भुवनेश्वर। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में गुरुवार को
जब राज्य मंत्री के रूप में प्रताप चंद्र सारंगी का नाम बुलाया गया तो सबसे अधिक तालियां बजीं। इससे
पहले प्रताप चंद्र सारंगी के सादगी के चित्र व किस्से सोशल मीडिय़ा में वायरल हो चुके थे। निलगिरि के
गोपीनाथपुर गांव के उनके कच्चा घर व दिल्ली जाने की तैयारी में बैग को पैक करते हुए उनकी फोटो,
गांव के चांपाकल में स्नान करने का दृश्य व साइकिल से प्रचार करने वाला फोटो सोशल मीडिया में घूम
रहा था। आज की राजनैतिक व्यवस्था में जहां धन बल व दिखावे का बोलवाला है, वहीं अपनी सादगी के
कारण सोशल मीडिया में प्रताप चंद्र सारंगी सुर्खियां बटोर रहे हैं। ओडिशा में उनकी सरलता व सादगी के
बारे में लोगों को पता है लेकिन पहली बार बालेश्वर संसदीय सीट से लोकसभा सदस्य बनने के पश्चात
पूरे देश में उनको लेकर चर्चा हो रही है।
प्रताप चंद्र सारंगी की चल- अचल संपत्ति जहां लगभग 13 लाख के आसपास है वहीं उन्होंने दो करोडपति
प्रत्याशियों को चुनाव में शिकस्त दी है। निवर्तमान सांसद बीजद के प्रत्याशी रवीन्द्र जेना ने चुनाव
आयोग को दिये हलफनामे में अपनी संपत्ति 72 करोड़ से ऊपर बतायी है जबकि इसी सीट से कांग्रेस के
उम्मीदवार नवज्योति पटनायक ने स्वयं की संपत्ति 104 करोड़ बतायी है। सारंगी ने रवीन्द्र जेना को 12
हजार से अधिक वोटों से पराजित किया है।
हमेशा सफ़ेद कुर्ता-पायजामा, हवाई चप्पल और कन्धों पर कपड़े के झोले में नज़र आने वाले तथा
ओडिशा में प्रताप नना के नाम से प्रसिद्ध सारंगी को भुवनेश्वर के लोग आए दिन सड़क पर पैदल जाते
हुए, रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतज़ार करते हुए या सड़क किनारे किसी झोपड़ी या ढाबे में खाना खाते
हुए देखते हैं। ट्रेन की साधारण बोगी में भुवनेश्वर से बालेश्वर तक की यात्रा करते हुए लोग उन्हें हमेशा
देखते आ रहे हैं। गोपीनाथपुर के ब्राह्मण शासन में उनका कच्चा घर अभी भी है। दो बार विधायक रहने
के बाद भी उनके पास कोई वाहन नहीं हैं।
सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में कई दशकों से कार्य करने वाले प्रताप चंद्र सारंगी आध्यात्मिक रुचि के
व्यक्ति हैं। 28 साल के आयु में वह रामकृष्ण मठ में साधु बनने के लिए वेल्लूर मठ गये थे। वहां
स्वामी आत्मस्थानानंद ने सारंगी से पूछा कि उन पर निर्भर करने वाला कोई व्यक्ति तो उनके परिवार में
नहीं हैं। सारंगी ने उन्हें बताया कि उनकी विधवा मां हैं तो उन्होंने सलाह दी कि वह साधु न बनें व
माता की सेवा करें। इसके बाद वह साधु नहीं बन पाये लेकिन अविवाहित रह कर माता की सेवा करने के
साथ साथ सामाजिक जीवन में सक्रिय रहे।
सारंगी कुछ दिनों तक निलगिरी के पास केंदुखुंटा गांव के विद्यालय में शिक्षक रहे। इसके बाद उन्होंने
निलगिरी कालेज में क्लर्क के रूप में कार्य किया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से स्वयंसेवक सारंगी ने संघ व विश्व हिन्दू परिषद में अनेक जिम्मेदारियों का
निर्वहन किया है। वह संघ के जिला कार्यवाह रहे साथ ही विश्व हिन्दू परिषद के प्रदेश संयुक्त महामंत्री
तथा बजरंग दल के प्रदेश संयोजक भी रहे। वह रामकृष्ण मिशन, विवेकानंद केन्द्र, भारत स्वाभिमान,
आर्ट आफ लिविंग जैसे संस्थाओं से भी जुडे हुए हैं।
प्रताप सारंगी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद तथा बजरंग दल से जुडे रहे। वह बजरंग दल
के प्रदेश संयोजक भी रहे। जब पूरे देश में राम जन्मभूमि आंदोलन चल रहा था तो उन्होंने ओडिशा में
इस आंदोलन का नेतृत्व किया। ओडिशा में असाधारण वाग्मी के रूप में जाने जाने वाले प्रताप सारंगी ने
पूरे प्रदेश में इस आंदोलन के दौरान जनजागरण किया। हजारों की संख्या में कारसेवकों को अय़ोध्या
लेकर कारसेवा के लिए वह गये थे। उस दौरान अपने कालेज प्रिंसिपल को अवकाश के लिए जो आवेदन
दिया था उसमें कारसेवा के लिए छुट्टी देने की बात कही गई थी।
प्रताप सारंगी एक गौ भक्त के रुप में मशहूर हैं। वह गौ सेवा करने के साथ साथ गौरक्षा के कार्य में
अपने को नियोजित करते रहे हैं। गौरक्षा के लिए अनेक बार उन्होंने आंदोलन किया है। वह अखिल
भारतीय गोवंश रक्षा संवर्धन समिति के महासचिव भी रहे।
हालांकि प्रताप सारंगी ने संस्कृत भाषा आधिकारिक रूप से अध्ययन नहीं किया है लेकिन वह घंटों तक
संस्कृत भाषा में धाराप्रवाह बोल सकते हैं। संस्कृत के विद्वानों के साथ वह घंटों तक संस्कृत भाषा में
बातचीत कर सकते हैं। गीता, रामायण व महाभारत के श्लोक उनके कंठस्थ हैं तथा अपने भाषणों में
उनका वह उल्लेख करते हैं।
2004 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने निलगिरि विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए कहा। प्रताप
उस चुनाव में जीत कर पहली बार विधानसभा में पहुंचे। 2009 में भी पार्टी ने उन्हें टिकट दिया लेकिन
भुवनेश्वर स्थित पार्टी के प्रदेश कार्यालय से बस से बालेश्वर जाते समय उनका टिकट खो गया। इस
कारण उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ना पडा। इसमें भी वह विजयी होकर विधानसभा
पहुंचे। 2014 के चुनाव में पार्टी ने उन्हें बालेश्वर से लोकसभा से उम्मीदवार बनाया लेकिन चुनाव में वह
पराजित हो गये।
राज्य में शराब विरोधी आंदोलनों को प्रताप सारंगी समर्थन देते रहे हैं तथा बालेश्वर व मयूरभंज के
जनजातीय इलाकों में संघ व उसके सहयोगी संगठनों द्वारा शुरू किये गये विद्यालय व संस्कार केन्द्र
स्थापित करने व तथा वह गरीब बच्चों को पढ़ाई के लिए आर्थिक सहयोग देते आये हैं। पूर्व विधायक
होने के कारण उन्हें मिलने वाली पेंशन का अधिकांश हिस्सा वह गरीब बच्चों की पढ़ाई पर वह खर्च कर
देते हैं।उनकी साइकिल के जरिये प्रचार करने संबंधी फोटो वायरल होने के बारे मेंश्री सारंगी का कहना है
कि केवल साइकिल पर प्रचार करने की जो बात सोशल मीडिया में आ रही है वह अर्ध सत्य है। उन्होंने
साइकिल के साथ साथ आटो तथा कार में भी प्रचार किया है। साइकिल में प्रचार करना आसान रहता है,
इस कारण जब वह साइकिल पर प्रचार कर रहे थे तो किसी ने उसकी फोटो ले ली होगी और अब वह
सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। उनके केन्द्र सरकार में मंत्री बनने के कारण उनके विधानसभा क्षेत्र
निलगिरि व लोकसभा क्षेत्र बालेश्वर के लोगों में खुशी की लहर है। ग्रामीण इलाके के एक साधारण गरीब
परिवार का व्यक्ति केन्द्र में मंत्री बनने के कारण यहां लोगों में काफी प्रसन्नता है। उन्हें यकीन है कि
वह अपने मंत्रित्वकाल में देश और समाज के लिए काफी कुछ बेहतर करेंगे।