है कि काउंसिल के इस निर्णय के बाद जीएसटी में पंजीकृत 90 प्रतिशत कारोबारियों को हर माह रिटर्न भरने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ये तीन माह में एक बार रिटर्न दाखिल कर सकेंगे। साथ ही कंपोजीशन स्कीम के तहत जुलाई-सितंबर की तिमाही का रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि बढ़ाकर 15 नवंबर कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि दैनिक जागरण ने जीएसटी काउंसिल की बैठक से पहले ही यह समाचार दिया था कि काउंसिल छोटे और मझोले कारोबारियों को बड़ी राहत देने का निर्णय कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो दिन पहले ही कंपनी सचिवों के गोल्डन जुबली कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि सरकार कारोबारियों को राहत देने के लिए जीएसटी के नियमों में बदलाव करने को तैयार है।
काउंसिल ने दूसरा अहम निर्णय जीएसटी लागू होने के बाद रिफंड की समस्या से जूझ रहे निर्यातकों को राहत देने के लिए किया। निर्यातकों को मार्च 2018 तक जीएसटी लागू होने से पूर्व की भांति आइजीएसटी से छूट प्राप्त रहेगी और उसके बाद उनके रिफंड की व्यवस्था के लिए ई-वॉलेट की व्यवस्था होगी।
ई-वॉलेट की व्यवस्था के तहत निर्यातकों को पहले से ही सरकार की ओर से एक नेशनल क्रेडिट दे दिया जाएगा जिसका इस्तेमाल वे आइजीएसटी के भुगतान के लिए कर सकेंगे। आइजीएसटी आयात पर लगता है। यह व्यवस्था एक अप्रैल 2018 से शुरू होगी। हालांकि घरेलू निर्माताओं से निर्यात के लिए माल खरीदने वाले निर्यातकों को 0.1 प्रतिशत की दर से मामूली जीएसटी का भुगतान करना होगा।
वैसे जो निर्यातक जुलाई के लिए जीएसटी का भुगतान कर चुके हैं उन्हें इसका रिफंड 10 अक्टूबर से तथा अगस्त के लिए रिफंड 18 अक्टूबर से मिलना शुरू हो जाएगा। काउंसिल ने यह निर्णय राजस्व सचिव हसमुख अढिया की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों पर किया है। यह समिति काउंसिल की हैदराबाद बैठक में गठित की गई थी।
जीएसटी काउंसिल ने ई-वे बिल की व्यवस्था को अलग-अलग राज्यों में एक जनवरी 2018 से तथा देशभर में एक अप्रैल 2018 से लागू करने का निर्णय भी किया। इसके अलावा काउंसिल ने टीडीएस और टीसीएस की व्यवस्था के क्रियान्वयन को भी 31 मार्च 2018 तक टालने का निर्णय किया।
जीएसटी काउंसिल ने रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत गैर पंजीकृत डीलरों से कर योग्य वस्तुएं या सेवाएं खरीदने पर टैक्स देने की जिम्मेदारी खरीदार की होने संबंधी सीजीएसटी कानून की धारा को भी 31 मार्च 2018 तक लागू न करने का निर्णय किया है।