मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को बार-बार बलात्कार करने के दोषी को उम्रकैद
अथवा मौत की सजा देने के लिए आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धारा में किए गए संशोधन की
संवैधानिकता की पुष्टि की। इससे लोअर परेल के शक्ति मिल गैंगरेप मामले में मौत की सजा पाए तीन
दोषियों को तगड़ा झटका लगा है। तीनों ने मामले में आईपीसी की धारा 376 (ई) की संवैधानिकता को
चुनौती दी थी।
यह धारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में दिल्ली में 23 वर्षीय पैरा मेडिकल छात्रा के साथ हुए
सामूहिक दुष्कर्म के बाद जोड़ी गई थी। इसे कानून में बदलाव पर विचार के लिए गठित की गई
न्यायमूर्ति जे.एस वर्मा समिति की अनुशंसा पर जोड़ा गया था। दुष्कर्म पीड़िता की बाद में इलाज के
दौरान मौत हो गई थी। इस धारा के तहत बार-बार दुष्कर्म के दोषियों को आजीवन कारावास अथवा
मृत्युदंड की मंजूरी देने का प्रावधान किया गया था।
दोषियों ने धारा 376(ई) की संवैधानिकता को चुनौती दी थी
न्यायमूर्ति बी.पी. धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे ने शक्ति मिल गैंगरेप मामले के तीन
दोषियों की याचिका पर सोमवार को फैसला सुनाया। तीनों दोषियों ने हाई कोर्ट में आईपीसी की धारा
376(ई) की संवैधानिकता को चुनौती दी थी, जिसके तहत उन्हें 2014 में मौत की सजा सुनाई गई थी।
सत्र न्यायालय ने तीनों विजय जाधव, मोहम्मद कासिम शेख और मोहम्मद सलीम अंसारी को मध्य
मुंबई के शक्ति मिल्स परिसर में 22 अगस्त, 2013 को 22 वर्षीय एक फोटो-पत्रकार से सामूहिक दुष्कर्म
करने और इससे कुछ महीने पहले इसी जगह 18 वर्षीय एक टेलीफोन ऑपरेटर से दुष्कर्म का दोषी
ठहराया था।
तीनों दोषियों को एक ही दिन अलग-अलग मामले में न्यायालय ने सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने कहा,
‘हमारा विचार है कि आईपीसी की धारा 376 (ई) संविधान के दायरे से बाहर नहीं है, इसलिए मौजूदा
मामले में उसे खारिज करने की आवश्यकता नहीं है।’ इस याचिका के खारिज होने के बाद अब हाई कोर्ट
की एक और पीठ दोषियों को एक सत्र अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने और मृत्युदंड को चुनौती दिए
जाने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करेगी।