सरबजीत घटना पर क्यों चढ़ रहा राजनीतिक रंग?

asiakhabar.com | June 28, 2019 | 12:17 pm IST
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बीते रविवार ग्रामीण सेवा का चालक सरबजीत मुखर्जी नगर से गुजर रहा था तभी पुलिस की इमरजेंसी
रिस्पांस व्हीकल से उसकी गाड़ी टकरा गई जिस पर दोनों पक्षों के बीच बहस हो गई। पुलिसकर्मियों का
आरोप है कि चालक ने कृपाण से हमला किया। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने बीच सड़क चालक को डंडों
से पीटा। ज्वाइंट कमिश्नर और क्राइम ब्रांच को जांच सौंपी गई है। दोनों ओर से एफआईआर दर्ज कराई
गई है।
घटना स्थल पर लोगों को कहना था कि गाड़ी टकराने के बाद एक पुलिसकर्मी औऱ सरबजीत की आपस
में दोनों की गर्मागर्मी हो गई थी जिस पर सरबजीत ने पुलिस वाले पर कृपाण निकाल कर उसको हड़का
रहा था। इसके बाद उस पुलिस वाले ने थाने से अपने साथियों को बुलाकर उसको काबू करने का प्रयास
किया तो सरबजीत और उग्र हो गया था व उसने एक पुलिसकर्मी को कृपाण से क्षतिग्रस्त किया। उस
पुलिसवाले के करीब दस टाकें भी आए हैं। फिर पुलिस सभी पुलिस वालो ने सरबजीत को बहुत मारा।

लेख में हमारा मुद्दा यह है कि यह महज़ एक घटना है जिस पर हर पार्टी अपनी रोटी सेंक रही है जो
कि हर बार होता आया है। इस घटना को मजहबी रंग भी चढ़ाया जा रहा है।
अरविंद केजरीवाल ने गृह मंत्री अमित शाह और उपराज्यपाल अनिल बैजल से चालक को पीटने वाले
पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की। नई दिल्ली के पुलिस उपायुक्त एवं दिल्ली
पुलिस के प्रवक्ता मधुर वर्मा ने कहा कि मामले को जांच के लिए अपराध शाखा के पास भेजा गया है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि उन्होंने पटनायक से बात की है और उन्हें त्वरित
कार्रवाई करने के लिए कहा गया है व पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस घटना को
शर्मनाक करार देते हुए निंदा की है। कांग्रेस और भाजपा ने इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है,
इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल ने पुलिसकर्मियों को बर्खास्त करने की मांग की। बावजूद इसके
सिख समाज क्यों लगातार क्यों भड़काया जा रहा है।
यदि इस तरह किसी भी घटना को कोई न कोई रंग देते रहे तो भविष्य में होने वाली ऐसी घटनाएं मॉब
लिंचिंग का रजिस्टर्ड लाइसेंस न बन सकती हैं। हमारे देश की विडंबना तो यही है कि हर जरा सी बात
पर नेता अपनी राजनीति करने से बाज नही आते। घटना सुलझाने या शांति अमन बनाने की बजाए
उसको हवा दे देते हैं। जैसा कि कुछ दिनों बाद दिल्ली में चुनाव होने हैं तो इस पर केजरीवाल राजनीति
करने सीधा सरबजीत के घर पहुंच गए और अपना वोट बैंक पक्का करने लगे। अब यदि इन महाशय से
पूछो कि इससे पहले इन्होनें सिख समुदाय की कितनी सुध ली है ? जब बात सिखों की हो तो पंजाब के
मुख्यमंत्री का ब्यान आना भी स्वभाविक है उन्होनें इस घटना पर वहीं से खेल करना शुरु कर दिया।
इसके अलावा भी तमाम ऐसे नेता हैं जिन्होनें घटना के दोनों पहलुओं जाने बिना ही बस अपना ब्यान
ठोक दिया।
ऐसा हम देखते व समझते आए हैं कि सिक्के दो पहलु होते हैं जिसे जनता तो समझ रही है लेकिन
हमारे देश के कुछ नेता नही समझ पा रहे। यह घटना होते ही देशभर में इसका विडियो वॉयरल हुआ
जिसे कुछ लोगों ने सरबजीत का पक्ष रखा तो कुछ लोगों ने पुलिस का तो साथ ही कुछ लोगों ने सिर्फ
इसको एक घटना ही बताई। मुखर्जी नगर थाने के जमा भीड़ ने एसीपी पर भी हमला करने की कोशिश
की जिस पर उन्हें भाग कर जान बचानी पड़ी। आक्रोश के चलते इस घटना पर गृहमंत्रालय ने भी इस
रिपोर्ट मांगी है।
आश्चर्य होता है कई बार जब हम अपने आप से कई सवालों के जबाव नही ढूंढ पाते ? क्या भेड़चाल
जिंदगी का हिस्सा बन गई या फिर हमें मौके का नाजयाज फायदा उठाना आ गया। जबकि हमारे देश में
इस समय जनसंख्या 125 करोड़ के के भी पार पहुंच गई जिससें हर धर्म, जाति व रंग के लोग रहते है।
पूरे विश्व में भारत देख मात्र अकेला ऐसा देश है जहां सभी संस्कृतियां पाई जाती है। यहां लोगों में प्यार,
साथ व व्यवहार बनाए रखना किसी भी प्रधानमंत्री व देश को संचालित करने वाले लोगों के लिए आसान
काम नही है फिर भी आज तक हम ऐसा करने में कामयाब रहें है लेकिन अब कुछ पार्टी व नेता इस
स्थिति को खराब करने या यूं कहें कि सौहार्द बिगाड़ने में लगे रहते हैं।
इसके अलावा कुछ लोग सोशल मीडिया सिखों न जाने कौन कौन से विडियों जोड़कर नये इस विडियों से
जोड़कर बनाया जा रहा है जिससे सिख समुदाय के लोग में गुस्सा बढ़ता जा रहा है।कोई ऐसा नही मिल
रहा जिसने इस घटना को लेकर शांति बनाए रखने की अपील की हो। लेकिन हम लेख के माध्यम से

अपने सिख भाईयों व देश की जनता से अपील करते हैं कि एस घटना सिर्फ एक घटना समझें और
कानून पर भरोसा रखें। जब गृहमंत्रालय ने हस्तक्षेप कर दिया तो निश्चित तौर निष्पक्ष कार्यवाई होगी।
हमें स्वयं भी हर घटना का आंकलन करने की क्षमता होनी चाहिए। हमें अपना अच्छा बुरा देखने की
ताकत होनी चाहिए क्योंकि बदलते परिवेश की राजनीति में हर कोई हमारा फायदा उठाना चाहता है। यदि
हम सब अपने धर्म के साथ खडे रहे तो कानून के साथ कौन खड़ा होगा। जरा सोचिए कानून किसके
लिए है? गलत को गलत कहने की क्षमता और सही को सही कहने की ताकत हमेशा अपने साथ रखकर
चलनी चाहिए। जिस तरह का निर्णाण हम करेंगे वैसा ही भविष्य हमारे बच्चों को मिलेगा।इसलिए हर
कदम सबकुछ मध्यनजर रखते हुए रखना होगा।


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