संयोग गुप्ता
पाकिस्तान ने कराची के पास जिस ‘गजनवी’ मिसाइल का परीक्षण किया है, वह करीब 17 साल पुरानी
मिसाइल है। इसका पहला परीक्षण 2002 में किया गया था। उसके बाद एक तय अंतराल पर परीक्षण
किए जाते रहे और फौज को भी सौंप दिया गया था। 2012 के बाद अब परीक्षण किया गया है, तो
मकसद पाकिस्तान ही बता सकता है। न तो इसकी मारक रेंज बढ़ाई गई है और न ही कोई तकनीकी
आधुनिकीकरण किया गया है। तो फिर पुरानी मिसाइल का परीक्षण इस तरह क्यों किया गया कि संकेत
जाए कि एक नई मिसाइल छोड़ी गई है। बहरहाल गजनवी मिसाइल की लंबाई, चौड़ाई, क्षमता सब कुछ
यथावत हैं। 290 किमी तक मार करने वाली यह मिसाइल परमाणु विस्फोटक भी ढो सकती है। कई
विरोधाभासों के बीच इस मिसाइल का परीक्षण किया गया है, जबकि पाकिस्तान की शाहीन-3 मिसाइल
की रेंज 3000 किमी से भी ज्यादा है। कई और मिसाइलें पाकिस्तान के पास हैं, जिनकी मारक क्षमता
विविध है। एक ओर यह परीक्षण और दूसरी तरफ इमरान हुकूमत के रेल मंत्री शेख रशीद ने बयान दिया
है कि इसी अक्तूबर अंत तक या नवंबर-दिसंबर में भारत-पाक युद्ध छिड़ सकता है। और दोनों देशों के
दरमियान यह आखिरी जंग होगी। कश्मीर में 370 को हटाने और पीओके पर भारत के कब्जे की
संभावनाओं ने पाकिस्तान को बिलकुल पगला दिया है। हम इसे ‘विनाश काल’ करार दे रहे हैं, क्योंकि
जंग की सूरत में पाकिस्तान का वजूद ही ‘मिट्टी’ होना तय है। पाकिस्तान में भूख और कंगाली है।
उसके करीब 95 फीसदी युवा बेरोजगार हैं। गधे और भैंसें बेचकर पैसा जुटाया जा रहा है। मुर्गे के पंजों
का निर्यात चीन को किया जा रहा है। प्रधानमंत्री सचिवालय की बिजली कटने की नौबत आ गई है,
क्योंकि 41 लाख, 13 हजार रुपए से ज्यादा का बिल नहीं भरा गया है। अब बिजली वालों ने नोटिस भेज
दिया है। पाकिस्तान पर 7.31 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। उसका राजकोषीय घाटा 34 अरब डॉलर
बताया जा रहा है। दिलचस्प बात तो यह है कि यदि पाकिस्तान खुद को तीन बार बेचे, तो भी वह
अमरीका का कर्ज चुका नहीं पाएगा। इन आर्थिक कंगालियों के बावजूद पाकिस्तान के मंत्री और खुद
प्रधानमंत्री परमाणु युद्ध की बात दोहरा रहे हैं। मिसाइल परीक्षण पर पैसा बर्बाद कर रहे हैं। पाकिस्तान
की तुलना में भारत की 1500 किमी रेंज वाली मिसाइल का प्रहार ही पर्याप्त रहेगा, जबकि हम अग्नि-6
की तैयारी कर चुके हैं, जिसकी मारक क्षमता 8000 किमी होगी। अब भी अग्नि-5 के दायरे में पूरा
पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, इराक और यूरोप का काफी हिस्सा है। हमारे पास एंटी बैलेस्टिक
मिसाइल भी हैं, जो जल, थल, नभ से दुश्मन पर मार कर सकती हैं। पाकिस्तान की मिसाइलें सतह से
सतह पर ही हमला करने में समर्थ हैं। सितंबर का महीना अस्त्र-शस्त्र की तैयारी से महत्त्वपूर्ण होगा, जब
फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान आएंगे और इजराइल से स्पाइस-2000 बमों की नई खेप भारत आएगी।
उसमें 100 ऐसे बम होंगे, जो पाताल में भी दुश्मन को निशाना बना सकेंगे और मजबूत बंकरों को भी
चीर कर दुश्मन के सैनिकों को मार सकेंगे। ईश्वर न करे कि जंग की नौबत आए। हम शांतिप्रिय राष्ट्र हैं
और इतना आक्रामक नहीं होना चाहते कि कोई देश नक्शे से ही मिट जाए। विशेषज्ञों का अनुमान है कि
यदि भारत-पाकिस्तान में परमाणु युद्ध की नौबत आई, तो वह 1945 के जापान हमले से भी खौफनाक
होगी। करीब 2 करोड़ लोग मरेंगे और दो अरब लोग रेडिएशन से प्रभावित होंगे। यदि एक-एक करके तीन
परमाणु हमले किए गए, तो 100 किमी तक तबाही हो सकती है, करीब 50 किमी तक रेडिएशन का
प्रभाव होगा। जलवायु, पर्यावरण बुरी तरह प्रभावित होंगे और खेत-खलिहान बंजर हो जाएंगे। यदि परमाणु
बम 100 किग्रा का हुआ, तो पाकिस्तान में इस्लामाबाद, कराची, पेशावर आदि बड़े शहर बिलकुल तबाह
हो सकते हैं। बेशक नुकसान भारत का भी होगा, लेकिन उसके पास परमाणु हमले रोकने की प्रणालियां
भी हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल का मानना है कि भारत अपने नुकसान के बाद फिर खड़ा
होने में सक्षम है, लेकिन पाकिस्तान का वजूद ही मिट जाएगा। बहरहाल हमारा अनुभव कहता है कि
दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध की नौबत नहीं आएगी, लेकिन कश्मीर पर पगलाए, बौखलाए पाकिस्तान
को आखिर कौन समझाएगा?