विकास गुप्ता
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि नए भारत में ‘सरनेम’
(उपनाम) मायने नहीं रखता, बल्कि अपना नाम बनाने की युवाओं की क्षमता मायने रखती है। उन्होंने
यह भी कहा कि सार्वजनिक जीवन में इतनी सभ्यता होनी चाहिए कि विभिन्न विचारधाराओं के लोग
एक-दूसरे को सुन सकें। मोदी ने ‘‘रचनात्मक आलोचना’’ का स्वागत करते हुए कहा कि लोगों तथा
संगठनों के बीच संवाद अवश्य होना चाहिए, भले ही उनके सोचने का तरीका कुछ भी हो। उन्होंने कहा,
‘‘हमें हर बात पर सहमत होने की जरूरत नहीं है, लेकिन सार्वजनिक जीवन में इतनी सभ्यता होनी
चाहिए कि विभिन्न विचारधाराओं के लोग एक-दूसरे को सुन सकें।’’ प्रधानमंत्री यहां से वीडियो
कॉन्फ्रेन्सिंग के जरिए कोच्चि में मलयाला मनोरमा के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मोदी ने
कहा कि यह नया भारत है जहां युवा का ‘सरनेम’ मायने नहीं रखता, बल्कि अपना नाम बनाने की
उसकी क्षमता मायने रखती है। यह नया भारत है जहां भ्रष्टाचार का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा,
‘‘यहां मैं एक ऐसे फोरम पर हूं जहां शायद बहुत से लोगों का सोचने का तरीका मेरे जैसा न हो, लेकिन
ये चिंतनशील लोग हैं जिनकी रचनात्मक आलोचना का मुझे इंतजार रहता है।’’ मोदी ने कहा कि आम
तौर पर माना जाता है कि सार्वजनिक जीवन से जुड़े लोग ऐसे मंचों पर जाना पसंद करते हैं जहां की
सोच व्यक्ति की खुद की सोच से मिलती हो क्योंकि ऐसे लोगों के बीच काफी सहज महसूस होता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘बेशक, मुझे भी ऐसे माहौल में अच्छा लगता है, लेकिन साथ ही, मेरा यह भी मानना
है कि लोगों और संगठनों के बीच संवाद अवश्य होना चाहिए, भले ही उनके सोचने का तरीका कुछ भी
हो।’’उन्होंने कहा कि लाइसेंस राज और परमिट राज की आर्थिक व्यवस्था लोगों की आकांक्षाओं में रुकावट
का काम करती है। लेकिन आज चीजें बेहतरी के लिए बदल रही हैं। ‘‘ हम विविधतापूर्ण स्टार्टअप ईको-
सिस्टम में ‘न्यू इंडिया’ की भावना को देख रहे हैं।’’ मोदी ने कहा कि वर्षों तक ऐसी संस्कृति को आगे
बढ़ाया गया जहां आकांक्षा एक बुरा शब्द बन गया। तब ‘सरनेम’ और सम्पर्क के आधार पर दरवाजे
खुलते थे। उन्होंने कहा ‘‘आपकी सफलता इस बात पर निर्भर करती थी कि आप ‘ओल्ड ब्वॉयज़ क्लब’ के
सदस्य हैं या नहीं। बड़े शहर, बड़े संस्थान और बड़े परिवार… ये सभी मायने रखते थे।’’ मोदी ने कहा,
‘‘आज स्थिति बदली है, हमारे युवा उद्यमिता की भावना प्रदर्शित कर रहे हैं और शानदार मंच सृजित
कर रहे हैं। हम यह भाव खेल के क्षेत्र में भी देख रहे हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत आज उन क्षेत्रों में
भी आगे बढ़ रहा है जहां हम पहले मुश्किल से नजर आते थे। चाहे स्टार्टअप हो, चाहे खेल हो।’’ उन्होंने
कहा कि छोटे शहरों और गांव के युवा जो स्थापित परिवारों से नहीं आते, जिनके पास बड़ा बैंक बैलेंस
नहीं है, लेकिन उनके पास समर्पण और आकांक्षा है…वे अपनी आकांक्षाओं को उत्कृष्टता में बदल रहे हैं
और भारत को गौरवान्वित कर रहे हैं। ‘‘यह नए भारत की भावना है।’’ मोदी ने कहा कि भारत एकमात्र
ऐसा देश है जहां इतनी अधिक संख्या में भाषाएं बोली जाती हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज वह सुझाव
देना चाहते हैं कि ‘‘क्या हम इन भाषाओं का उपयोग एकता के लिए नहीं कर सकते ? क्या मीडिया सेतु
का काम कर सकता है और अलग-अलग भाषा बोलने वाले लोगों को करीब ला सकता है ? यह इतना
भी कठिन नहीं है जितना दिखता है।’’ उन्होंने कहा ‘‘आज लोग कहते हैं कि – हम स्वच्छ भारत बनाकर
रहेंगे। हम भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त करके रहेंगे। हम सुशासन को एक जन-आंदोलन बनाकर रहेंगे।
यह सब केवल दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण ही संभव हुआ है।’’ मोदी ने कहा कि अब आम लोग रेलवे
स्टेशनों पर वाई फाई सुविधाओं का उपयोग करने लगे हैं। ‘‘क्या कभी किसी ने सोचा था कि यह संभव
हो पाएगा ? सिस्टम भी वही है और लोग भी वही हैं। अंतर आया है तो केवल काम करने के तरीके में।’’