जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का बदला लेने के लिए पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई और पाक
सेना भारत में हर हाल में आतंकी हमला करना चाहते हैं। आतंकी मुंबई में हुए 26/11 जैसा आतंकी
हमला करने की फिराक में हैं। आईएसआई और पाक सेना ने आतंकवादी संगठन जैश के अलावा पाक में
बैठे इंडियन मुजाहिदीन के फाउंडर सदस्य भटकल बंधुओं को भारत में आतंकी हमले करने के लिए कहा
है। खुफिया विभाग का कहना है कि हमले को अंजाम देने के लिए भटकल बंधु आजमगढ़ मॉड्यूल का ही
सहारा लेंगे। इसके अलावा ये इनपुट्स भी मिले हैं कि पाक से कुछ और आतंकी जल्द ही भारत में प्रवेश
करने वाले हैं। इस बीच खबर यह भी है कि जम्मू-कश्मीर में सर्दियों के शुरू होने से पहले आतंकवादियों
को भेजने के लिए पाकिस्तान ने पूरी ताकत लगा दी है। पाकिस्तान अब घुसपैठ के लिए नए-नए रास्ते
तलाश रहा है। सेना ने अब राज्य के सिंध घाटी के गुरेज सेक्टर में दो आतंकियों को मार गिराया है।
बताया जा रहा है कि छह साल बाद इस इलाके में घुसपैठ की घटना सामने आई है। आतंकवादियों के
घुसपैठ की यह घटना 27 सितंबर और 3 अक्टूबर को हुई। दिल्ली पहले से ही आतंकियों के निशाने पर
है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि देश में आतंकवादियों का सामना करने के लिए सुरक्षा बलों की तैयारीऐसी है
कि वे किसी भी आतंकी गतिविधि का सामना और उसे नाकाम कर सकते हैं। फिर भी यह चिंता की
बात है कि सीमाई इलाकों में घुसपैठ के बाद अब आतंकियों के दिल्ली तक में आ धमकने की खबरें आई
हैं। खुफिया सूचना के मुताबिक पिछले हफ्ते शहर में घुसे तीन से चार आत्मघाती आतंकी दरअसल जैश-
ए-मोहम्मद से जुड़े हैं, जो जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने से बौखलाए हैं और बड़े हमले
को अंजाम देने की फिराक में हैं। जाहिर है, यह अतिरिक्त सावधानी बरतने का समय है और इसी वजह
से दिल्ली पुलिस के विशेष दस्ते ने बिना देरी किए एहतियाती कार्रवाई करते हुए कई जगहों पर छापा
मारा और कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया। लेकिन अंदाजा लगाया जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर में
हुए घटनाक्रमों के बाद अलगाववादी संगठनों के भीतर किस तरह की हताशा छाई होगी और वे घात लगा
कर नुकसान पहुंचाने की फिराक में होंगे।
लगभग दो महीने पहले जब जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के संदर्भ में जो फैसला लिया गया था, तभी
से यह आशंका जताई जा रही थी कि इसके बाद वहां के आतंकी संगठनों की ओर से प्रतिक्रिया आ
सकती है। तमाम एहतियात की वजह से कश्मीर में कोई बड़ा विरोध सामने नहीं आया। उम्मीद की जा
रही है कि कुछ दिनों में स्थितियां सामान्य हो जाएंगी। लेकिन आतंकवादी संगठनों को शायद इसी बात
से दिक्कत है कि इतने महत्वाकांक्षी फैसले के बावजूद कश्मीर में शांति क्यों बनी रही! शायद यही वजह
है कि वे अब पहले की तरह आत्मघाती हमलों का रास्ता अख्तियार करके एक बार फिर घाटी को आतंक
की आग में झोंकना चाहते हैं। लेकिन यह राहत की बात है कि देश के सुरक्षा बलों ने अब तक ऐसी हर
अवांछित गतिविधि का वक्त पर सही जवाब दिया है और आतंकवादियों पर काफी हद तक लगाम लगी
है।
यह किसी से छिपा नहीं है कि सीमापार से भारतीय इलाकों में घुसने की लगातार कोशिशों को सुरक्षा
बलों ने किस तरह से नाकाम किया है। खासतौर पर पिछले कुछ समय से कश्मीर में घुसपैठ के मौके
नहीं मिल पाने की वजह से आतंकवादियों के बीच हताशा का माहौल है। हाल के दिनों में यह साफ होकर
उभरा है कि जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के सरगना अपने पाकिस्तान स्थित
ठिकानों से भारत में आतंकी गतिविधियां संचालित करते हैं। लेकिन भारत की तरफ से बार-बार इस ओर
ध्यान दिलाने और शिकायत के बावजूद पाकिस्तान ने ऐसी कोई पहलकदमी नहीं की, जिससे उसकी
सीमा से काम करने वाले आतंकी संगठनों को रोका जा सके। उल्टे पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर
मनमाने तरीके से कश्मीर का मुद्दा उठाया और भारत को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। लेकिन
अब तक उसे दुनिया के किसी भी देश की ओर से ठोस समर्थन मिलना मुमकिन नहीं हुआ। जाहिर है,
पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों के लिए इसे पचा पाना असहज है और वे भारत को दूसरे स्तर पर
नुकसान पहुंचाने की मंशा रखते हैं। राजधानी दिल्ली में आतंकियों की घुसपैठ की कोशिश इसी पृष्ठभूमि
क नतीजा हो सकती हैं। इन आशंकाओं के मद्देनजर जरूरत इस बात की है कि सुरक्षा-व्यवस्था चाक-
चौबंद हो और कोई भी ऐसी गुंजाइश नहीं छोड़ी जाए, जो बाद में किसी असुविधा का कारण बने।