नई दिल्ली, 13 जून। भारत दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय (एसएयू) के स्थायी परिसर के निर्माण को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसपर 2,500 करोड़ रुपये खर्च आने वाला है। विदेश राज्य मंत्री एम.जे. अकबर ने सोमवार को विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कहा, भारत परिसर की 100 प्रतिशत निर्माण लागत वहन करने को प्रतिबद्ध है, जिसके परिसर के लिए इस समय आवश्यक 2,500 करोड़ रुपये का बजट तय है। इस समारोह में एम.फिल के नौ विद्यार्थियों और मास्टर्स के 185 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई, जबकि 11 विद्यार्थियों को उनके मेधावी प्रदर्शन के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा, रफ्तार आवश्यक है, क्योंकि युवा अधीर हैं। एसएयू दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन(दक्षेस) के आठ सदस्य देशों-अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका-द्वारा स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय का कामकाज 2010 में शुरू हुआ था। वर्तमान में यह गणित, जैव प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर विज्ञान, अर्थशास्त्र, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, विधि अध्ययन और समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट पाठ्यक्रम पेश कर रहा है। वर्तमान में अकबर भवन परिसर से संचालित हो रहे इस विश्वविद्यालय को दक्षिणी दिल्ली के 100 एकड़ के एक परिसर में स्थानांतरित किया जाएगा, जहां निर्माण कार्य चल रहा है। दक्षेस क्षेत्र में सबसे अधिक गरीब लोग हैं। अकबर ने कहा, आपको गरीबी के इस शाप को दूर करने के लिए काम करना होगा। भारत में नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने कहा कि दक्षिण एशिया में गहन क्षेत्रीय सहयोग की तीव्र लालसा है। क्षेत्र और लोगों की समृद्धि की लालसा के लिए यहां मस्तिष्कों और बाजारों को जोड़ने की इच्छा है। उन्होंने कहा, और यह विश्वविद्यालय उन आकांक्षाओं की बुनियाद पर बना है। एसएयू की अध्यक्ष कविता शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय के स्थायी परिसर के पहले पांच भवनों का दूसरा ठेका 2016 में दिया गया था और यहां निर्माण कार्य सुचारु रूप से चल रहा है, जबकि सात भवनों का तीसरा ठेका दिया जा चुका है। उन्होंने कहा, निर्माण कार्य में तेजी के प्रयास किए जा रहे हैं। एक बार इमारतों के दोनों सेटों के पूरा होने पर विश्वविद्यालय को स्थायी परिसर में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। इमारतों के पहले सेट को 2019 के प्रारंभ तक पूरा होने की संभावना है।