मुन्ना हाथी ने जिद छोड़ दी

asiakhabar.com | October 5, 2019 | 5:09 pm IST
View Details

कार्तिक गुप्ता

मुन्ना हाथी का कारोबार सारे जंगल में फैला था। सारे पेड़-पौधों पर उसका एकछत्र अधिकार था। जहां भी
उसकी तबीयत होती वहां जाकर पेड़ों की डालें तोड़ता, पत्ते चबाता और पेड़ हिला डालता। किसकी मजाल

कि उसे रोके। जंगल में शेर ही उसकी बराबरी का जानवर था किंतु उसे पेड़-पौधों से क्या लेना-देना? उसे
जानवरों के मांस से मतलब था।
मुन्ना खूब पत्ते खाता, घूमता और मौज करता। एक दिन जंगल के रास्ते से कारों का काफिला निकला।
रंग-बिरंगी कारें देखकर मुन्ना का भी मूड हो गया कि वह भी कार में घूमे, हॉर्न बजाकर लोगों को सड़क
से दूर हटाए और सर्र से कट मारकर आगे निकल जाए। दौड़कर वह टिल्लुमल के शोरूम में जा पहुंचा
और टिल्लुमल से अच्छी-सी कार दिखाने को कहा। टिल्लु चकरा गया। अब हाथी के लायक कार कहां से
लाए।
बोला- भैया तुम्हारे लायक कार कहां मिलेगी? इतनी बड़ी कार तो कोई कंपनी नहीं बनाती।
परंतु मुन्नाभाई ने तो जैसे जिद ही पकड़ ली कि कार लेकर ही जाएंगे।
अरे भाई, तुम्हारे लायक कार कंपनी को अलग से आदेश देकर बनवाना पड़ेगी, टिल्लुमल ने समझाना
चाहा।
तो बनवाओ, इसमें क्या परेशानी है? मुन्ना झल्लाकर बोला।
बहुत बड़ी कार बनेगी।
तो बनने दो, तुम्हें क्या कष्ट है, मुन्ना चीखा।
जब कार चलेगी तो जंगल के बहुत से पेड़ काटना पड़ेंगे।
क्यों… क्यों… काटना पड़ेंगे पेड़?
कार इतनी बड़ी होगी तो पेड़ तो काटना ही पड़ेंगे मुन्ना भैया, टिल्लु ने समझाना चाहा।
क्या पेड़ काटना ठीक होगा अपने जरा से शौक के लिए?
अरे टिल्लुमलजी, कार के लिए पेड़ काटना! अपनी मौज-मस्ती के लिए जंगल काटे, यह मुझे स्वीकार
नहीं है। जंगल ही तो जीवन है, ऐसा कहकर वह जंगल वापस चला गया।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *