अर्पित गुप्ता
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि देश में स्वास्थ्य क्षेत्र
में आधारभूत ढांचे के विकास पर तेजी से काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि आधुनिक चिकित्सा ही नहीं,
आयुष की शिक्षा में भी अधिक तथा बेहतर पेशेवर आएं, इसके लिए आवश्यक सुधार किए जा रहे हैं।
आयुष मंत्रालय के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि आयुष ग्रिड का विचार
प्रशंसनीय है और इससे आयुष सेक्टर के सीमित दायरे को दूर करने में मदद मिलेगी। स्वास्थ्य क्षेत्र में
सरकार के कार्यों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में आधारभूत ढांचे के
विकास पर तेजी से काम चल रहा है। दो दिन पहले ही सरकार ने 75 नए मेडिकल कॉलेज बनाने का भी
फैसला लिया है। इससे गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सुविधाओं में बढ़ोतरी तो होगी ही, साथ ही
एमबीबीएस की करीब 16 हज़ार सीटें बढ़ेंगी।’’ उन्होंने कहा कि ‘आयुष्मान भारत’ योजना के तहत जितने
मरीजों को अब तक मुफ्त इलाज मिला है, वे अगर इसके दायरे में न होते तो उन्हें 12 हज़ार करोड़
रुपये से अधिक खर्च करने पड़ते। एक प्रकार से देश के लाखों गरीब परिवारों के 12 हज़ार करोड़ रुपये
की बचत हुई है। मोदी ने कहा, ‘‘ जब हम देश में 1.5 लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोल रहे हैं, तो
आयुष को भूले नहीं हैं। देशभर में साढ़े बारह हज़ार आयुष सेंटर बनाने का भी लक्ष्य है, जिनमें से आज
10 आयुष हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स का उद्घाटन हुआ है। हमारी कोशिश है कि ऐसे चार हजार आयुष
सेंटर इसी वर्ष तैयार हो जाएं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ‘‘हमारे पास हज़ारों वर्षों पुराना साहित्य है,
वेदों में गंभीर बीमारियों से जुड़े इलाज की चर्चा है। लेकिन दुर्भाग्य से हम अपनी पुरातन रिसर्च को
आधुनिकता से जोड़ने में इतने सफल नहीं हो पाए और इसी स्थिति को बीते पांच वर्षों में हमने लगातार
बदलने का प्रयास किया है।’’ उन्होंने कहा कि आज उन्हें योग के साधकों, योग की सेवा करने वालों और
दुनियाभर में योग का प्रचार-प्रसार करने वाले साथियों तथा संगठनों को पुरस्कार देने का मौका मिला है।
इनमें देश के साथ ही इटली और जापान जैसे देशों के लोग और संगठन भी शामिल हैं। पुरस्कार पाने
वाले साथियों को बधाई। मोदी ने कहा कि आयुर्वेद, योग और नेचुरोपैथी, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी
के बाद 'सोवा – रिग्पा' आयुष परिवार का छठा सदस्य हो गया है। इस पहल के लिए वह संबंधित मंत्री
और उनके विभाग को बधाई देते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आज हम देखते हैं कि जिस भोजन को हमने छोड़
दिया, उसको दुनिया ने अपनाना शुरू कर दिया। जौ, ज्वार, रागी, कोदो, समा, बाजरा, सांवा, ऐसे अनेक
अनाज कभी हमारे खान-पान का हिस्सा हुआ करते थे। लेकिन ये हमारी थालियों से गायब हो गए। अब
इस पोषक आहार की पूरी दुनिया में मांग है।’’