चेन्नै। वुहान समिट के एक साल बाद भारत के साथ अनौपचारिक वार्ता के लिए
भारत पहुंचे चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग महाबलीपुरम के ऐतिहासिक मंदिरों और संस्कृति को देख
अभिभूत हो गए। वुहान में जिस तरह से चीन के राष्ट्रपति ने पीएम मोदी का ग्रैंड वेलकम किया था,
कुछ उसी तरह से प्रधानमंत्री ने चीनी के राष्ट्रपति महाबलिपुरम में स्वागत किया। पीएम मोदी के साथ
चीन के राष्ट्रपति ने अर्जुन की तपस्यास्थली, पंच रथ, कृष्णा बटर बॉल और शोर मंदिर देखा। दोनों
नेताओं ने शाम को नृत्य संगीत का आनंद लिया।
मुलाकात के बाद शी चिनफिंग ने कहा कि महाबलीपुरम आकर उन्हें वुहान की यादें ताजा हो गईं। चीनी
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें तमिलनाडु आकर बेहद खुशी हो रही है और इससे भारत के बारे में और
जानने का मौका मिला है। बताया जा रहा है कि मुलाकात के दौरान पीएम मोदी और शी ने एक-दूसरे
की संस्कृति और सभ्यता के बारे में बात की।
शी चिनफिंग ने कहा कि सिल्क रूट के समय से ही तमिलनाडु समुद्री परिवहन का बड़ा हब रहा है।
तमिलनाडु का चीन के साथ ऐतिहासिक संबंध रहा है। प्राचीन काल से ही दोनों के बीच बेहद घनिष्ठ
व्यापारिक रिश्ते रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत और चीन दोनों की सभ्यता कई हजार साल पुरानी है
और तभी से दोनों एक-दूसरे से सीख रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के पूर्वज तमाम संकटों से
उबरकर व्यापार किया और साहित्य, कला, दर्शन तथा धर्म को बढ़ावा दिया। इसने दोनों ही देशों को
फायदा पहुंचाया।
पीएम मोदी ने शी से कहा कि महाबलीपुरम के स्मारक भारत के अद्भुत सांस्कृतिक विरासत के
उदाहरण हैं। ये स्मारक भारत और चीन के बीच कई सौ साल से चले आ रहे ऐतिहासिक संबंधों के
गवाह हैं। दोनों नेताओं ने स्वीकार किया कि चीन और भारत को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए
और समान विकास और समृद्धि के लिए एक-दूसरे से सीखना चाहिए।
बता दें कि शुक्रवार को चेन्नै पहुंचे चिनफिंग के स्वागत में एयरपोर्ट पर भारतीय कलाकारों ने पूर्ण
कुंभम सांस्कृतिक नृत्य का आयोजन किया। उनके स्वागत के लिए एयरपोर्ट में रेड कार्पेट भी बिछाया
गया था। एयरपोर्ट के बाहर काफी संख्या में छात्र भारत और चीन का झंडा फहराते हुए चिनफिंग का
स्वागत करते दिखे। तमिलनाडु के कलाकार नादस्वरम भी पेश किया। शाम को दोनों नेताओं ने
भरतनाट्यम का आनंद लिया। इसके बाद पीएम मोदी ने उन्हें रात्रिभोज दिया। इसमें दक्षिण भारत के
बेहतरीन पकवान शी को परोसे गए।