संजय चौधरी
नई दिल्ली, 05 सितंबर (वेबवार्ता)। राजधानी में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा कई
रणनीति पर काम कर रही है. जिसकी ताबड़तोड़ शुरुआत प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित होने वाली
गतिविधियों से शुरू हो जाएगी. इसी कड़ी में दिल्ली की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी सरकार के
खिलाफ निशाना साधने के लिए भाजपा आप के संस्थापक सदस्य रहे कुमार विश्वास के जरिए एक तीर
से 2 शिकार करने की फिराक में है.
प्रदेश भाजपा अपनी चुनावी रणनीति के तहत एक गैर सरकारी संस्था के जरिए इस महीने की 28
तारीख को दिल्ली में कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने को लेकर एक कवि सम्मेलन करने जा रही है.
जिसमें आम आदमी पार्टी से जुड़े कुमार विश्वास कविता पढ़ने के लिए आएंगे. उन्हें पार्टी ने विशेष रूप
से आमंत्रित किया है. पार्टी सूत्रों के अनुसार कुमार विश्वास ने यह निमंत्रण भी स्वीकार कर लिया है.
हालांकि कवि सम्मेलन कहां होगा यह अभी तक तय नहीं हो पाया है.
वहीं दूसरी तरफ दिल्ली की सत्ता से दो दशक से भी अधिक दूर रही भाजपा ठोस रणनीति के साथ चुनाव
मैदान में उतरने की तैयारी में है. प्रदेश चुनाव प्रभारी बनाए गए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेड़कर सह
संयोजक हरदीप सिंह पुरी और नित्यानंद राय गुरूवार से प्रदेश के नेताओं के साथ बैठक कर चुनावी
रणनीति पर काम करना शुरू कर देंगे.
गुरुवार यानि 05 सितंबर से लेकर 19 सितंबर तक प्रदेश भाजपा कार्यालय में कुल 6 बैठकें आयोजित
होंगी. साल 2014 में लोकसभा की सात सीटें जीतने के बाद भी 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में
भाजपा को बुरी हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि उसके बाद हुए चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर
रहा है.
दिल्ली विधानसभा की 2 सीटों के लिए हुए उपचुनाव में 1 विधानसभा उपचुनाव जीतने में भी भाजपा
सफल रही. इससे कार्यकर्ताओं और नेताओं का मनोबल ऊंचा है. अब हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव
में जिस तरह सातों सीटें पार्टी की झोली में गई और विधानसभा सीटों की तुलना करें तो 70 में से 65
सीटों पर भाजपा को 60 फीसद से ज्यादा वोट मिला है, इससे पार्टी के नेता गदगद हैं. मगर जिस तरह
साल 1998 से भाजपा दिल्ली की सत्ता में वापसी का राह देख रही है, पार्टी के नेता इस बार चुनावी
तैयारी में कोई चूक नहीं चाहते हैं.
बता दें कि दिल्ली में विधानसभा का कार्यकाल फरवरी में पूरा होने जा रहा है. कयास लगाए जा रहे हैं
कि चुनाव अपने निर्धारित समय पर ही होगा. इस लिहाज से चुनावी तैयारी करने के लिए पार्टियों के
पास 5 महीने तक का समय है. आम आदमी पार्टी ने जनसंवाद कार्यक्रम के जरिए विधानसभा क्षेत्रों में
अपनी बात पहुंचाने का सिलसिला शुरू कर दिया है. तो वहीं, भाजपा के नेता अलग-अलग तरीके से
मतदाताओं के बीच अपनी बात पहुंचाने में जुटे हुए हैं.