आईआईटी दिल्ली के अनुसंधानकर्ता त्वरित निदान के लिए प्रौद्योगिकी विकसित कर रहे

asiakhabar.com | November 1, 2019 | 1:46 pm IST
View Details

नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के शोधकर्ता
प्रतिजीवाणु प्रतिरोध (एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस) की समस्या से निपटने के लिए नैदानिक समाधान ढूंढने
की दिशा में एक प्रौद्योगिकी पर काम कर रहे हैं। इस प्रौद्योगिकी की मदद से विषाणु संक्रमण
(बैक्टीरियल इंफेक्शन) का तेजी से पता लगाया जा सकेगा और उपचार पद्धति तय की जा सकेगी।
आईआईटी की एक टीम के मुताबिक, शोध नैदानिक जांचों में प्रतिजीवाणुओं के अनावश्यक प्रयोग को
घटाएगा और प्रतिरोध विकसित होने को कम करेगा क्योंकि वर्तमान में प्रतिजीवाणु प्रतिरोध जीव विज्ञान
और त्वरित निदान के लिए बायोमार्कर एवं प्रौद्योगिकी की उपलब्धतता के बीच समझ का बड़ा अंतर है।
परियोजना के प्रधान अनुसंधानकर्ता, आईआईटी प्राध्यापक विवेकानंदन पेरुमल ने कहा, “प्रतिजीवाणु
प्रतिरोध अब इस सदी की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या मान ली गई है। मौजूदा जीवाणु विज्ञान तरीकों के
सीमित होने के कारण, ऐसा अनुमान है कि एंटीबायोटिक दवाएं लेने के दो-तिहाई नुस्खे बेवजह लिखे
जाते हैं और प्रकृति में प्रयोग आधारित होते हैं। यह चलन पिछले दशक में प्रतिजीवाणु प्रतिरोध

(एएमआर) के उभरने और इसके तेजी से प्रसार के पीछे बड़ा कारण है।”अनुसंधान टीम चार बड़े रोगाणुओं
पर ध्यान केंद्रित करेगी जो भारतीय नैदानिक व्यवस्था में प्रतिजैविकों (एंटीबायोटिक) के खिलाफ अक्सर
प्रतिरोध विकसित कर लेती हैं। इस अनुसंधान में जीवाणुरोधी संवेदनशीलता विकसित करने के तरीकों को
विकसित करने पर भी गौर किया जाएगा।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *