करतारपुर भी पाकिस्तान में

asiakhabar.com | October 5, 2019 | 5:04 pm IST
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विकास गुप्ता

सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी से जुड़े करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन के मौके पर भारतीय नेताओं
का प्रवास पहले तो असमंजस में रहा। एक खबर आई कि पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह करतारपुर
जा सकते हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी जाएंगे। यहां तक खबर चलाई गई कि
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस प्रवास को सहमति दे दी है। हालांकि
पाकिस्तान हुकूमत ने प्रधानमंत्री मोदी को कोई न्योता तक नहीं भेजा है। कड़वाहट इस हद तक है! बीती
तीन अक्तूबर की शाम में पंजाब के मुख्यमंत्री ने बयान जारी कर दिया कि करतारपुर जाने का सवाल ही
नहीं है, बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री डा. सिंह को भी जाना नहीं चाहिए। करतारपुर साहिब गुरुद्वारा पाकिस्तान
में ही है। दोनों देशों की सरकारों ने साझा तौर पर इसका कॉरिडोर बनाया है, ताकि भारतीय सिख भी

आध्यात्मिक सुख हासिल कर सकें। पूर्व प्रधानमंत्री के प्रवास पर न तो कांग्रेस का और न ही डा.
मनमोहन सिंह के कार्यालय का कोई अधिकृत बयान आया है। अलबत्ता उनके कार्यालय ने इतनी पुष्टि
जरूर की है कि पाकिस्तान से कोई औपचारिक न्योता नहीं मिला है। लेकिन अब खबर यह पुख्ता है कि
पूर्व प्रधानमंत्री और पंजाब के मुख्यमंत्री सर्वदलीय जत्थे के 21 भक्तों के साथ, करतारपुर कॉरिडोर के
जरिए, दरबार साहिब गुरुद्वारे जाएंगे और गुरु नानक देव के 550वें ‘प्रकाश-पर्व’ पर माथा टेक कर लौट
आएंगे। मुख्यमंत्री ने साफ किया है कि वह और पूर्व प्रधानमंत्री पाकिस्तान द्वारा आयोजित किसी भी
कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे। कॉरिडोर का उद्घाटन भी नौ नवंबर को है। ननकाना साहिब गुरुद्वारे से
‘नगर कीर्तन’ अमृतसर के रास्ते कपूरथला में सुल्तानपुर लोधी लाया जाएगा। उस मौके पर पंजाब
सरकार जो आयोजन करेगी, उसमें राष्ट्रपति कोविंद, प्रधानमंत्री मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
ने शिरकत करने की सहमति पंजाब के मुख्यमंत्री को दी है। लेकिन इस पूरे परिप्रेक्ष्य में पाकिस्तान जरूर
आता है, क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री डा. सिंह और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर को पाकिस्तान की सरजमीं पर
पांव रखकर ही दरबार साहिब गुरुद्वारे तक जाना पड़ेगा। करतारपुर कॉरिडोर पाकिस्तान में ही स्थित है।
अति विशिष्ट भारतीयों के जाने से वहां के वजीर-ए-आजम इमरान खान या विदेश मंत्री शाह महमूद
कुरैशी हमारे पूर्व प्रधानमंत्री से मुलाकात करने आ सकते हैं। मामला राजनयिक प्रोटोकॉल का है। वे
आग्रह भी कर सकते हैं कि पाकिस्तान के साथ उद्घाटन कार्यक्रम में शिरकत करें। दरअसल हम कभी
नहीं भूल सकते कि पाकिस्तान जा रहे हैं, बेशक किसी भी तरह…! सवाल है कि क्या मौजूदा परिस्थितियों
में विदेश मंत्रालय या प्रधानमंत्री दफ्तर पाकिस्तान जाने की इजाजत देगा? बेशक सामान्य भक्तों के लिए
दिक्कत नहीं होनी चाहिए, क्योंकि कॉरिडोर का निर्माण इसी मकसद से किया गया है कि दर्शनार्थी अपने
‘दैवीय संत’ तक पहुंच सकें और माथा टेककर अपनी आस्था बयां कर सकें, लेकिन यथार्थ यह है कि
कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त करने के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ संबंधों को बेहद तनावपूर्ण
बना दिया है। पाक वजीर-ए-आजम इमरान खान लगातार परमाणु जंग की धमकी देते रहे हैं। उन्होंने
संयुक्त राष्ट्र महासभा, सुरक्षा परिषद, मानवाधिकार परिषद समेत पूरी दुनिया नाप डाली है कि कश्मीर
में इनसानी जिंदगी बर्बाद हो रही है, कश्मीर कैदखाना बनकर रह गया है। यह दीगर है कि पाकिस्तान
को कोई भी ठोस समर्थन नहीं मिला। अनुच्छेद 370 हटाने की तारीख पांच अगस्त के बाद से
पाकिस्तान 440 बार संघर्ष विराम उल्लंघन कर चुका है। लगातार सीमापार गोलीबारी से करीब 25 लोग
मारे जा चुके हैं। गोलाबारी और मोर्टार हमलों में सरहदी मकान ‘मलबा’ हो रहे हैं, मवेशियों को भी मारा
जा रहा है। हमारे चार जवान भी ‘शहीद’ हुए हैं और 27 गंभीर रूप से घायल हैं। सीमापार से गोलीबारी
और घुसपैठ रुक नहीं रही है। चूंकि भारत में यह त्योहारों का मौसम है, लिहाजा जैश-ए-मोहम्मद के चार
आतंकी राजधानी दिल्ली में घुस चुके हैं। यह शीर्ष स्तर की खुफिया लीड है, लिहाजा चौकसी बढ़ा दी गई
है और हर गतिविधि की जांच की जा रही है। इन हालात के मद्देनजर आध्यात्मिक इच्छाओं को पीछे
रखा जाना चाहिए। गुरु पर्व भारत के कई हिस्सों में कई संगठन मनाते रहे हैं और इस बार तो नानक
देव जी का 550वां ‘प्रकाश पर्व’ है। कमोबेश इन हालात में करतारपुर कॉरिडोर तक जाना भी स्थगित
करना चाहिए, क्योंकि हमारे नेता, अंततः पाकिस्तान में ही जाएंगे और उसका तिल का ताड़ पाकिस्तान
जरूर बनाएगा।


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