विकास गुप्ता
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने अधिक से अधिक संख्या में ऐसे
शिक्षकों की आवश्यकता पर बल दिया है जो भावी पीढ़ी में लोकतांत्रिक मूल्यों, समानता, न्याय एवं
मानवाधिकारों के प्रति संवेदना, सम्मान और समर्पण के भाव जागृत कर सकें। नायडू ने बृहस्पतिवार को
देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती ‘शिक्षक दिवस’ के मौके पर अपने संदेश में
कहा, ‘‘हमें अधिकाधिक शिक्षकों की आवश्यकता है जो हमारे बच्चों में लोकतांत्रिक मूल्यों, समानता,
स्वतंत्रता, न्याय, पंथनिरपेक्षता, अखिल मानवता के प्रति संवेदना, आदर और मानवाधिकारों के लिए
सम्मान और समर्पण का भाव जागृत कर सकें।’’ नायडू ने शिक्षकों के महत्व का जिक्र करते हुये ट्वीट
कर कहा, ‘‘डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने कहा था कि शिक्षक वह है जो आत्मावलोकन में सहायता
करता है। श्री अरविंद ने कहा था कि गुरु कोई प्रशिक्षक नहीं बल्कि स्नेहिल मार्गदर्शक होता है।’’ इस
दौरान उपराष्ट्रपति निवास पर नायडू ने विभिन्न शिक्षण संस्थाओं से शिक्षकों से मुलाकात उनके दायित्व
निर्वहन की सराहना की। उन्होंने ट्वीट में कहा, ‘‘आज शिक्षक दिवस के अवसर पर अपने निवास पर गुरु
वृंद का स्वागत करने का सुअवसर मिला। शिक्षकों से विचार विमर्श सदैव स्वयं में एक शिक्षा होती है।
मेरे निवास पर स्वागत का अवसर देने के लिए शिक्षक गण का आभार।’’ नायडू ने शिक्षा व्यवस्था की
तात्कालिक जरूरतों का उल्लेख करते हुये कहा ‘‘स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि शिक्षा वह है जिससे
चरित्र का निर्माण हो, मन मस्तिष्क की क्षमता का विकास हो और हमारे बौद्धिक चिंतन का विस्तार
हो, ताकि हम अपने पैरों पर खड़े हो सकें।’’उन्होंने डा. राधाकृष्णन को अपना आदर्श बताते हुये कहा,
‘‘मेरे आदरणीय पूर्ववर्ती, स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के प्रथम सभापति, प्रखर
विद्वान डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की जन्म जयंती पर उनकी पुण्य स्मृति को सादर प्रणाम करता
हूं।’’ नायडू ने कहा ‘‘डा. राधाकृष्णन ने देश में संसदीय लोकतंत्र के शुरुआती वर्षों में अपनी विद्वत्ता से
उसकी परंपराओं और मर्यादाओं को समृद्ध किया जो आज भी अनुकरणीय हैं। उन मर्यादाओं का
निष्ठापूर्वक निर्वहन करना ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।’’