मनोज स्वर्णकार
वाराणसी। दुनिया में भारतीय संस्कृति को सर्वोच्च स्थान दिलाने का श्रेय मौर्य
वंश और गुप्त वंश को देते हुये केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सम्राट स्कंदगुप्त के पराक्रम और
उनके शासन चलाने की कला पर चर्चा किये जाने और देश के गौरवशाली इतिहास को संदर्भ ग्रंथ बनाकर
पुन: लेखन की जरूरत पर बल दिया है। श्री शाह ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में गुरूवार को
‘गुप्तवंशक-वीर: स्कंदगुप्त विक्रमादित्य’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का
शुभारंभ करते हुये कहा कि महाभारत काल के दो हजार साल बाद 800 वर्ष का कालखंड दो प्रमुख शासन
व्यवस्थाओं मौर्य वंश और गुप्त वंश के कारण जाना गया। दोनों वंशों ने भारतीय संस्कृति को तब विश्व
के अंदर सर्वोच्च स्थान पर प्रस्थापित किया। उन्होने कहा कि गुप्त साम्राज्य की सबसे बड़ी सफलता
हमेशा के लिए वैशाली और मगध साम्राज्य के बीच टकराव को खत्म कर अखंड भारत का निर्माण करना
था। चंद्रगुप्त विक्रमादित्य को प्रसिद्धि मिलने के बावजूद लगता है कि उनके साथ इतिहास में बहुत
अन्याय भी हुआ है। उनके पराक्रम की जितनी प्रशंसा होनी थी, उतनी शायद नहीं हुई वहीं सम्राट
स्कन्दगुप्त ने भारत की संस्कृति, भाषा, कला, साहित्य, शासन प्रणाली, नगर रचना प्रणाली को हमेशा से
बचाने को प्रयास किया है लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि आज स्कंदगुप्त पर अध्ययन के लिए कोई 100
पेज भी मांगेगा, तो वो उपलब्ध नहीं हैं। सम्राट स्कंदगुप्त के पराक्रम और उनके शासन चलाने की
कला पर चर्चा की जरूरत है। स्कंदगुप्त के इतिहास को पन्नों पर स्थापित कराने की जरूरत है।
इतनी ऊंचाई पर रहने के दौरान शासन व्यवस्था के लिए उन्होंने शिलालेख बनाए। स्कंदगुप्त ने
रेवेन्यू नियम भी बनाए जो आज की जरूरत है। लंबे गुलामी के दौर के बाद भी उनके बारे में कम ही
जानकारी उपलब्ध है।